अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: अधीर रंजन चौधरी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज सदन में हमारे रक्षा मंत्री,राजनाथ सिंह जी का लद्दाख के बारे में बयान पेश करने का दिन था। कल ही आप सबको पता चला, मुझे भी पता चला कि आज लद्दाख की घटना पर राजनाथ सिंह जी बयान देंगे। हमारी पार्टी, कांग्रेस पार्टी, हम उसूलों को मानते हैं और आप सबको पता है कि हमारे लिए, कांग्रेस पार्टी के लिए देश सर्वोच्च होता है, कंट्री इज सुप्रीम फॉर अस। हमारी जो सेना है, उनका जज्बा, हमारी सेना की बहादुरी हम सबका ताज होता है, मान है, हमें सेना पर गर्व है। वो सेना, जो सीना ताने हुए हमारी सरजमीं की रक्षा करती हैं, हमारी संप्रभुता की रक्षा करती हैं। आज इसलिए सदन में लगा कि घटना का जिक्र करते हुए रेजोल्यूशन (resolution) की बात कही गई, तो हम सबने हमारे फौजियों को सलाम जताने के लिए, सम्मान और श्रद्धा जताने के लिए एक मिनट का समय मांगा अंत में कहा कि आधा मिनट दे दो क्योंकि ये सम्मान हम भी जताना चाहते हैं।
सवाल तो बहुत कुछ हैं, पर हम जानते हैं कि सवालों का जवाब ये सरकार देने से इंकार करेगी। अगर नहीं करते तो 1962 साल में जब इंडिया-चीन वॉर हुआ था, उस समय विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी जी जो आज हमारे बीच नहीं है, उन्होंने ये मांग की थी जवाहरलाल नेहरु जी से कि चीन की सीमा में क्या हुआ, इंडिया-चीन वॉर में क्य़ा हुआ, इस विषय को लेकर सदन में चर्चा होनी चाहिए। तुरंत पंडित जवाहरलाल नेहरु जी, उस समय हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री ने सहमति जताई और लगातार दो दिन सदन में चर्चा हुई। यही परंपरा हमारे सदन में हम देखना चाहते थे। हम जानते हैं कि सदन में चर्चा करने में ये सरकार इंकार करेगी, हिचकिचाएगी, नहीं तो शुरु के दिनों से बार-बार यह गुहार लगाते आए हैं हम कि कोई भी रुल पर अंडर 190 रुल पर, मैंने तो नोटिस डाला है, एक नहीं दो, हमारी पार्टी को, हमारे जो सहयोगी हैं, जिन्होंने भी डाला है, हमारी उम्मीद थी कि कम से कम लद्दाख की सीमा की अहमियत के मद्देनजर सभी देशवासियों की एक साथ आवाज बुलंद करनी चाहिए कि देश हमारा सबसे आगे है, देश हित ही में हम सबका हित है,लेकिन ये सरकार के सामने हमारी कोई गुहार, कोई हमारी दर्खास्त, कोई हमारी गुजारिश, कोई इसका मूल्य नहीं है। हमें सदन के अंदर नहीं बोलने दिया गया। हम जानते हैं कि ये सरकार डरती है अगर कांग्रेस कोई सवाल पूछ ले, जवाब तो है नहीं, क्या कहेंगे, डरते हैं, क्योंकि आज जिस ढंग से राजनाथ सिंह जी ने सदन में अपना रेजोल्यूशन रखा है, उसमें सबसे पहले राजनाथ सिंह जी ने देश के प्रधानमंत्री की वाह-वाही
की , एक बार नहीं, बार-बार। देश के प्रधानमंत्री जी सीमा पर गए, हौसला बढ़ाया, बहुत सारी तारीफ उन्होंने की, लेकिन आज इस सदन में जब रेजोल्यूशन पास होते हैं, हमारी सेनाओं के लिए, देश की रक्षा के लिए तब तो कम से कम प्रधानमंत्री जी की मौजुदगी जरूरी थी।
प्रधानमंत्री जी आज क्यों नदारद रहे, जब इतना महत्वपूर्ण रेजोल्यूशन उन्हीं की सरकार ला रही है, वो भी हिंदुस्तान की संसद में, क्योंकि उनको डर है। ना कोई घुसा है, ना कोई घुसा हुआ है, ना कोई कैंप चीनी फौजियों ने कब्जा किया है ये बात मैंने नहीं, हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री जी ने कही थी, आप जानते हैं, वो भी गलवान घाटी में, हमारे 20 जवानों की शहादत पर, इसलिए उनके पास जवाब नहीं है, इसलिए वो सदन में चर्चा कराने में डरते हैं। अगर हमारा दिल साफ है, हमारे अंदर हिम्मत है, तो हम चर्चा से क्यों डरेंगे, ये सदन है किसलिए, ये सदन चर्चा के लिए, डिबेट,डिस्कशन, डॉयलोग , इसी के लिए सदन है, लेकिन उसका भी हमें कोई मौका नहीं मिला। हमने बार-बार ये गुहार लगाई कि कम से कम आज का जो रेजोल्यूशन है, उसमें सहमति जताने का मौका दिया जाए, हमारी फौज को सलामी हम भी देना चाहते हैं, हमारी फौज को सम्मान, श्रद्धा हम भी देना चाहते हैं, हमारी फौज पर हम सभी को नाज है, लेकिन हमें हमारी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। क्या करें, इसलिए मजबूरन हमारी बात रखने के लिए हमें खुले आसमान तले आपके सामने हाजिर होना पड़ा। क्योंकि अगर हमारी बात हमें सदन में रखने दी जाती तो शायद बीजेपी के ऊपर आसमान टूट पड़ता?
इसलिए उनका आसमान बचा कर रखा, उन्होंने और हमें हमारी बात रखने के लिए, खुले आसमान के तले आपके सामने हाजिर होना मजबूरी हो गया।