अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:पिछले चार दशकों से अंग्रेजी भाषा व साहित्य के संवर्धन, साहित्यिक कौशल, शिक्षण कार्यों को ध्यान में रखते हुए प्रोफेसर अरुण कुमार झा को ‘विश्व साहित्य शिक्षक पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।
प्रो एके झा को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जनसंचार कौशल के लिए काम कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था ब्रिटिश लिंगुआ की ओर से प्रदान किया गया है । गौरतलब बात है कि बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री लोकेश नाथ झा के बेटे- प्रो एके झा दिल्ली विश्वविद्यालय के अरबिंदो कॉलेज के अंग्रेजी विभाग में चौवालीस साल तक अध्यापन का कार्य किया है। वे एक प्रसिद्ध कवि भी हैं। उन्होंने संविधान व कानून पर दुनिया के पहले काव्य ग्रंथों की रचना की है। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में अद्वितीय काव्य कौशल लिए पूर्व में विश्व काव्य पुरस्कार-22 मिल चुका है ।
प्रो झा अपने अभिनंदन भाषण में देश भर के शिक्षण समुदाय को अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं से ऊपर उठकर आगे आने को कहा और विश्व दूरदर्शी की तर्ज पर राष्ट्र निर्माण में योगदान करने का आह्वान किया। राष्ट्र निर्माण में समृद्ध प्राचीन साहित्य की सक्रिय भूमिका की सराहना करते हुए प्रोफेसर झा ने आगे कहा कि भारत केवल भूमि का एक बड़ा हिस्सा नहीं है, बल्कि हमारी पवित्र मातृभूमि है । यह हमें विरासत में मिली है जो हमें अपनी फसलों, सब्जियों, फलों, प्राकृतिक उपहारों और अलग-अलग मौसमों के साथ खिलाती और पोषित करती है ।
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