अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जारी वक्तव्य: विभाजनकारी छल-कपट की पोल खुली – देश को नहीं बरगला सकते! चुनाव नहीं होते तो पाकिस्तान से प्यार जताते हैं, चुनाव आते ही “बंटवारे” की शरण में चले जाते हैं.उत्तर प्रदेश चुनावों की तैयारी प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी ने प्रारंभ कर दी है। देश में 100 रूपए पार “भराने का तेल”, “200” रु पार “खाने का तेल”, 888 रूपए पार “खाना बनाने की गैस”, चौतरफा महंगाई की आग में देश के नागरिकों को “झोंकने के बाद”, पूँजीपतियों की ड्योढी पर किसानों के हकों को बेच तीन काले कानून “पास करने के बाद”, “करोड़ों युवाओं को बेरोज़गारी के दलदल में धकेलने के बाद” , देश की संप्रभुता पर पेगासस के घातक हथियार से “हमला करने के बाद”, भगवान प्रभु श्रीराम की आस्था को चंदा चोरी घोटाले से “चोट पहुंचाने के बाद”, अब उपलब्धियों के नाम पर पीएम मोदी के पास बताने को कुछ बचा नहीं हैं। पीएम मोदी ने फ़िर बँटवारे की तैयारी शुरू कर दी है। लगता है, उत्तर प्रदेश चुनावों के चलते “शमशान-कब्रिस्तान” दोहराने की तैयारी हो रही है।
चुनाव नहीं होते हैं तो पीएम मोदी पाकिस्तान से प्यार जताते हैं ,चुनाव आते ही पाकिस्तान के नाम की शरण में चले जाते हैं।
पहले इनका मुखौटा उतार फेंकिए फ़िर पीएम मोदी को देखिए :-
1) पाकिस्तान को “बंटवारा दिवस” की 22 मार्च को पीएम मोदी दे रहे बधाई और ट्विटर पर हो रही “रुसवाई”
पीएम मोदी ने हाल ही में 22 मार्च, 2021 को पाकिस्तान को भारत- पाकिस्तान के बँटवारे के लिए लिए चिट्ठी लिख बधाई दी है । (इसकी प्रतिलिपि संलग्न ए-1 है) पाकिस्तान दिवस पर पीएम मोदी ने पाकिस्तान को अभिनदंन -बधाई संदेश भेज कहा कि इस दिवस के उपलक्ष्य में ‘सारे पाकिस्तानी भाइयों को शुभकामनाएं’।
आइए जानते हैं, “पाकिस्तानी दिवस” क्या है:
असल में भारत पाकिस्तान के बँटवारे की बुनियाद इसी दिन रखी गई थी। असल में इसी दिन सन 1940 में 22 से 24 मार्च तक चले अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के लाहौर सत्र में लाहौर प्रस्ताव (जिसे पाकिस्तान में ‘क़रारदाद-ए पाकिस्तान’ अर्थात ‘पाकिस्तान संकल्पना’ भी कहा जाता है) की पेशकश की गई थी, जिसके आधार पर ही मुस्लिम लीग ने अलग देश के लिए आन्दोलन शुरू किया था। अब आप कल्पना कीजिये कि भारत के प्रधानमंत्री 22 मार्च को इस दिवस की बधाई पाकिस्तान को देते हैं और चुनावी स्वार्थसिद्धि के लिए मगरमच्छी आँसू बहाते हैं ।
2) पाकिस्तान से भाजपा का प्यार पुराना, यह भी सुनते जाना
1940 में मुस्लिम लीग के जिस नेता फ़ज़लूल हक़ ने भारत के बँटवारे का प्रस्ताव पढ़ा था, उसी फ़ज़लूल हक़ के साथ मिलकर भाजपा के बुनियाद के पत्थर,श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने 1942 में बंगाल में बर्तानिया हुकूमत की सरपरस्ती में सरकार बनाई थी और कांग्रेस के ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ आंदोलन के विरोध की रूपरेखा सुझाई थी।
3) पीएम मोदी की देखें अदा- एक और पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर फ़िदा तो दूसरी ओर ट्विटर पर जुदा
पीएम मोदी के दोहरे मापदंडों की कहानी नई नहीं है। हमेशा से पीएम मोदी पाकिस्तान को 14 अगस्त के दिन बधाई देते रहे हैं। (14 अगस्त, 2020 का ट्वीट संलग्न ए-2 है) आज चूंकि यूपी के चुनावों में हार की कगार पर खड़े हैं, तो इससे कारगर उपाय नहीं सूझ रहा है।
4) पाकिस्तान जा दावत खाएं, बदनाम I.S.I. को हमारे देश बुलाएं और चुनाव आते ही बंटवारे की रट लगाएं
याद करिए कि पठानकोट एयरबेस पर पाकिस्तान प्रायोजित उग्रवादी हमले के बाद, उस हमले की जांच के लिए मोदी सरकार ने पाकिस्तान की बदनाम आईएसआई को जांच के लिए बुलाया था। जबकि सच्चाई यह है कि पठानकोट उग्रवादी हमला ही आईएसआई द्वारा करवाया गया था। 73 सालों में पहली बार बिन बुलाए मेहमान के तौर पर 25 दिसम्बर, 2015 को पाकिस्तान में दावत खाने और जन्मदिन मनाने जाने वाले मोदी जी इकलौते प्रधानमंत्री हैं। सच्चाई यह है कि भाजपाई इतिहास से तो प्रतिशोध ले रहे हैं, पर यह तो बताएं कि वर्तनाम को क्या दे रहे हैं?आज देश पूछ रहा है कि पेट्रोल डीज़ल के दाम कब घटाएंगे, खाने का तेल जेब की पहुँच में कब आएंगे, पेगासस जासूसी से पर्दा कब उठाएंगे, कृषि विरोधी काले कानून कब वापस लिए जाएंगे, बेरोज़गार युवा कब तक दर दर की ठोकरें खाएंगे और आप इतिहास से प्रतिशोध लेकर कब तक अपनी राजनीति की दुकान सजायेंगे !