अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरूग्राम:मिलेनियम सिटी में सार्वजनिक यातायात व्यवस्था को बेहतर करने के प्रयासों के तहत डीसी निशांत यादव ने बुधवार को द्वारका एक्सप्रेसवे के साथ सीही गांव में प्रस्तावित आईएसबीटी के लिए चिन्हित लैंड साइट का निरीक्षण कर राजस्व अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बता दें कि द्वारका एक्सप्रेसवे के साथ लगते सेक्टर 36ए में 15 एकड़ जमीन पर दिल्ली के आईएसबीटी की तर्ज पर बस टर्मिनल बनाया जाएगा। डीसी के निरीक्षण दौरे में जीएम रोडवेज प्रदीप अहलावत,एचएसआईडीसी के डीजीएम अरुण गुप्ता सहित मानेसर की तहसीलदार नवनीत कौर मौजूद रही। डीसी निशांत कुमार यादव ने उपस्थित अधिकारियों से कहा कि सेक्टर 36ए में हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एचएसआईडीसी) के पास सार्वजनिक उपयोगिता के लिए लगभग 147 एकड़ जमीन है। जिसमें से पीपीपी मॉडल के तहत 15 एकड़ जमीन परिवहन विभाग को ट्रांसफर की जानी है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त जमीन के बीच में एक हेली हब भी प्रस्तावित है। ऐसे में ट्रांसपोर्ट विभाग अपनी व यात्रियों की सुविधा के हिसाब से 15 एकड़ जमीन को चिन्हित कर लें। उन्होंने तहसीलदार मानेसर को निर्देश देते हुए कहा कि वे दिल्ली जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग व इलान मॉल के तरफ 15-15 एकड़ जमीन को चिन्हित कर उसका नक्शा शुक्रवार तक उनके कार्यालय में भिजवाना सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि उपरोक्त नक्शे के आधार पर राज्य सरकार के पास दोनों विकल्प भेजे जाएंगे। जिसमें सरकार द्वारा एक नक्शे की मंजूरी मिलने के उपरांत प्रोजेक्ट की आगे की प्रगति सुनिश्चित की जाएगी। डीसी ने बताया कि शहर के बीच बने पुराने बस अड्डे के भवन में प्रशासनिक भवन में कर्मचारियों के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। बसों की आवाजाही के कारण भी यहाँ अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। चूँकि जिले की आबादी बढ़ रही है, इसलिए एक बड़े और अधिक आधुनिक आईएस बीटी की आवश्यकता थी। जोकि जल्द ही धरातल पर फलीभूत होने जा रही है। उन्होंने कहा कि सीही गांव में बनने वाला यह नया आईएसबीटी द्वारका एक्सप्रेसवे, एसपीआर, प्रस्तावित ग्लोबल सिटी, हेलीपोर्ट और दिल्ली-गुड़गांव राष्ट्रीय राजमार्ग व रेलवे स्टेशन के करीब होने के चलते अधिक व्यवहार्य होगा।जीएम रोडवेज प्रदीप अहलावत ने उपरोक्त प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि पीपीपी मॉडल पर तैयार किए जाने वाले इस आईएस बीटी में जमीन एचएसआईडीसी द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं निर्माण का खर्च परिवहन विभाग द्वारा वहन किया जाएगा। इसमें 51 प्रतिशत हिस्सेदारी परिवहन विभाग व 49 प्रतिशत हिस्सेदारी एचएसआईडीसी के पास रहेगी।
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