अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी के संसद भवन में आज अपनी बात रखते हुए लाइव सुने। जैसे आप आप सबको मालूम है, पिछले 4 महीनों में हम भारत जोड़ो यात्रा में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक पैदल चले। 3,600 किलोमीटर तकरीबन और इस यात्रा में बहुत कुछ सीखने को मिला और जो जनता की आवाज, हिंदुस्तान की आवाज है, उसको गहराई से सुनने का मौका मिला।यात्रा की शुरुआत में मैंने सोचा था कि 3,500 किलोमीटर चलने हैं और मुश्किल है, मगर किया जा सकता है। आप भी राजनेता हैं, हम भी राजनेता हैं, हाँ, सेवक कह लीजिए और नॉर्मली आजकल की राजनीति में जो हमारा पुराना ट्रेडिशन था पैदल चलने का, वो आजकल हम सब लोग, हम भी, आप भी उस ट्रेडिशन को शायद भूल गए या उसका हम पालन नहीं करते हैं। मैं भी उसमें शामिल था, आप भी उसमें शामिल हैं, हम सब कोई गाड़ी में जाता है, कोई हवाई जहाज में जाता है, कोई हेलीकॉप्टर में जाता है, मगर पैदल कम चलते हैं। ठीक है और जब पैदल चला जाता है, (भाजपा सांसदों की टीका टिप्पणियों पर कहा) हाँ पैदल जाएंगे, सब जगह पैदल जाएंगे, घबराई मत। तो जब पैदल चला जाता है, मैं एक किलोमीटर की बात नहीं कर रहा हूं, 10 की नहीं कर रहा हूं, 25 की नहीं कर रहा हूं, मैं 200,300 या 400 किलोमीटर की बात कर रहा हूं। जब 200, 300 या 400 किलोमीटर चला जाता है, तब शरीर पर दबाव पड़ता है, दर्द होता है, मुश्किल आती है।
शुरुआत में चलते वक्त लोगों की आवाज सुन रहे थे हम, मगर हमारे दिल में ये भी था कि हम भी अपनी बात रखें। कोई हमारे पास आता था, कहता था कि मैं बेरोजगार हूं और हमें लगता था कि नहीं, हमें कहना चाहिए कि तुम बेरोजगार क्यों हो, कारण क्या है। उसमें हम विपक्ष का रोल भी प्ले कर लेते थे, आपकी भी बुराई कर देते थे। मगर थोड़ी देर चलने के बाद एक बदलाव आया और जो हमारी आवाज थी, जो ये डिजायर था बोलने का भैया बेरोजगारी इसलिए है, महंगाई इसलिए है, वो बिल्कुल बंद हो गई, कि हमने इतने लोगों से बात की,मतलब हजारों लोगों से बात की, बच्चों से, बुजुर्गों से, महिलाओं से, माताओं से, बहनों से की, कि थोड़ी देर बाद ये आवाज बिल्कुल बंद हो गई और फिर हम गहराई से और मैं खुल कर कह सकता हूं कि मैंने तो अपनी जिंदगी में इस प्रकार से कभी पहले सुना ही नहीं था,क्योंकि हम सब में थोड़ा सा अहंकार होता है कि हम ही बता दें, अपनी बात रख दें।तो आहिस्ता-आहिस्ता जब हम चले 500, 600 किलोमीटर बाद जनता की आवाज गहराई से सुनाई देने लगी और एक प्रकार से यात्रा इंडिविजुअल नहीं, यात्रा हमसे बोलने लगी। नहीं, गहरी बात है (टीका टिप्पणियों पर कहा)। आप समझने की कोशिश करो, यात्रा हमसे बोलने लगी। तो यात्रा हमसे बोलने लगी, कोई आता था, कहता था, युवक आता था, कहता था मैं बेरोजगार हूं, हम सवाल पूछते थे – क्या पढ़ा आपने? इंजीनियरिंग की, अब क्या करते हो। कोई कहता था मैं बेरोजगार हूं, कोई कहता था मैं ऊबर चलाता हूं, कोई कहता था मैं मजदूरी करता हूं। किसान आए हजारों, प्रधानमंत्री बीमा योजना की बात की कि हम पैसा भरते हैं। तूफान आता है, आंधी आती है, पैसा गायब हो जाता है। किसानों ने ये भी कहा कि हमारी जमीन छीन ली जाती है, हमें सही रेट नहीं मिलता। जमीन अधिग्रहण बिल जो था, वो लागू नहीं होता। आदिवासियों ने कहा, वनवासियों ने नहीं, आदिवासियों ने कहा कि जो ट्राइबल प्रावधान के अंतर्गत हमें दिया जाता था, वो आज छीना जा रहा है। तो बहुत सारी चीजें हमें सुनने को मिली। मगर मेन थ्रस्ट अगर मैं कहूं, मेन थ्रस्ट बेरोजगारी, महंगाई और किसान, उसमें एमएसपी थी, उसमें बीज की समस्या थी, किसान बिल की समस्या थी।
अग्निवीर की भी बात की लोगों ने। आपने अभी बोला कि अग्निवीर देश को फायदा पहुंचाएगा। मगर हिंदुस्तान का युवा जो 4 बजे दौड़ता है, आर्मी में भर्ती होने के लिए सुबह 4 बजे दौड़ता है, वो आपकी बात से सहमत नहीं है। उसने हमसे कहा कि पहले हमें 15 साल की सर्विस मिलती थी, पेंशन मिलती थी, अब 4 साल के बाद हमें निकाल दिया जाएगा, कुछ नहीं मिलेगा, पेंशन नहीं मिलेगी। सीनियर अधिकारियों ने कहा कि हमें तो लगता है कि ये जो अग्निवीर योजना है ये आर्मी के अंदर से नहीं आई, ये कहीं और से आई है, ये आरएसएस से आई है, ये होम मिनिस्ट्री से आई है। ये सीनियर आर्मी के लोगों ने कहा है, मैं नहीं कह रहा हूं, कि हमें लगता है कि आर्मी के ऊपर ये योजना थोपी गई है और ये आर्मी को कमजोर करेगी। आर्मी के जनरल ने हमें कहा, जो रिटायर्ड हैं, उन्होंने हमें कहा, राहुल जी हजारों लोगों को हम हथियार की ट्रेनिंग दे रहे हैं और थोड़ी देर बाद उनको समाज में डाल रहे हैं, बेरोजगारी है, समाज में हिंसा बढ़ेगी। तो उनके मन में था कि ये जो अग्निवीर योजना है, ये आर्मी के अंदर से नहीं आई है और मुझे नाम भी बताया कि अजीत डोभाल जी ने ये योजना आर्मी पर थोपी है। (क्यों नहीं ले सकते हैं, बिल्कुल ले सकते हैं)। तो इंटरेस्टिंग बात ये है कि मैंने फिर प्रेसिडेंट एड्रेस पढ़ा। देश के सब युवा- अग्निवीर, अग्निवीर, अग्निवीर बोल रहे हैं।कह रहे है कि ये आर्मी के ऊपर थोपा गया है, हमें नहीं चाहिए, आर्मी के लोग कह रहे हैं कि ये हमें नहीं चाहिए। जैसे मैंने कहा आर्मी को लगता है कि होम मिनिस्ट्री ने इनके ऊपर थोपा है, आरएसएस ने इनके ऊपर थोपा है, तो ये आवाजें आ रही हैं। तो मुझे एक फर्क दिखा, प्रेसिडेंट एड्रेस में बहुत सारी चीजें बोली गई। अग्निवीर के लिए एक लाइन थी, एक शब्द था, एक बार अग्निवीर शब्द का प्रयोग किया गया और वो भी अग्निवीर योजना हमने दी, उससे ज्यादा कुछ नहीं बोला। कहाँ से आई, कौन लाया, किसको फायदा होगा, ये नहीं बोला। बेरोजगारी शब्द ही नहीं था उसमें। आपने देखा होगा, बेरोजगारी शब्द ही नहीं था प्रेसिडेंट एड्रेस में, महंगाई शब्द ही नहीं था। तो जो यात्रा में हमें सुनने को मिला अग्निवीर, महंगाई, किसान, बेरोजगारी, प्रेसिडेंट एड्रेस में था ही नहीं। तो ये मुझे थोड़ा अजीब लगा कि जनता कुछ कह रही है और प्रेजिडेंट एड्रेस में कुछ और सुनाई दे रहा है।अच्छा एक और चीज हमें बताई गई। तमिलनाडु से लेकर केरल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, सब जगह, एक नाम सब जगह हमें सुनने को मिला – अडानी। ये नाम पूरे हिंदुस्तान में- केरल में, तमिलनाडु में, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हिमाचल, कश्मीर सब जगह अडानी, अडानी, अडानी, अडानी। इस नाम के बारे में जब लोग बोलते थे मुझसे, तो दो-तीन सवाल पूछते थे। ये पूछते थे कि ये जो अडानी जी हैं ये किसी भी बिजनेस में घुस जाता है, ये सफलता प्राप्त कर जाता है, ये कभी फेल नहीं होता और युवाओं ने मुझसे ये सवाल पूछा कि ये हो क्या रहा है, हम भी सीखना चाहते हैं। मोदी जी ने कहा स्टार्ट अप करो, हम भी अडानी जी जैसा बनना चाहते हैं कि भईया, किसी भी बिजनेस में घुस जाओ और एक दम सक्सेस हो जाते हैं। ये पहला सवाल था।
दूसरा सवाल था कि ये अडानी जी हैं ये किसी भी बिजनेस में घुस जाते हैं। पहले ये एक-दो बिजनेस करते थे, अब ये 8-10 सेक्टर में काम करते हैं – एयरपोर्ट, डेटा सेंटर, सीमेंट, सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी, एरो स्पेस एंड डिफेंस, कंज्यूमर फाइनेंस, रिन्यूबल एनर्जी, मीडिया। तो उन्होंने मुझसे पूछा कि राहुल जी, (हाँ, धन्यवाद, धन्यवाद) पोर्ट की बात भी थी। ये भी सवाल पूछा कि भैया एक बात बताइए, राहुल जी बताइए हमें कि अडानी जी का जो नेटवर्थ है, वो 2014 से लेकर 2022 तक ये 8 बिलियन डॉलर से 140 बिलियन डॉलर कैसे हो गया? ये 2014 में ( मुस्कुरा रहे हैं आप, बीजेपी में हैं ना आप) तो ये लिस्ट आती है, एक लिस्ट आती है दुनिया के सबसे अमीर लोगों की। इसमें ये 609 नंबर पर थे 2014 में, पीछे बिल्कुल। पता नहीं जादू हुआ, दूसरे नंबर पर पहुंच गए। तो मुझसे पूछा, बहुत सारे लोगों ने पूछा कि भइया राहुल जी बताइए हिमाचल में सेब की बात होती है, अडानी जी। कश्मीर में सेब की बात होती है, अडानी जी। पोर्ट की बात होती है, अडानी जी। एयरपोर्ट की बात होती है, अडानी जी, इन्फ्रास्ट्रक्चर- अडानी जी। तो लोगों ने ये भी पूछा कि राहुल जी ये अडानी जी जो हैं, इनकी सफलता कैसे हुई? ये इतने बिजनेस में कैसे घुस गए, इतनी सफलता कैसे प्राप्त हुई और सबसे जरुरी सवाल इनका हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री के साथ क्या रिश्ता है और कैसा रिश्ता है? तो ये देखिए, रिश्ता (अडानी और प्रधानमंत्री की एक निजी विमान में यात्रा करते हुए फोटो दिखा कर राहुल गांधी ने कहा) स्पीकर सर, नहीं, वो फोटो है सर, पोस्टर नहीं हैं। प्राइम मिनिस्टर की फोटो है सर, उस पर उनका बहुत अच्छा चेहरा दिख रहा है। उनके वहाँ पर पीछे अडानी जी का लोगो है, अडानी जी के हवाई जहाज में घुस रहे हैं। तो मैंने सोचा कि आज के प्रेसिडेंट एड्रेस में, मैं थोड़ा जो नरेंद्र मोदी जी और अडानी जी का रिश्ता है, उसके बारे में आपको थोड़ा बता देता हूं।