Athrav – Online News Portal
गुडगाँव

किशोरावस्था के विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं व शंकाओं को दूर करने के लिए जिला प्रशासन की सकारात्मक पहल


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरूग्राम:किशोरावस्था के नाजुक मोड़ पर स्कूली विद्यार्थियों के अंतर्मन में इस अवस्था में होने वाले शारीरिक बदलावों के बीच तमाम तरह की जिज्ञासाओं और शंकाओं को लेकर अंर्तद्वंद चलता रहता है। ऐसे में वे अपने विद्यार्थी जीवन में सही समय पर सही निर्णय लेकर किसी अन्य बुराई से बचे से रहें इसके लिए जिला प्रशासन ने एक सकारात्मक पहल करते हुए स्कूली विद्यार्थियों के लिए प्रोजेक्ट मन लांच किया है। प्रोजेक्ट लांच का यह कार्यक्रम डीसी निशांत कुमार यादव की अध्यक्षता में बादशाहपुर स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सम्पन हुआ। डीसी निशांत कुमार यादव ने आत्मन एप के साथ प्रोजेक्ट मन को लांच करने उपरांत उपस्थित जिला के स्कूल प्राचार्यों को संबोधित करते हुए  किशोरावस्था बड़ी नाज़ुक होती है, क्योंकि यही समय होता है जब भविष्य बनाने की दिशा में कार्य किए जाते हैं और इसी उम्र में भटक जाने के आसार भी होते हैं। इसलिए उम्र के इस मोड़ पर समझदारी से काम लेना बहुत आवश्यक हो जाता है

भटकाव का सबसे बड़ा और पहला कारण संगत होती है। इस उम्र में मस्ती मज़ाक करना, दोस्तों के साथ घूमना-फिरना अच्छा है। लेकिन अगर संगत ग़लत हो तो भविष्य ख़तरे में पड़ सकता है, चूंकि किशोर इतने परिपक्व नहीं होते कि सही-ग़लत पहचान सकें। इसलिए माता-पिता बच्चे की संगत व दोस्तों की पूरी जानकारी रखें। उन्होंने कहा कि बदलाव के इस दौर में एकल परिवारों में जहां माता पिता दोनों नौकरी करते हैं वहां किशोरों को काफी समय अकेले बिताना पड़ता है। अगर वह सही दिशा में हैं तब तक कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन गलत राह पर बढ़ने पर उन्हें रोकना जरूरी हो जाता है। इस उम्र में उत्सुकता इतनी अधिक होती है कि किशोर सही गलत का अंतर नहीं कर पाते।
उन्होंने बताया कि किशोरों की जिज्ञासा शांत करने के लिए उन्हें जो बातें बताई जाती हैं, उन्हें वह अच्छी तरह याद रखते हैं। ऐसे हमें हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि उन्हें अच्छी बातों के बारे में तो बताएं, साथ ही उसके नकारात्मक पहलु की भी जानकारी दे।

डीसी ने कहा कि किशोर आयु के बच्चे आमतौर पर संकोचवश  अपनी उलझनों और परेशानियों को माता पिता या अध्यापक से सांझा नहीं कर पाते। बच्चा कई दफा प्रतियोगी परीक्षाओं, अभिभावकों की अपेक्षाओं के दबाव में रहता है। मोबाइल फोन पर विद्यार्थी अधिक समय बिता रहे हैं, जो कि उनकी मानसिक जिज्ञासाओं को संतुष्ट करने की बजाय और बढ़ा देता है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उनकी जिज्ञासाओं व शंकाओं के निवारण के लिए यह प्रोजेक्ट मन, आत्मन एप के साथ तैयार किया गया है।  उन्होंने बताया कि जिला प्रत्येक स्कूल में इस एप्प को लागू किया जा रहा है। आत्मन एप की टीम को स्कूल के दस से 19 साल तक की आयु के बच्चों के मोबाइल नंबरों का डाटा मुहैया करवाया जाएगा। डीसी ने बताया कि इस एप के माध्यम से बच्चों से सरल भाषा में कुछ प्रयोग अभ्यास करवाए जाएंगे। इसके आधार पर उनकी मनोस्थिति का आकलन किया जाएगा और उन्हें बहुमूल्य सुझाव दिए जाएंगे।कार्यक्रम में आत्मन टीम की प्रभारी माधवी ने टीवी स्क्रीन पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रोजेक्ट मन की जानकारी देते हुए आत्मन एप की कार्यप्रणाली के बारे में समझाया। इस अवसर पर सिविल सर्जन डा. वीरेंद्र यादव, जिला शिक्षा अधिकारी कैप्टन इंदु बोकन, डिप्टी सीएमओ डा. केशव शर्मा, डा. अजय, डा. अनुज, सुशासन सहयोगी हिया बनर्जी, रामकिशन वत्स सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

Related posts

सोशल मीडिया पर गाडी की डिक्की खोल कर नोट उड़ाने वाले दो लड़के अरेस्ट, भारी मात्रा में नकली नोट बरामद।

Ajit Sinha

गुरुग्राम ब्रेकिंग: टीकाकरण महोत्सव में सोमवार को एक ही दिन में 30000 लोगों को वैक्सीन लगाने का है लक्ष्य

Ajit Sinha

गुरुग्राम ब्रेकिंग: डोर टू डोर, सर्वे कार्य जल्द पूरा करें बीएलओ – डीसी

Ajit Sinha
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x