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कटघरे में प्रधानमंत्री मोदी खड़े हैं और ये मैं बिना कारण के नहीं बोल रही हूं-लाइव वीडियो में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया को सुने


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा- आप सबको हमारा नमस्कार। ये बहुत ही खास प्रेस वार्ता है और एक ज्वलंत मुद्दे पर है और जैसा कि आप देख रहे हैं मेरे साथ कांग्रेस पार्टी के नेता ही नहीं, वो लोग जिन्होंने भारत का नाम और हिंदुस्तान का परचम खेल के जगत में लहराया है, वो आज इस मंच पर हैं। किसी और कारण से होते तो हमें बड़ा गर्व होता, लेकिन वो आज इस मंच पर हिंदुस्तान के उन खिलाड़ियों की वेदना और उनके दर्द को समझाने के लिए, बताने के लिए और सरकार से सख्त सवाल पूछने के लिए मजबूर हैं, जिसका जवाब बहुत पहले आ जाना चाहिए था। बहुत कुछ कहने से पहले मेरे साथ मंच पर कृष्णा पूनिया जी हैं, जो भारत की पहली वूमेन एथलीट हैं, जिन्होंने गोल्ड जीता था, ट्रैक और फील्ड इवेंट में। अर्जुना अवार्डी हैं, पद्मश्री हैं और मेरे बांय पर मेरे भाई विजेन्द्र सिंह है, ओलंपियन है और तगड़े मुद्दों पर हमेशा अपना मत देते हैं और साथ में खिलाड़ियों के साथ खड़े रहते हैं।

इससे पहले कि मैं इन दोनों लोगों को मंच दूं, मैं एक बात जरुर पूछना चाहती हूं, 72 घंटे से ऊपर हो गए और जिसको अंग्रेजी भाषा में अनप्रेसिडेंटेड कहा जाता है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि The most decorated athletes of Indian sports, sports stars, जिन्होंने विश्व में भारत का परचम लहराया,वो बेटियां जो शेरनियों की तरह दहाड़ती हैं दंगल में, कुश्ती के रिंग में, आज जंतर-मंतर पर बैठकर जब उनकी आंखों से आंसू निकलते हैं,तो सरकार की ये खामोशी अपने आपमें निंदनीय ही नहीं,अपने आपमें और बहुत ही गहरे और गंभीर सवाल खड़े करती है। क्योंकि कटघरे और सवालों के घेरे में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चीफ भाजपा के सांसद बृज भूषण शरण सिंह जरुर हैं, लेकिन उससे ज्यादा आज कटघरे में प्रधानमंत्री मोदी खड़े हैं और ये मैं बिना कारण के नहीं बोल रही हूं, ये एक पैटर्न है,

विनेश फोगाट जी ने अपनी पहले दिन की प्रेस वार्ता में कहा था कि उन्होंने अपने परिवार के साथ जाकर 2021 के अक्टूबर महीने में मोदी जी को सारी असलियत से वाकिफ कराया था। उन्होंने सच बताया था और अपनी जान पर होने वाले हमले का अंदेशा भी जाहिर किया था और मोदी जी ने कहा था, नहीं-नहीं तुम्हें कुछ नहीं होगा। सवा साल तक और मोदी जी ने सार्वजनिक रुप से विनेश फोगाट को अपनी बेटी कहा है और कहा कि तुम तो मेरी बेटी जैसी हो और मैं तो आपके सारे परिवार को जानता हूं। तो आज सवाल ये है कि जब एक महिला एथलीट और डेकोरेटेड महिला एथलीट इस देश के प्रधानमंत्री के पास जाकर फेडरेशन में हो रहे यौन शोषण और कुकृत्यों के बारे में अक्टूबर महीने में बताती हैं, तो सवा साल तक मोदी जी ने क्या किया और वो इस पर चुप क्यों रहे, क्या कार्यवाई हुई? सांसद अभी भी अपने पद पर बरकरार है, कोई इंटरनल इंक्वायरी नहीं हुई, कोई सवाल जवाब नहीं पूछा गया और हम ये क्यों ना पूछें कि इस सरकार का पैटर्न है। ये बड़े-बड़े आक्षेप और बड़े-बड़े आरोप लगते हैं। उसके बाद कटघरे में इनके मंत्री, इनके सांसद खड़े होते हैं, लेकिन बेशर्मी के चलते और थेथरई के चलते ये सरकार उनको पद से बर्खास्त नहीं करती। ये हमने अजय मिश्रा टेनी के केस भी देखा था, जो आज भी मंत्री बने हुए हैं और बृज भूषण शरण सिंह के केस में भी हम देख रहे हैं।मेरा सवाल ये है कि देश के प्रधानमंत्री ने अक्टूबर, 2021 के बाद, विनेश फोगाट जी का कहना है कि उन्होंने सब कुछ बताया, उसके बाद वो शांत क्यों रहे? जंतर-मंतर पर बैठे हुए ये एथलीट, उनकी आंख के आंसू और लड़कियों का और शायद आज लड़की होने पर भी अफसोस जताना बहुत बड़े सवाल खड़ा करता है। एक ही लाइन कहूंगी और उसके बाद मैं कृष्णा पूनिया जी को इनवाइट करुंगी कि वो अपना ओपनिंग वक्तव्य बोलें। हमने अभी तक सरकार के एक नुमाइंदे से इन कुकृत्यों की निंदा नहीं सुनी, इसकी भर्त्सना नहीं सुनी। मेरी कोई आशा नहीं है कि इस देश की महिला और बाल विकास मंत्री, जो कि एक राहुल गांधी ट्रोलर हैं, वो इस घटनाक्रम पर एक भी शब्द बोलेंगी। भाजपा में कुलदीप सिंह सेंगर हुए, भाजपा में चिन्मयानंद हुए, भाजपा में अंकिता ठाकुर का कातिल बैठा है, भाजपा में लखीमपुर चीरहरण के लोग बैठे हैं। ये क्या है भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा और क्या बेटी बचाओ वाकई में भाजपा से बेटी से बचाओ का नारा था, क्योंकि ये सारे नारे आज पूरी तरह से खोखले हैं। क्या बेटी बचाओ और क्या खेलो इंडिया। आपके जो ध्वज वाहक हैं सपोर्ट के वो जंतर-मंतर पर बैठकर बोल रहे हैं कि हमें यौन शोषण के लिए मजबूर किया जा रहा है। ये बात प्रधानमंत्री को पता है और इस बात पर पर्दा गिराया जा रहा है।

मैं आमंत्रित करती हूं कृष्णा पुनिया जी को कि वो महिलाओं के बारे में और क्या हो रहा है, उस सच को उजागर करें।

डॉ.कृष्णा पुनिया ने कहा कि नमस्कार सभी साथियों को और मैं यही कहना चाहूंगी कि जब समाज से कोई लड़की निकल कर अपने आपको आगे बढ़ाना चाहती है तो सबसे पहले लड़ाई उसकी समाज से होती है और वो उन जद्दोजहद से निकल कर दिन-रात एक करके, पसीना बहाकर, खून बहाकर और देश के लिए पदक जीतने की सोचती है और जब वो इस मुकाम पर जा रही होती है, तो उसके बीच में एक खबर आती है कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के जो प्रेजिडेंट हैं बृज भूषण शरण जी, वो यौन शोषण करते हैं और ये उस बेटी के द्वारा आरोप लगाए गए हैं, जिससे प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि तुम हमारी बेटी हो। उसी बेटी ने एक सवाल कल दागा है कि इस देश में बेटी पैदा होनी ही नहीं चाहिए। इससे ज्यादा तकलीफ की बात, दर्द की बात क्या हो सकती है और साथ-साथ मैं ये सवाल भी करती हूं- एक तरफ तो हमारा देश पदक चाहता है और दूसरी तरफ हम अपने भविष्य को देखते हैं, हमारी बेटियों का यौन शोषण होता है, तो आने वाली पीढ़ी या वो माता-पिता अपने बच्चों को इस तरीके से सपोर्ट में भेजना चाहेंगे। मैं यहाँ पर विनेश फोगाट और उन सभी रेसलर्स को धन्यवाद देती हूं कि सार्वजनिक मंच पर आकर उन्होंने इस बात को उठाया है। लेकिन तकलीफ इस बात की है कि माननीय प्रधानमंत्री जी को जब उन्होंने लगभग सवा साल पहले इस बात से अवगत करा दिया गया था, तो इस पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई? जैसा कि सुप्रिया जी ने कहा कि 72 घंटे के बाद भी ये शर्मनाक बात (खिलाड़ियों को सड़क पर बैठने के लिए मजबूर होना) सड़कों पर अभी तक चल रही है, लेकिन बीजेपी के नेताओं द्वारा कोई ऐसा स्टेप नहीं उठाया गया।आपको ध्यान दिलाना चाहूंगी कि हरियाणा के मंत्री द्वारा भी एक लड़की के साथ इसी तरीके से कुकृत्य की बात सामने आई थी और उस लड़की ने भी अभी लगभग मेरे ख्याल से डेढ़ महीना ही हुआ होगा ज्यादा से ज्यादा और वो बात वहीं पर स्टॉप हो गई है। तो क्या यही हालात उन रेसलर्स के साथ भी होने वाला है या हमारी आने वाली एथलीट के साथ होने वाला है। मैं महिला हूं और ये पीड़ा मैं समझ सकती हूं कि हमारी पदक विजेता खिलाड़ी यह कह रही है कि लड़की पैदा नहीं होनी चाहिए। ये कितनी बड़ी बात हमारी एथलीट ने कही है और मैं उन दिनों को याद भी करती हूं कि जब हम मेडल जीतकर लेकर आते हैं, तो हमारे साथ हर कोई फोटो खिंचवाने के लिए तैयार होता है, बेटी बनाने के लिए तैयार होता है। जब हमारी बेटियों का चीर हरण किया जाता है, तो उसके साथ कोई खड़ा क्यों नहीं होता है और साथ-साथ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ये नारा है और इस नारे को तार-तार कर चुके हैं बीजेपी के नेता। मैं यही कहना चाहूंगी कि इन नेताओं से बेटियों को बचाने की जरूरत है और मैं यही कहना चाहूंगी कि जो फेडरेशन है, वो पूरी भंग होनी चाहिए। जैसा खिलाड़ियों ने कहा कि अकेला नेशनल फेडरेशन ही नहीं, स्टेट फेडरेशन भी भंग होनी चाहिए और खिलाड़ियों की भागीदारी उसमें होनी चाहिए।विजेन्‍द्र सिंह ने कहा कि नमस्‍कार आप सबको। थोड़ी देर पहले मैं जंतर-मंतर गया था पहलवानों का साथ देने, मे‍रे साथियों का साथ देने, मेरी बहनों का साथ देने, मैं था वहां पर और एक मुक्‍केबाज होने के नाते, एक साथी होने के नाते मैं वहां गया था और वो आए, बाकी धीरे-धीरे रेसलर आएंगे, वहां पर और उनसे मेरी फोन पर बात हुई। लेकिन मेरी पीसी थी इसलिए मुझे यहां पर आना पड़ा। लेकिन जो उन्‍होंने आरोप लगाए हैं, वो बहुत स्‍ट्रॉन्ग आरोप हैं, एक नेता पर, एक फेडरेशन के चीफ के ऊपर और मुझे लगता है कि इसके ऊपर इतनी लंबी चुप्‍पी साधना प्रधानमंत्री जी द्वारा, वो बहुत निंदनीय है और बहुत शर्मनाक है और इसमें जल्‍द से जल्‍द कार्रवाई हो। जो आरोप हैं बहुत संगीन हैं। भिवानी का, एक हरियाणा का लड़का होते हुए मैं ये मांग करता हूं इसमें जल्‍द से जल्‍द कार्रवाई हो और आईपीसी की जो भी धारा लगती हैं उनके तहत इस मामले में एक्‍शन लिया जाए। श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ये एक बड़ी बात है और एक चीज आपकी जानकारी के लिए आप हमारे व्‍यूअर्स के लिए, जो श्रोता हैं, जो देख रहे हैं, जो अखबार लिखेंगे, उनके लिए मैं बताना चाहती हूं कि ये Government with a difference थी और डिफरेंस ये था कि जब बेटियों पर इस तरह के कुकृत्‍य होंगे, शोषण होगा तो ये सरकार अपनी आंख पर पट्टी बांध लेगी। ये सरकार कहती थी हमें पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस नहीं चाहिए, बैडमिंटन फेडरेशन ऑफ इंडिया के हेड कौन हैं- हिमंता बिस्वा सरमा; राइफल फेडरेशन ऑफ इंडिया के हेड कौन हैं – रनिंदर सिंह, बीजेपी के; आर्चरी के – अर्जुन मुंडा जी, किक्रेट के तो खैर आपको पता ही है – पुत्र जय शाह जी बैठे हुए हैं, वहां पर और टेबिल टेनिस ऑफ इंडिया की फेडरेशन की जो हेड हैं, वो हरियाण के उप मुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला जी की पत्‍नी मेघना चौटाला जी हैं। तो ये जो लोग बात करते थे पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस की, मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्‍सिमम गर्वनेंस की, उनके कुछ नाम मैंने आपको गिना दिए हैं। रे‍सलिंग फेडरेशन में जो हो रहा है इससे सबको सबक सीखना चाहिए और जैसा कि दोनों खिला‍ड़ियों ने कहा ये सिर्फ यहां पर विशुद्ध हम राजनैतिक बात नहीं कर रहे हैं, 2 खिलाड़ी आपको बता रहे हैं कि कितना मुश्किल होता है खिलाड़ी के लिए लड़ना समाज से, परिवार से। सोचिए उन माँ-बाप को, जिनको आज अपनी बेटियों को स्‍पोर्ट्स में भेजना है, वो कितने आशंकित होंगे और क्‍या उनके मन पर बीत रही होगी। एक प्रश्‍न के उत्तर में डॉ० कृष्‍णा पुनिया ने कहा कि मैं आपकी बात का समर्थन करती हूं। खिलाड़ी अगर असोसिएशन में होंगे तो खि‍लाड़ियों की प्रॉब्‍लम्स को अच्‍छे से समझ सकते हैं और जो एथलीट्स की भूमिका इसमें ज्‍यादा रहेगी, तो उसमें और ज्‍यादा बेहतर होने के चान्‍सेस रहेंगे। एक अन्य प्रश्‍न के उत्तर में विजेन्‍द्र सिंह ने कहा कि बहुत जरूरी है, क्‍योंकि एक खिलाड़ी, खिलाड़ी की भावना को समझ सकता है और खिलाड़ी इस फेडरेशन में आएंगे, इसका हिस्‍सा बनेंगे। क्‍योंकि एक तरह से ढोंग तो क्‍या कह दें कई बॉक्‍सरों को भी इस फेडरेशन का हिस्‍सा बनाया गया था, लेकिन उनको कभी भी इस मीटिंग में नहीं बुलाया गया। जैसे बॉक्सिंग की मैं बात करूं, तो बहुत सारे लड़कों ने बताया की भाई साहब, हम भी हिस्‍सा थे उस बॉक्सिंग फेडरेशन का, लेकिन हमें कभी किसी मीटिंग में नहीं बुलाया जाता। तो अगर कोई खिलाड़ी उस फेडरेशन का हिस्‍सा हो, तो बहुत अच्‍छी बात है और ये होना चाहिए, पर हम कहाँ मार खाते हैं, आप सबको मालूम है। एक अन्‍य प्रश्‍न पर कि यूपीए सरकार के समय राहुल गांधी चाहते थे कि खेल एसोसिएशनों पर से राजनीतिज्ञों का हस्तक्षेप खत्म हो और खिलाड़ियों को ही खेल एसोसिएशनों की कमान मिले, के उत्तर में श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि हम समर्थन तब भी देने को तैयार थे और आपका बिल्‍कुल कहना सच है कि न सिर्फ हमारे घटक दल बल्कि एक राजनैतिक रूप से इससे आम स‍हमति नहीं बन सकी थी तब, लेकिन आप बिल्‍कुल सही कह रहे हैं आपके (भाजपा) पास प्रचण्ड बहुमत है, आपका मन आता है, आप सुबह उठते हैं और आपको लगता है एक लॉ बन जाना चाहिए, आप लॉ ऑर्डिनेंस से बना देते हैं और अध्‍यादेश से वो पारित होकर कानून बन जाता है, लेकिन रेसलिंग फेडरेशन तो छोड़ दीजिए, मैंने तो आपको हिन्‍दुस्‍तान के तमाम स्‍पोर्ट्स फेडरेशन्स, चाहे वो बैडमिंटन हो, चाहे वो टेबिल टेनिस हो, चाहे वो हॉकी हो, क्रिकेट हो, आर्चरी हो, राइफल हो, मैंने तो आपको सबके नाम गिना दिए और इस सब पर भाजप के नेता बैठे हुए हैं, तो डिफरेंस क्‍या है? पॉलिटिकल सहमति इस पर बननी चाहिए, ये एक अलग डिबेट है, लेकिन जो आज का मुद्दा है, वो बहुत बड़ा मुद्दा है। आपकी बात सही है, इस पर डिबेट होनी चाहिए,पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस जितनी कम हो, उतनी अच्‍छी बात रहेगी, लेकिन आज की डिबेट बहुत बड़ी डिबेट है, ये हिन्‍दुस्‍तान में पहले कभी नहीं हुआ है। ये ओलंपियन्स हैं, ये गोल्‍ड मेडलिस्‍ट हैं और ये बाहर आकर कह रहे हैं हमें यौन शोषण के लिए मजबूर किया जा रहा है और इस बात की सजा तो मिलनी ही चाहिए, इस बात से अवगत देश में सर्वोच्‍च पद पर बैठे हुए प्रधानमंत्री जी सवा साल से हैं और बृजभूषण सिंह अभी भी अपने पद पर बने हुए हैं और अभी भी प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं। मतलब मुझे समझ में नहीं आता है कि बेशर्मी की और असंवेदनशीलता की कोई हद है इस सरकार में? आपने अजय मिश्रा टेनी…, नैतिकता कहाँ है? नैतिक धुरी ये क‍हती है, आपका नाम आया और ऐसे आक्षेप में आया, आपको तुरंत रिजाइन कर देना चाहिए। लेकिन नैतिकता तो सर्वोच्‍च पद की भी पूछी जाएगी न, आज। जब विनेश फोगाट ने बोला कि मैंने प्रधानमंत्री को अक्‍टूबर 2021 में इस मामले से अवगत कराया था, तो मेरा सिर्फ एक सवाल है- मोदी जी ने क्‍या किया? क्‍यों आँख पर पट्टी डाले वो आज बैठे रहे कि ये खिलाड़ी सड़क पर सार्वजनिक रूप से उतरने को मजबूर हुए हैं? आज कुछ मीटिंग्‍स की जा रही हैं।

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