अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़; हरियाणा में हिंसक अपराध नियंत्रण तथा हरियाणा पुलिस में क्षमता निर्माण करने के उद्देश्य से पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने प्रदेश भर के पुलिस महानिरीक्षकों, पुलिस आयुक्तों तथा पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की। इस दौरान उन्होंने विदेशो में भेजने के नाम पर ठगी करने वाले एजेंटों पर कार्रवाई करने तथा नशा मुक्ति को लेकर जिलों में किए जा रहे कार्यों की भी समीक्षा की। उच्चस्तरीय शस्त्र प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण का आधारः बैठक की अध्यक्षता करते हुए पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने कहा कि प्रदेश में हिंसक अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस कर्मियों का उच्च स्तरीय व गहन हथियार संचालन प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है ताकि उचित परिस्थितियों में नागरिकों की सुरक्षा हेतु उनका इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे अपने जिलों में तैनात अच्छे युवा पुलिसकर्मियों का साक्षात्कार करते हुए उनका चयन करें और उनका अलग-अलग बैच बनाकर शस्त्र चलाने का उन्नत प्रशिक्षण दिलवाना सुनिश्चित करें।
वे इसके लिए अच्छे प्रशिक्षकों का चुनाव करें ताकि उच्च गुणवत्ता की ट्रेनिंग दी जा सके। उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए पुलिस मुख्यालय से भी कोर्स डिजाइन करके जिलों में भिजवाया गया है। इस दौरान उन्हें सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग भी दी जाएगी। प्रशिक्षण में पुलिसकर्मियों को अलग-अलग स्थिति में किस प्रकार कार्य करना है, इसके बारे में भी बताया जाएगा। पुलिस अधीक्षक इस कोर्स को अपने जिले की स्थानीय समस्याओं के अनुरूप भी डिजाइन कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण 7 से 10 दिन का होना चाहिए। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस अधीक्षक यह ट्रेनिंग 21 अक्टूबर से शुरू करवाना सुनिश्चित करें। इससे जिलों में अपनी अच्छी स्वाट टीम भी तैयार होगी जो हिंसक अपराध नियंत्रण में प्रभावी तरीके से कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण करवाने के लिए एचपीए मधुबन तथा पीटीसी सुनारिया के प्रशिक्षण केंद्रों का भी चयन किया गया है। उन्होंने पुलिस अधीक्षकों को निर्देश देते हुए कहा कि वे क्षमता निर्माण के लिए अच्छे से अच्छा हथियार/उपकरण भी उपलब्ध करवाएं।इमीग्रेशन फ्रॉड करने वाले एजेंटों पर सख्तीः बैठक में कपूर ने विदेश भेजने के नाम पर लोगों के साथ ठगी करने वाले लोगों पर शिकंजा कसने के लिए भी अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे एजेंटों के नेक्सस को तोड़ने के लिए सभी गंभीरता से कार्य करें और इसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह समस्या 5-6 जिलों में ज्यादा देखी जा रही है। उन्होंने पुलिस अधीक्षकों को निर्देश देते हुए कहा कि वे अवैध इमीग्रेशन फ्रॉड के लिए निर्धारित फॉर्मेट में ही रिपोर्ट भेजना सुनिश्चित करें ताकि मॉनीटरिंग अच्छी हो और यदि विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी संबंधी कोई शिकायत प्राप्त होती है तो आरोपी एजेंट के खिलाफ निर्धारित एसओपी के अनुसार कार्यवाही करें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।मामलों की स्वयं मॉनीटरिंग करें पुलिस अधीक्षकः उन्होंने पुलिस अधीक्षकों से कहा कि वे ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग स्वयं करें और उनकी जांच के स्तर को भी पहले की अपेक्षा गहनता से करें। सभी इस कार्य को प्राथमिकता से लें क्योंकि इससे युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है। कई बार लोगों को विदेशो में धोखे से पहुंचा दिया जाता है और बाद में वे वहां जाकर आपराधिक गतिविधियों में पड़ जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसे मामलों में लापरवाही की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे इसे लेकर समय-समय पर स्वयं समीक्षा करेंगे कि ऐसे मामलों की कितनी शिकायतें आई हैं, कितनी एफआईआर हुई है, कितने अपराधी पकड़े हैं और कितने अपराधियों से रिकवरी करवाई गई है। उन्होंने यह भी बताया कि नए कानून में धोखाधड़ी करके विदेश भेजने वाले एजेंटों की घर, दुकान तथा अन्य प्रॉपर्टी को भी अटैच करने का भी प्रावधान है इसलिए ऐसे प्रावधानों का भी हमें उपयोग सुनिश्चित करना है।नशा मुक्ति को लेकर प्रगति की समीक्षा इसके साथ ही कपूर ने बैठक में नशा मुक्ति अभियान के तहत प्रदेश में किए गए कार्यों की प्रगति की भी समीक्षा की। डीजीपी ने पुलिस अधीक्षकों से 31 दिसंबर तक अपने-2 जिलों के गांवों तथा वार्डों को नशा मुक्त बनाने के लिए स्वयं के लक्ष्य निर्धारित करके इसे प्राप्त करने के निर्देश दिए। इस दौरान पुलिस अधीक्षकों ने उनके क्षेत्र में नशा मुक्ति को लेकर क्या-क्या काम हुए हैं उस बारे में विस्तार से बताया। डीजीपी ने कहा कि पुलिस अधीक्षक नशा मुक्ति को लेकर थाना अनुसार टीम बना लें। टीम के सदस्य डोर टू डोर जाएं और नशे से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज करवाना भी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से नशा मुक्ति को लेकर दो कार्य करने हैं। पहला, अपने क्षेत्र में नशा बिकने नहीं देना और नशा बेचने वालों के विरूद्ध कार्रवाई करनी है और दूसरा, नशे से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज करवाना है। यदि ये दोनों कार्य प्रभावी तरीके से हो गए तो गांव तथा वार्ड स्वतः ही नशामुक्त हो जाएंगे।पुलिस मुख्यालय में इस बैठक में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय कुमार सहित कई अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
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