अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: एचएसईबी वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महासचिव सुनील खटाना ने देश की वित्तमन्त्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की बिजली के टैरिफ पोलिसी घोषणा की कड़े शब्दों में निन्दा की । सुनील खटाना ने कहा कि आज जब पूरा विश्व इस कोरोना जैसी महामारी के आपातकाल से जूझ रहा है । और देश का बहादुर बिजली कर्मचारी कोरोना वारियर्स के रूप में 24 घन्टे दिनरात देश को निर्बाध सेवाएँ दे रहा है । अभी तक पूरे देश मे एक भी ऐसा मामला सामने नही आया जहाँ देखा गया हो बिजली की आपूर्ति में बाधा से किसी कोरोना पीड़ित की जान गई हो । ऐसे समय मे देश की वित्तमन्त्री का क्वालिटी बिजली के नाम पर निजीकरण करने वाले बयान का हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्कर्स यूनियन पुरजोर विरोध करती है । संकट के इस समय में वित्तमन्त्री का यह बयान देश के लाखों बिजलीकर्मी कोरोना वारियर्स का अपमान है ।
सही मायने में तो सरकार आज इस संकट की घड़ी में आम जनमानस, कर्मचारी, किसान और छोटे उद्यमियों की कोई चिन्ता नही है। बल्कि निजीकरण व एफडीआई की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 फीसदी कर देश के बड़े पूंजीपतियों को इसका सीधा लाभ पहुँचाया है। आज सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़कर टैरिफ पोलिसी के नाम पर जो बिजली का निजीकरण करने जा रही है। इसका सीधे तौर पर असर आने वाले समय मे देश के करोड़ों गरीब उपभोक्ताओं , किसानों, छोटे उद्यमियों और आम जनमानस के जीवन पर पड़ेगा। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की 70% आबादी कृषि करती है । यदि बिजली का निजीकरण होता है। तो इसकी सबसे ज्यादा गरीब मार किसानों को पड़ेगी। इसके साथ साथ गरीब लोगों को स्मार्ट बिजली मीटर के लग जाने और रिचार्ज खत्म हो जाने पर अँधेरे में रात गुजारनी पड़ेगी। इसके साथ सरकार बिजली के क्षेत्र में जो सरकारी रोजगार मुहैया कराती है। वह भी समाप्त हो जायेगा । और जो सब्सिडी बिजली क्षेत्र में देती है।
वह भी इस निजीकरण के आने से प्रभावित होगी । बिजली के निजीकरण से आम लोगों की समस्याएँ बढ़ेंगी व सरकार की जवाबदेही घटेगी और 24 घन्टे क्वालिटी बिजली के नाम पर बिजली आम जनता की पहुँच से दूर हो जाएगी । बिजली क्षेत्र को बाजार के अधीन करने से आने वाले समय मे बिजली का संकट और भी गहराएगा । निजी कंपनियां सरकार व उपभोक्ताओं को ब्लैकमेल करेंगी फिर सरकार को मजबुरन निजी कंपनियों के आश्रय पर आश्रित होना पड़ेगा । सरकार का फर्ज है कि सभी उपभोक्ताओं को सस्ती व वहनीय दरों पर बिजली मुहैया करवाये जबकि निजी कंपनियां अपने मनमाने रेट बढ़ाने के लिये पूर्णरूप से स्वतन्त्र होंगी । सरकार समय समय पर गरीब उपभोक्ताओं और किसानों को सब्सिडी देकर बिजली सस्ते दामों पर देती है । जबकि निजी कंपनियों का काम केवल मुनाफा ही कमाना होगा । इसीलिये सरकार को बिजली के निजीकरण का फैसला तुरन्त वापिस लेना चाहिये अन्यथा निकट भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम देखने को मिलेंगे ।