नई दिल्ली/ अजीत सिन्हा
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और मौजूदा बजट के बाद हो रही जनमानस को तकलीफ को लेकर,राहुल गांधी की इस विशेष पत्रकार वार्ता में आप सबका स्वागत है। मैं बगैर किसी विलंब के राहुल से अनुरोध करुंगा कि वो अपनी बात आपके समक्ष रखें। राहुल गांधी ने कहा- नमस्कार, मैं आज जो किसानों की समस्या है, जो दिल्ली के चारों और हो रहा है और बजट पर थोड़े प्वाइंट्स रखना चाहता हूं। सबसे पहला सवाल, सरकार किलाबंदी क्यों कर रही है? क्या ये किसानों से डरते हैं? क्या किसान दुश्मन है? मैंने कहा है कि किसान हिंदुस्तान की स्ट्रैंथ (strength) है, शक्ति है और उसको दबाना, मारना, धमकाना सरकार का काम नहीं है। सरकार का काम किसान से बात करने का है और इस समस्या को रिजोल्व (resolve) करने का है।
Today, Delhi is surrounded by our farmers. They are the people who give us sustenance; they are the people who work for us. Why is Delhi being converted into a fortress? Why have we threatening our farmers, beating our farmers, killing our farmers? Why is the Government not talking to the farmers and why is the Government not resolving this problem? This Problem is not good for our country. It is not good for the peace and harmony of our country. It is not good for the future of our Kisaans, they need clarity.
The Prime Minister is saying that the offer is still on the table to postpone these laws for two years, what does that mean? Either you believe that you need to get rid of the laws or you don’t. So, I feel that this needs to be resolved as soon as possible and the government needs to listen because Kissans are not going away.
मैं किसानों को बहुत अच्छी तरह जानता हूं, ये नहीं जाएंगे, पीछे नहीं हटेंगे। अंत में सरकार को ही हटना पड़ेगा। फायदा है सबका कि आज हट जाएं। तो ये किसानों पर…।
मेरी एक्सपेक्टेशन थी बजट के बारे में कि सरकार हिंदुस्तान के 99 प्रतिशत लोगों को सपोर्ट देगी। ये बजट 1 प्रतिशत आबादी का बजट है, जो हमारे स्मॉल एंड मीडियम इंडस्ट्री के लोग हैं, जो हमारे वर्कर्स हैं, किसान हैं, जो हमारी फोर्सेस हैं, उन सबसे आपने पैसा छीन कर, लेकर उन्हीं 5-10-15 लोगों की पॉकेट में डाल दिया है। आप प्राइवेटाइजेशन की बात कर रहे हैं, वो भी फायदा उनको मिलेगा। हिंदुस्तान को किस चीज की जरुरत है – हिंदुस्तान को अपनी जनता के हाथ में पैसे डालने की जरुरत है, क्यों – क्योंकि अगर हम अपनी अर्थव्यवस्था को चालू करना चाहते हैं, तो वो कंजम्पशन (consumption) से ही होगी, वो सप्लाई साइड से नहीं हो सकती है। तो अगर सरकार ने न्याय योजना जैसा काम किया होता, अगर स्मॉल-मीडियम इंडस्ट्रीज को पैसा दिया होता, उनको प्रोटेक्ट किया होता, इकोनॉमी चालू हो सकती थी। सप्लाई साइड में पैसा देने से इकोनॉमी चालू नहीं होगी। ये इसको ट्राई करते जा रहे हैं, करते जा रहे हैं, 1 प्रतिशत को पैसा देते जा रहे हैं, सोचते हैं कि हिंदुस्तान की इकोनॉमी स्टार्ट होगी, नहीं होगी। ये रियलिटी है।
और सबसे जरुरी बात – मेरे लिए सबसे जरुरी बात, चीन, हिंदुस्तान के अंदर आता है। हजारों किलोमीटर हमारी जमीन ले जाता है और आप चीन को बजट में क्या मैसेज देते हो कि हमारा डिफेंस एक्सपेंडिचर हम नहीं बढ़ाएंगे? तीन- चार हजार करोड़ आपने बढ़ाया, चीन को आपने क्या मैसेज दिया कि आप अंदर आ सकते हो, आपको जो करना है करो, हम अपनी सेना को नहीं सपोर्ट करेंगे। जो हमारे जवान लद्दाख में हैं, जो हमारे एयरफोर्स के पायलटस हैं, उनको आज क्या लग रहा होगा कि हमारे सामने इतनी बड़ी कठिनाई है और हमारी सरकार फोर्सेस को पैसा नहीं दे रही है और जो हमारा है, फोर्सेस का है, वो उन्हीं 5- 10 लोगों को पैसा दिया जा रहा है। इससे देश को फायदा नहीं होने वाला है। मैं दोहरा रहा हूं। इससे देश को फायदा नहीं हो रहा है। इस समय फोर्सेस की कमिटमेंट सेंट-पर्सेंट है। सरकार की कमिटमेंट 110 प्रतिशत होनी चाहिए। मतलब जो भी हमारी सेना को चाहिए, जो भी हमारे एयरफोर्स को चाहिए, जो भी हमारी नेवी को चाहिए, सरकार को देना चाहिए। ये कौन सी देशभक्ति है कि सर्दी में, लद्दाख में हमारी सेना खड़ी है और आप उनको पैसा नहीं दे रहे हो? ये कौन सा नेशनलिज्म है?
एक प्रश्न पर कि प्रधानमंत्री द्वारा ऑल पार्टी मीटिंग में प्रधानमंत्री ने ये कहा कि अगर किसान संगठन आएं, तो बात कर सकते हैं?राहुल गांधी ने कहा कि नहीं- नहीं बात तो कर सकते हैं, मगर किसानों का मुद्दा क्या है – किसानों का मुद्दा ये है कि इन कानूनों को वापस लीजिए। और कोई इशू तो है ही नहीं। देखिए, हुआ क्या – सरकार ने नोटबंदी की, सरकार ने जीएसटी लागू की, एग्रीकल्चर पर जीएसटी लागू की। आपने हिंदुस्तान की इकोनॉमी को नष्ट कर दिया। उसके बाद कोविड आ गया और जबरदस्त डैमेज हुआ। ब्राईट स्पॉट क्या था, जब हमारी स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस, बड़े-बड़े बिजनेस को कोविड से चोट लगी थी। ब्राईट स्पॉट क्या था- ब्राईट स्पॉट एग्रीकल्चर था। आपको याद होगा कुछ महीने पहले, agricultural is the bright spot, मतलब किसानों ने काम कर लिया, किसानों ने हिंदुस्तान को बचाया। अब आप उनकी जिंदगी नष्ट कर रहे हो। वो हमारी रीढ़ की हड्डी है और वापस आप उनको मार रहे हैं और फिर आप कह रहे हैं कि one phone call away, मतलब क्या one phone call away का? वो प्रधानमंत्री से बातचीत थोड़े ही ना करना चाहते हैं। वो ये जो कानून हैं, उसको वापस लेना चाहिए प्रधानमंत्री जी को। उसमें बातचीत क्या है उसमें? तो जो एक हिंदुस्तान का ब्राईट स्पॉट था, उसको भी आपने तोड़ दिया। क अन्य प्रश्न पर कि बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटीज ने इस किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया है, जिस पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया आई है, कि ये सही नहीं है, उस पर आप क्या कहेंगे? श्री राहुल गांधी ने कहा कि इसमें मुझे इंट्रस्ट नहीं है। कोई अपोनियन नहीं है मेरा। ये हमारा इंटरनल मैटर है, ये किसानों का मैटर है। बात क्लीयर है कि ये जो कानून हैं, ये वापस लेने हैं।
On a question that the manner in which the basic rights of farmers are being crushed, Do not you think that India’s international image has taken a suffering, Shri Rahul Gandhi said- Absolutely, Absolutely! The reputation of India has taken a massive hit. Not only on how we are treating our farmers, on how we treat our own people, how we treat journalists, it has taken a massive hit. Our biggest strength, you can call it soft power, has been shattered by the BJP and the RSS. That is their mind set.
एक अन्य प्रश्न पर कि किसानों को जिस तरह से भाजपा समर्थित लोगों द्वारा आतंकवादी बोला जा रहा है, उस पर क्या कहेंगे? श्री राहुल गांधी ने कहा कि तो आपका कहना है कि जो इस देश में खेती करता है, वो आतंकवादी हैं। मतलब देश के 60 प्रतिशत लोग आतंकवादी हैं। क्या सिर्फ आर.एस.एस. के लोग आतंकवादी नहीं हैं, बाकी सब आतंकवादी हैं? ये किसान हैं, ये अपना हक मांग रहे हैं। सिंपल सी बात है, आप उनका हक छीन कर अपने 5-7 मित्रों को देना