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रणदीप और बिजेंद्र बोले: “बेटी रुलाओ, बेटी सताओ और बेटियों को घर बिठाओ’’ बनी भाजपा सरकार की खेल नीति-सुने वीडियो में 


नई दिल्ली /अजीत सिन्हा
रणदीप सिंह सुरजेवाला व विजेंदर सिंह (बॉक्सर) का बयानः

ब्रजभूषण का तंत्र + मोदी सरकार का सहयोगी मंत्र = न्याय से षडयंत्र!

किसान की पहलवान बेटी की आँख से निकला हर आँसू मोदी सरकार की बेशर्मी का प्रमाण!

‘‘बेटी रुलाओ, बेटी सताओ और बेटियों को घर बिठाओ’’ बनी भाजपा सरकार की खेल नीति!

खिलाड़ियों के आँसुओं, बेटियों की बेबसी, खेलों से खिलवाड़ पर संसद व सरकार चुप क्यों?

पहलवान बेटियों से यौन शोषण के आरोपी, भाजपा सांसद ब्रज भूषण के असिस्टैंट व ‘नॉमिनी’, संजय सिंह के चुनाव के बाद कुश्ती में ओलिंपिक पद जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान व किसान की बेटी साक्षी मलिक द्वारा खेल से सन्यास की घोषणा भारत के खेल इतिहास का ‘‘काला अध्याय’’ है। चैंपियन महिला पहलवानों के साथ ‘ज्यादती व अन्याय’ के लिए सीधे मोदी सरकार दोषी है। यह दर्शाता है कि न्याय की आवाज उठाने वाली बेटियों को रिटायरमेंट के लिए मजबूर कर घर भेज दिया जाएगा, और दोषी सत्ता की शहतीरों से कहकहे लगाएंगे, और बेटियों की बेबसी तथा लाचारी का मजाक उड़ाएंगे। शायद इसीलिए यौन शोषण के आरोपी, ब्रजभूषण सिंह ने कुश्ती संघ के चुनाव के बाद कहा, ‘‘दबदबा था, दबदबा रहेगा’’। यही नहीं, न्याय की गुहार लगा रही बेटियों को चिढ़ाते हुए तथा न्याय की उम्मीद कर रही देश की हर बेटी को साफ संदेश देते हुए भाजपा सांसद ब्रजभूषण सिंह ने बेटियों को नकारते हुए यह भी कह डाला कि, ‘‘…….जो पहलवान राजनीति करना चाहते हैं, वो राजनीति करें, और जो कुश्ती करना चाहते हैं, वो कुश्ती करें…’’। मोदी सरकार ने साबित कर दिया कि असली नारा है, कि ‘‘बेटी रुलाओ, बेटी सताओ और बेटियों को घर बिठाओ’’ बनी भाजपा सरकार की खेल नीति!’’

देश का दुर्भाग्य है कि रोहतक के मोखरा गाँव में जन्मी हरियाणा के एक साधारण किसान परिवार की बेटी देश के लिए ओलिंपिक मेडल लाने तक पहुँची, और आज मोदी सरकार के ‘‘दबदबे’’ ने उसे वापस घर जाने पर मजबूर कर दिया। देश की पहलवान बेटियाँ न्याय मांगने के लिए 39 दिन तक तपती दोपहरी में जंतर-मंतर पर बैठ संसद के दरवाजे पर दस्तक देती रहीं, सिसकती रहीं, पर भाजपा सरकार ने उन्हें न्याय देने की बजाय दिल्ली पुलिस के जूतों से कुचलवाया और सड़कों पर घिसटवाया। यह हाल तब है जब महिला पहलवानों ने खुद के साथ हुई ज्यादतियों की शिकायत प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और खेलमंत्री तक से की थी। उस समय भी देश की बेटियों को सिर्फ एक एफआईआर दर्ज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगानी पड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भाजपा की दिल्ली पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज की, लेकिन गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज होने की दुहाई दे भाजपा सांसद ब्रज भूषण की गिरफ्तारी नहीं की। इससे बड़ी राष्ट्रीय शर्म की बात क्या होगी कि पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाली पहलवान बेटियों को न्याय मांगने के लिए अपने मेडल तक गंगा मैया में बहाने जैसा कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। कारण केवल इतना है कि भाजपा सांसद ब्रज भूषण सिंह को मोदी सरकार का दुलार प्राप्त है। भारतीय कुश्ती संघ ही नहीं, बीसीसीआई से लेकर देश के सभी खेल संघों पर मोदी सरकार व भाजपाई नेताओं को कब्जा है। एक तरफ भाजपा सरकार कहती है कि उन्होंने खेल संघों को राजनैतिक हस्तक्षेप से मुक्त कर दिया, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी कि पहलवान बेटियों के साथ इतने बड़े अत्याचार के बाद भी भाजपा सरकार अपने चहेते सांसद ब्रजभूषण के कब्जे से भारतीय कुश्ती संघ को नहीं छुड़वाना चाहती। क्या इस देश में मोदी जी को एक भी महिला खिलाड़ी या सज्जन व्यक्ति नहीं मिला, जो भारतीय कुश्ती संघ की कमान संभाल सके। अगर यही आलम रहा तो फिर बेटियाँ और उनके परिवार किस पर विश्वास कर अपनी बेटियों को देश के लिए खेलने भेजेंगे? यह अत्याचार केवल साक्षी मलिक और अन्य पहलवान बेटियों पर नहीं हुआ, इस अत्याचार ने देश की करोड़ों बेटियों की उम्मीद तोड़ी है, और इसके लिए मोदी सरकार जिम्मेवार है।

देश की बेटियों के सवाल ये भी हैंः-

o मोदी सरकार चुप क्यों है?

o देश की संसद किसान की पहलवान बेटियों की सिसकियों और आँसुओं पर चुप क्यों है?

o देश का खेल जगत और उसकी नामी-गिरामी हस्तियाँ चुप क्यों हैं?

तो क्या यह मान लिया जाए कि अब ‘‘दबदबा’’, ‘‘डर’’, ‘‘भय’’ व ‘‘अन्याय’’ ही न्यू इंडिया में नॉर्मल है।

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