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गुडगाँव

सुपरटेक परियोजना के रेरा पंजीकरण प्रमाण पत्र को रद्द करने की याचिका को किया खारिज- के के खंडेलवाल

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरुग्राम: रेरा प्राधिकरण गुरुग्राम ने मंगलवार को सौ विभिन्न शिकायतों की सुनवाई के दौरान सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा उपरोक्त डेवलेपर के सेक्टर- 79 में अराविले नाम से विकसित किए जा रहे आवासीय परियोजना के रेरा पंजीकरण प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग की गई थी। प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ के.के खंडेलवाल और तीन सदस्यों की अगुवाई वाली रेरा पीठ ने विस्तृत बहस और दस्तावेजों की जांच के बाद पाया कि शिकायतकर्ता को भूमि स्वामित्व विवाद के तथ्यों को प्रस्तुत करने के लिए  सुनवाई के पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद शिकायतकर्ता अपनी याचिका से संबंधित उचित दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रहा है, जिसको आधार मानते हुए पीठ ने शिकायतकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया।

शिकायतकर्ता की याचिका के सम्बंध में प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ खंडेलवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि सुपरटेक लिमिटेड खेड़की दौला टोल के पास गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड पर सेक्टर- 79 में दस एकड़ जमीन पर अराविले नाम से एक प्रीमियम हाउसिंग प्रोजेक्ट विकसित कर रहा है। उपरोक्त परियोजना में सुपरटेक लिमिटेड सहयोगी की भूमिका में है वहीं परियोजना का लाइसेंस तिरुपति बिल्ड प्लाजा प्राइवेट लिमिटेड के पास है। जिसमें शिकायतकर्ता  द्वारा रेरा प्राधिकरण के समक्ष अपनी याचिका में यह आरोप लगाया था कि तिरुपति बिल्ड प्लाजा प्राइवेट लिमिटेड ने हरियाणा के नगर एवं योजनाकार विभाग सरकार से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अपने पक्ष में 10 एकड़ जमीन का फर्जी म्यूटेशन किया था।

शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में रेरा प्राधिकरण से पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द करने का अनुरोध के साथ तिरुपति बिल्ड प्लाजा प्राइवेट लिमिटेड पर यह भी आरोप लगाया था कि उसने “लाइसेंस प्राप्त करने के उद्देश्य से एक सेल डीड बनाया जिसमें भूमि का विवरण बदल दिया गया था। डॉ खंडेलवाल ने कहा कि पूर्व में नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग हरियाणा, राजस्व विभाग हरियाणा व सिविल कोर्ट से खारिज की गई इस याचिका पर रेरा प्राधिकरण ने पहली सुनवाई 9 मई को शुरू की गई थी, जिसके बाद शिकायतकर्ता आठ सुनवाई के दौरान पीठ के समक्ष अपनी शिकायत से संबंधित  उचित व पर्याप्त दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रहा है। सभी सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा जो भी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए उसमें कोई भी कागजात भूमि के मालिकाना हक़ से सम्बंधित विवाद के दावे की पुष्टि नहीं करता, जिसको आधार मानते हुए रेरा पीठ ने शिकायतकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया।

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