अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम:हरियाणा के गुरुग्राम में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित व राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित ‘सरस आजीविका मेला 2024’ के प्रति लोगों का उत्साह लगातार बढ़ता जा रहा है। देसी कला, संस्कृति और हस्तशिल्प के इस अनूठे महोत्सव ने गुरुग्राम वासियों को न सिर्फ भारतीय लोक कलाओं से रूबरू कराया है, बल्कि उन्हें ग्रामीण भारत की समृद्ध धरोहर से भी जोड़ा है। इस वर्ष मेले का आकर्षण और भी खास है, क्योंकि देशभर से आए कारीगर और शिल्पकार अपनी नायाब वस्तुओं और कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरस मेले में हर दिन बढ़ती भीड़ इस बात का प्रमाण है कि लोग इस आयोजन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। मेला स्थल पर विभिन्न प्रकार की वस्तुएं, जैसे हस्तनिर्मित कपड़े, मिट्टी के बर्तन, जैविक खाद्य पदार्थ, और अन्य ग्रामीण उत्पाद लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। हर आयु वर्ग के लोग मेले में उमड़ रहे हैं और पारंपरिक वस्त्र, आभूषण, और घरेलू सजावट से लेकर स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे हैं।मेले के आयोजकों का कहना है कि इस बार सरस मेले में प्रदर्शकों और दर्शकों की संख्या में पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह मेला ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच साबित हो रहा है, जहां वे अपने उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचा रही हैं। सरकार की विभिन्न योजनाओं और स्वयं सहायता समूहों की मदद से ये महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और अपनी पहचान बना रही हैं। सरस मेला न केवल ग्रामीण शिल्प और कला का उत्सव है, बल्कि यह शहरी और ग्रामीण भारत के बीच सेतु का काम भी कर रहा है। मेले में आए लोग न केवल उत्पादों की खरीदारी कर रहे हैं, बल्कि ग्रामीण जीवन की झलक भी देख रहे हैं। गुरुग्राम वासियों के उत्साह और सक्रिय भागीदारी ने इस मेले को और भी जीवंत बना दिया है। आने वाले दिनों में मेले में और भी ज्यादा भीड़ उमड़ने की उम्मीद है, जिससे यह आयोजन और भी सफल होने जा रहा है।
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