अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: अपनी तरह के एक पहले मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने देश के बड़े उद्योगपति और कोटक महेंद्रा बैंक के एमडी—सीईओ उदय कोटक के खिलाफ एक बिजनेस परिवार की ओर से लगाए गए धोखाधड़ी, षड़यंत्र के आरोपों की जांच करने के निर्देश वित्त मंत्रालय को दिए हैं. इसके साथ ही पीएमओ ने कोटक महेंद्रा बैंक के प्रमुख अधिकारियों के खिलाफ भी धोखाधड़ी,जालसाजी के आरोपों की जांच का निर्देश दिया है। शिकायतकर्ता देश का एक बड़ा कारोबारी परिवार है। शिकायतकर्ता पुष्पा बागला, उनके पति संतोष बागला और बेटे भूपेंद्र बागला ने पीएमओ को एक शिकायत दी थी। जिसमें उन्होंने उदय कोटक और उनके बैंक के अधिकारियों पर आरोप लगाए थे। इस शिकायत के आधार पर पीएमओ ने वित्त मंत्रालय में वित्तीय मामलों के सचिव को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा है कि संबंधित शिकायत की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए।
मुंबई में रहने वाले बागला परिवार ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके बेटे भूपेंद्र बागला को कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी करते हुए गिरफतार किया गया। इस कार्य में बाराखंबा पुलिस स्टेशन के छह पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी भी शामिल थे। उन्होंने कोटक महेंद्रा बैंक के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके भूपेंद्र बागला को गिरफतार कर लिया था। बागला परिवार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी एक शिकायत दी है, जिसमें इन संबंधित पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। शिकायतकर्ता संतोष बागला के मुताबिक कोटक महेंद्रा बैंक के उच्च प्रबंधन ने एक विरेंद्र कुमार शर्मा के साथ मिलकर यह गैर कानूनी कार्य किया। विरेंद्र कुमार शर्मा ने अपनी संपत्ति लीज पर बागला परिवार को दी थी। कुछ समय पश्चात कोटक महेंद्रा बैंक के आला अधिकारियों, जिनके खिलाफ शिकायत है, के साथ मिलकर एक लोन की धोखाधड़ी की और इसमें गलत तरीके से भूपेंद्र बागला को फंसा दिया। इस मामले में बाद में भूपेंद्र बागला को एंटीसपेटरी बेल या अग्रिम जमानत होने के बाद भी पुलिसकर्मियों ने पैसे और कोटक महेंद्र बैंक अधिकारियों के प्रभाव की वजह से गिरफतार कर लिया। जबकि वह निर्दोष था और उसके पास अग्रिम जमानत भी थी। इस मामले में बाद में अदालत ने भूपेंद्र बागला को क्लीन चिट देते हुए निर्दोष करार दिया।
लेकिन गिरफतारी की वजह से इस बीच भूपेंद्र का तलाक हो गया। उसे और परिवार को एक सामाजिक धब्बा सहना पड़ा और इसकी वजह से बिजनेस में भी करोड़ों का नुकसान हुआ क्योंकि लोगों ने कहा कि जो व्यक्ति धोखाधड़ी में गिरफतार हुआ है,हमें उसके साथ बिजनेस नहीं करना है। संतोष बागला कहते हैं कि अदालत ने मेरे बेटे को बाइज्जत बरी कर दिया और निर्दोष करार दिया। लेकिन उसे परिवारिक और कारोबारी मोर्चे पर इसकी वजह से बड़ा नुकसान हुआ। यह समस्त षड़यंत्र उस संपत्ति को कब्जाने के लिए की गई, जिसे मैंने अपने कारोबार के लिए लीज पर लिया था। इसमें कोटक महेंद्रा बैंक के एमडी और सीईओ उदय कोटक के साथ ही बैंक के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। विरेंद्र कुमार शर्मा और उदय कोटक तथा उनके अधिकारियों के ने मिलकर मेरे बेटे का झूठे लोन मामले में फंसाया और पुलिस से सांठगांठ करके उसे गिरफता करा दिया। इस मामले में हमें न्याय हासिल करने में आठ साल लग गए। इसी बीच हमारी प्रतिष्ठा,बिजनेस और परिवार सब टूट गया। केस लड़ने में हमारा समय और पैसा दोनों बर्बाद हुए। जिसकी वजह से करोबार भी प्रभावित हो गया। संतोष बागला ने कहा कि हम अब उदय कोटक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रहे हैं। साथ ही हमनें रिजर्व बैंक आफॅ इंडिया को भी अनुरोध किया है कि वह कोटक महेंद्रा बैंक का लाइसेंस रदद करे क्योंकि वह गलत तरीके से संपत्ति को लोन के नाम पर दखल कर रहा है।