अरविंद उत्तम की रिपोर्ट
नोएडा: इस दशक का सबसे लंबा और साल का पहला सूर्य ग्रहण समाप्त हो चुका है। इस भौगलिय घटना को ज्योतिर्विदों ने महाग्रहण का नाम दिया है और उनका मानना है यह सूर्य का प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा। नोएडा के सैक्टर -26 स्थित अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ अध्यक्ष अरुण बंसल ने बताया की महाग्रहण का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दुर्घटनाओं की संभावना बनेगी. राजनैतिक रूप उथल-पुथल, युद्ध और आपदाओं की स्थिति भी पैदा होगी।
अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ अध्यक्ष अरुण बंसल कहते है कि काफी समय बाद ऐसा सूर्य ग्रहण लगा है, यह सूर्य ग्रहण जब लगा है उस दौरान सूर्य दिल्ली और भारत के ऊपर से होकर जा रहा था और ये काफी भारत काफी हाई इंटेंसिटी का लगभग 90% तक का यह सूर्य ग्रहण था। इसका असर इस बार ज्यादा होगा। उनका मानना है कि सूर्य ग्रहण पर ऐसे कई महा संयोग बन रहे हैं जो आज से तकरीबन 900 से पहले बने थे. इस ग्रहण में सूर्य का संयोग राहु, बुध और चंद्र के साथ बन रहा है. इस ग्रहण में सूर्य का मंगल से भी संबंध होगा। इस महा ग्रहण के समय एक धुरी में सूर्य के साथ चंद्रमा और चंद्रमा के साथ शुक्र और बुध थे। उसके विपरीत में गुरु और शनि हैं। यह सारी ग्रह मंगल को छोड़कर एक धुरी पर आ गए, जिससे ग्रेविटेशनल फोर्सेस डिसबैलेंस हो जाती हैं इस डिसबैलेंस के कारण भूकंप, ज्वार-भाटा आता है। जिस तरह का हाई टाइड्स समुन्द्र में आती है उसी तरह की हाई टाइड्स लोगों के दिमाग में भी आती हैं। उसके कारण लड़ाई झगड़े हो जाते हैं और युद्ध भी हो जाते हैं इसके साथ-साथ दुर्घटनाएं और आगजनी की घटनाएं भी बढ़ती है। अरुण बंसल कहते है कि यह सब इंपैक्ट है जो कि दिखाई देते हैं। यह सब बातें सिर्फ ज्योतिष नहीं है, साइंटिफिक भी है। कॉसमॉस के अंदर जब सारे ग्रह इकट्ठे होते है। जिससे ग्रह ग्रेविटेशन पर इंपैक्ट पड़ता है और ग्रेविटेशन डिसबैलेंस हो जाता है। उदाहरण के लिए जब अमस्या और पूर्णिमा आती हैं तो समय समुद्र में ज्वार भाटा काफी तेजी से उभरता है। अब जबकि इतने सारे ग्रह एक धुरी पर है इकट्ठे हो रहे हैं, तो वो ग्रेविटेशनल फोर्स डिसबैलेंस करेंगे। अरुण का कहना है इस महाग्रहण नेगेटिव ही होगा इसका कोई पॉजिटिव इफेक्ट नहीं होगा।