अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
जयराम रमेश ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं, हमारे संगठन के प्रभारी, केसी वेणुगोपाल हैं और हमारे राजस्थान के प्रभारी अजय माकन हैं। आज जैसा कि आप जानते हैं, दिल्ली में और हर एक राज्य में विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया है कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ, बढ़ती हुई महंगाई, चिंताजनक बेरोजगारी और मूर्खतापूर्ण लगाई हुई जीएसटी। इसके बारे में राहुल गांधी आपसे बात करेंगे। Rahul Gandhi said – How are you enjoying the onset of dictatorships in India, are you enjoying it? लोकतंत्र की जो मौत हो रही है। उसके बारे में क्या लगता है आपको? क्या महसूस हो रहा है कि जो इस देश ने 70 साल में बनाया, उसको 8 साल में खत्म कर दिया गया है। आज हिंदुस्तान में लोकतंत्र नहीं है। आज हिंदुस्तान में चार लोगों की डिक्टेटरशिप है।
हम महंगाई के मुद्दे उठाना चाहते हैं, बेरोजगारी का मुद्दा उठाना चाहते हैं, जो समाज को बांटा जा रहा हैं, उसके बारे में हम चर्चा करना चाहते हैं। यहाँ करना चाहते हैं, पार्लियामेंट हाउस में करना चाहते हैं। हमें ना बोलने दिया जाता है, पार्लियामेंट हाउस में हमें डिबेट अलाऊ नहीं की जाती है, हमें अरेस्ट किया जाता है। ये आज हिंदुस्तान की हालत है।
Rahul Gandhi said- Look! What we are witnessing is the death of democracy, that’s what India is witnessing. What India has built brick by brick, starting almost a century ago, is basically being destroyed in front of your eyes. All of you know it, the whole of India knows it. Anybody who stands against this idea of the onset of dictatorship, doesn’t matter who he is, where he comes from, which state, which religion, male-female, he is viciously attacked, put in jail, arrested, beaten up. The Idea is that people’s issues, whether they are price rise, unemployment, violence in society; people’s issues must not be raised that is the sole agenda of the government and the government is being run to protect the interest of 4 or 5 people, and the government, this dictatorship is being run in the interest of 2 or 3 big business people by two people.
अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल ने जो कहा, वो आप समझ रहे हैं कि देश में क्या हालात हैं। किसी ने, हमने कल्पना नहीं की थी कि कभी ये वक्त भी आएगा कि जब लोगों को डेमोक्रेसी को समाप्त होते देखना पड़ेगा। जिस रुप में धज्जियां उड़ रही हैं संविधान की, कोई कल्पना नहीं कर सकता।महंगाई हो, बेरोजगारी हो, जीएसटी हो, जो कुछ भी हो रहा है देश के अंदर, सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। ये पहली बार हो रहा है। यहाँ पर आप देखिए पार्लियामेंट चल रही है और आप खरगे साहब को, सोनिया जी को बुला रहे हैं। इसलिए मैंने उस दिन कहा था कि ईडी का आतंक है देश में। ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई, राहुल जी के नेतृत्व में गए थे हम। वहाँ सीबीआई के दफ्तर के बाहर, रात को दो बजे, ढाई बजे, आज तक सुना था कि सीबीआई छापे डालती है पुलिस पर, पहली बार पुलिस छापा डाल रही थी, सीबीआई पर ! तो देश में जो कुछ हो रहा है, वो खतरनाक खेल हो रहा है। डेमोक्रेसी खत्म हो रही है। अब समय आ गया है कि जनता को भी आगे आना पड़ेगा। आंदोलन कांग्रेस कर रही है, विपक्षी पार्टियां कर रही हैं, जहाँ जिनको सूट करे, वो साथ दे, वरना खुद के जो सामाजिक संगठन हैं, एनजीओ हैं, एक्टिविस्ट हैं, उनको भी कोई-न-कोई तरीके से सरकार के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा, मैं निवेदन करना चाहता हूं। आज जो ये आह्वान किया गया है पूरे देशभर के अंदर। लोगों को महसूस हो रहा है कि कितनी भारी महंगाई है, बेरोजगारी से हाहाकार मचा हुआ है, युवाओं के अंदर। जीएसटी के जो नए कारनामे हो रहे हैं रोज के रोज, वो आप देख रहे हैं। तो समय आ गया है कि मीडिया को भी हिम्मत दिखानी पड़ेगी।
राहुल गांधी ने जोड़ा कि मीडिया हिम्मत नहीं दिखा सकताहै। It is not possible.
अशोक गहलोत ने पुन: कहा कि जनता जान रही है, उसी प्रकार से मीडिया के मालिकों के ऊपर जो दबाव है इनकम टैक्स का, ईडी का, सीबीआई का उसको भी छोड़ना पड़ेगा। नेशनल हेराल्ड भी अखबार है। जब अगर एक न्यूजपेपर पर हमला हो सकता है, तो कभी भी किसी पर भी हो सकता है, दिमाग में रखिए ये बात। आज मीडिया के सामने बहुत बड़ी चुनौती है कि वो बोल नहीं पा रहा है, बोलना चाहिए उसको। राहुल जी ठीक कह रहे हैं कि हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है।हिम्मत अब नहीं दिखाएंगे, तो एक बात कहकर मैं अपनी बात समाप्त कर देता हूं। बातें कहने को मेरे पास बहुत हैं, राहुल जी बैठे हैं, पर एक बात कहकर मैं आपको अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं। जो मार्टिन निमोलर ने कहा था, जब जर्मनी में हिटलर की तानाशाही हुई थी और विपक्षी, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, अल्पसंख्यक को निशाने पर लेने लगे, वहाँ की जनता चुप रही। सोचती रही कि राजनीतिक लड़ाई है। 45 में जब हिटलर की तानाशाही चलने के कारण पूरा बर्बाद हो गया जर्मनी, वहाँ के लोगों को बहुत पछताना पड़ा। अगर समय रहते लोकतंत्र की आवाज उठाई जाती, तो सारा देश बर्बाद नहीं होता। बाकी आगे तो बातें कहने को बहुत सारी हैं, मैंने बहुत सारी बातें कही हैं। कहने का मतलब ये है कि आज अगर चुप रहेंगे, तो हमें इतिहास माफ नहीं करेगा। ये मैं कहना चाहता हूं, निवेदन करना चाहता हूं। एक बात कहकर मैं फिर बात खत्म करूँगा, पंडित नेहरु जी का जमाना था, उस जमाने को मैं याद दिलाना चाहता हूं मोदी जी को और इनके आरएसएस के इनके आकाओं को। राष्ट्रीय ध्वज जो हैं, एक पैरा पढ कर मैं बात समाप्त करुंगा – “हिंदुस्तान के राष्ट्रीय झंडे को अभी मैंने फहराया है”, पंडित नेहरु जी कह रहे हैं, “अभी मैंने फहराया है” 1929 के अंदर, मतलब पहली बार उन्होंने फहराया था। “इस झंडे का क्या मतलब है- ये हिंदुस्तान की आजादी के प्रतीकों में से एक है, ये हिंदुस्तान की एकता का प्रतीक है, लेकिन याद रखिए जब किसी मुल्क का झंडा फहराया जाता है, तो वो फिर तब तक झुकने नहीं दिया जाता है, जब तक मुल्क के अंदर एक भी आदमी जिंदा रहता है। आज आप लोग इस मौके पर इकट्ठे हुए हैं, जबकि राष्ट्रीय कांग्रेस अपना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अधिवेशन कर रही है, तो मुल्क की आजादी के लिए लड़ी जाने वाली लड़ाई में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाने जा रही है”, पंडित नेहरू जी कह रहे हैं। “आज जबकि आपने एक झंडा फहराया है, क्या आपके अंदर इस संकल्प