अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
दिल्ली मेट्रो परिचालन के 20 वें वर्ष की शुरुआत के अवसर पर दिल्ली मेट्रो की रेड लाइन (शहीद स्थल-रिठाला) के लिए आज प्रथम स्वदेशी आई-एटीएस (देश में विकसित – ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन) टेक्नोलॉजी के फील्ड ट्रायल का उद्घाटन दुर्गा शंकर मिश्र, सचिव, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार तथा अध्यक्ष/डीएमआरसी के कर कमलों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। इस अवसर पर, मिश्र ने कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर विकसित की गई ”दिल्ली मेट्रो की गौरव शाली यात्रा का चित्रण” संबंधी एक प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। यह वही स्थल है, जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में आज ही के दिन राष्ट्रीय राजधानी में मेट्रो के सबसे पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। इसे एक पूर्ण प्रदर्शनी के रूप में रि-डेवलप किया गया है जो आगंतुकों को अमूल्य फोटोग्राफ एवं कहानियों के माध्यम से भारत में जन परिवहन के क्षेत्र में नई क्रांति का सूत्रपात करने वाले उस ऐतिहासिक दिन को याद कराती हैं। यह प्रदर्शनी स्थायी तौर पर लगाई गई है और दिल्ली मेट्रो के सबसे बड़ी इंटरचेंज सुविधा का उपयोग करने वाले यात्री किसी अतिरिक्त खर्च के बिना यह प्रदर्शनी देख सकेंगे।
इस समारोह के दौरान डॉ. मंगू सिंह, प्रबंध निदेशक, डीएमआरसी, सुश्री आनंदी राम लिंगम, मुख्य प्रबंध निदेशक, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थिति रहे। इस आई-एटीएस टेक्नोलॉजी का विकास डीएमआऱसी और बीईएल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है और इसे रेड लाइन पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इस उपलब्धि के साथ, भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिनका अपना एटीएस उत्पाद (ATS Product) है जिसे अन्य मेट्रो के साथ ही साथ रेल प्रणालियों पर भी क्रियान्वित किया जा सकता है। आई-एटीएस सिस्टम का विकास मेट्रो रेलवे के लिए देश में ही निर्मित सीबीटीसी (कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल) आधारित सिगनलिंग टेक्नोलॉजी के विकास की ओर एक बड़ा कदम है क्योंकि आई-एटीएस सीबीटीसी सिगनलिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण सब-सिस्टम है। एटीएस एक कंप्यूटर आधारित सिस्टम है, जो ट्रेन परिचालन को नियंत्रित करता है। यह सिस्टम मेट्रो जैसे उच्च सघनता वाले ऑपरेशंस के लिए अनिवार्य है जहां प्रत्येक कुछ मिनट में सेवाएं निर्धारित हैं। आई-एटीएस स्वदेशी टेक्नोलॉजी है जो भारतीय मेट्रो की ऐसी टेक्नोलॉजी डील करने वाले विदेशी वेंडरों पर निर्भरता को महत्वपूर्ण रूप से कम करेगी। सीबीटीसी जैसे टेक्नोलॉजी सिस्टम मुख्यतः यूरोपीय देशों और जापान द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल के भाग के रूप में, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने सीबीटीसी टेक्नोलॉजी का स्वदेशीकरण का निश्चय किया। डीएमआरसी के साथ नीति आयोग, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), आरडीएसओ और सी-डेक इस विकास में भागीदार हैं। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए डीएमआरसी और बीईएल ने पिछले वर्ष एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। डीएमआरसी और बीईएल गाजियाबाद की एक समर्पित टीम ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए चौबीसों घंटे मिलकर कार्य किया है। आई-एटीएस सिस्टम का आगामी फेज-4 कॉरिडोरों में भी उपयोग किया जाएगा। फेज-4 कॉरिडोरों में आई-एटीएस सिस्टम का उपयोग करते हुए भावी (प्रिडिक्टिव) मेंटेनेंस मॉड्यूल की भी शुरुआत की जाएगी।
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