अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा -नमस्कार दोस्तों। आज कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई जी, लोकसभा और राज्यसभा के मेरे सम्मानित सांसद साथी माणिक टैगोर जी, राजीव सातव जी, गौरव गोगोई जी, जसबीर गिल डिंपा जी, हिबी ईडेन जी, हम सब आपके बीच में उपस्थित हैं। प्रधानमंत्री पद पर बैठे, प्रधानमंत्री के उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को झूठ बोलने, देश को बरगलाने से परहेज करना चाहिए। ऐसा कोई भी कार्य प्रधानमंत्री के लिए निंदनीय है और अशोभनीय भी, पर दुर्भाग्य से ये कहना पड़ेगा नरेन्द्र मोदी जी देश को झूठ बोल रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी जी झूठे हैं, किसान विरोधी हैं, खेत-मजदूर विरोधी हैं, खेत खलिहान पर आक्रमण बोल रहे हैं, खेती पर अतिक्रमण बोल रहे हैं। एक तरफ कोरोना महामारी की मार, दूसरी तरफ चीन से आमना-सामना किए हमारी सेना बहादुरी से खड़ी है और मोदी सरकार देश के किसान पर हमला बोल रही है। आज बिहार में प्रधानमंत्री ने बार-बार देश को बरगलाने के लिए ये कहा कि किसान विरोधी तीनों कानून किसान के पक्षधर कानून हैं। मोदी जी पांच सीधे सवालों का जवाब देश को और देश के किसान को दे दीजिए।
नरेन्द्र मोदी सरकार किसान का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने का षडयंत्र कानून के माध्यम से क्यों कर रही है? मोदी जी और उनके मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी, दोनों ही जो खेती नहीं करते, दोनों के नाम एक इंच खेती की जमीन नहीं,वो हमें और देश के किसान को पाठ पढ़ा रहे हैं और कह रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा। मोदी जी ये बताइए न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी कैसे देंगे और कहाँ देंगे, क्योंकि मंडियां तो खत्म हो जाएंगी, मंडियों में तो किसान की उपज आएगी ही नहीं, तो एमएसपी कहाँ मिलेगा और कैसे मिलेगा? मोदी जी ये जवाब दीजिए, एमएसपी किसको देंगे और कौन देगा? क्योंकि आप तो कहते हैं कि किसान जाकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों के गोदाम में अपनी फसल बेचेगा या उसके खेत में फसल बिकेगी, तो क्या फूड कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया 62 करोड़ किसानों के खेत में जाएगी, एमएसपी देने के लिए? तो कौन देगा और कैसे देगा?
दूसरा सवाल, मोदी जी, क्या आप जानते हैं, आप कहते हैं कि किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है, आपने बड़ा क्रांतिकारी कदम उठाया है, पर किसान तो पहले भी कहीं भी देश में बेच सकता है, पर क्या आप जानते हैं कि कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक 86.2 प्रतिशत किसान 5 एकड़ भूमि का मालिक भी नहीं, उससे कम का है और देश का 60 प्रतिशत किसान 2 एकड़ भूमि का मालिक है, उस 2 एकड़ भूमि के मालिक किसान के पास तो गांव से एपीएमसी के मंडी तक जाने का बस का किराया भी नहीं। जिसके पास बस का किराया भी नहीं, वो पंजाब से मद्रास और मद्रास से कोलकाता अपनी फसल कैसे ले जाकर बेच कर आएगा? क्या ये देश को बताएंगे?
तीसरी बात, आप कहते हैं कि मैंने किसान को आजाद कर दिया, वो अपनी फसल किसी को भी बेचे। किसान को तो आज भी एसडीएम और कलेक्टर के दफ्तर में कोई घुसने नहीं देता, पुलिस की चौकी में कोई घुसने नहीं देता, वो किसान बड़े-बड़े उद्योगपतियों के सामने खड़ा होकर वकील करके दो एकड़ का किसान, तीन और चार एकड़ का किसान, जो इस देश में है, वो एसडीएम और कलेक्टर के सामने बड़ी-बड़ी कंपनियों के सामने किस प्रकार से खड़ा हो पाएगा? आप कहते हैं कि मंडी के आढती, मंडी का व्यापारी बिचौलिया है, उसे खत्म करना है, क्या आप जानते हैं मोदी जी, जब आप मंडी में फसल लेकर जाते हैं, एपीएमसी में फसल लेकर जाते हैं, तो किसान की सामूहिक ताकत और संगठन के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर उसकी फसल के मूल्य का निर्धारण होता है, यही उसकी ताकत है, पर जब आप मंडी तोड़ देंगे, जब एपीएमसी एक्ट ही तोड़ देंगे, जब उसको अपनी फसल अपने खेत में बेचनी पड़ेगी, तो साढ़े 15 करोड़ किसान या कुल 62 करोड़ देश का किसान और खेत मजदूर अपने-अपने खेत में दो-दो एकड़ के लिए सामूहिक संगठन बनाकर रेट का निर्धारण कैसे करेगा और उन करोड़ों मजदूरों का क्या होगा जो मंडियों में काम करते हैं? उन लाखों-करोड़ों ट्रांसपोर्टर का क्या होगा, मुनीमों का क्या होगा, गरीबों का क्या होगा जो फसल को छानते हैं, साफ करते हैं और फिर एफसीआई को बेचते हैं? क्या आपने इस बारे में सोचा और प्रांतों की आय, वो मार्केट कमेटी की फीस से होती है, ग्रामीण विकास फंड से होती है, उससे गांव की सड़कें बनती हैं। कल भी हमने बताया कि अकेले पंजाब में 70 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें हमने मार्केट फीस से बनाई, जब ये पैसा ही खत्म हो जाएगा, तो गांव का विकास कौन और कैसे करेगा?
सच्चाई ये है कि ‘खेती खाएं, किसान को सताएं, मजदूर को रुलाएं, पूंजीपतियों को पैसा कमाएं, तो नरेन्द्र मोदी कहलाएं’। मोदी जी आप मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हाथ खेती और किसानों को गिरवी रखना चाहते हैं, ये नामंजूर है। एक आखिरी बात और कहेंगे, कुरुक्षेत्र के युद्ध में, इस धर्म युद्ध में सेनाएँ आमने – सामने खड़ी हैं, कौरव नरेन्द्र मोदी सरकार हैं, पांडव इस देश का किसान और खेत मजदूर है। कांग्रेस उस किसान के साथ पांडवों के पाले में खड़ी है। हम मोदी जी को ये भी कहेंगे कि महाभारत के युद्ध में दोनों तरफ सेनाएँ अब खड़ी हैं और बिसात बिछ चुकी है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी है, जो कौरव हैं इस देश के किसानों के विरोधी हैं और दूसरी तरफ किसान और खेत मजदूर पांडव खड़े हैं, कांग्रेस पांडवों के पाले में खड़ी है। अब केवल भारतीय जनता पार्टी को नहीं, अब सत्ता की चाश्नी और मलाई खा रहे हर राजनीतिक दल को निर्णय लेना पड़ेगा, नीतीश बाबू, जनता दल को ये निर्णय करना पड़ेगा, वो कौरवों के पाले में मोदी जी के साथ खड़े होंगे, किसान के विरोध में या किसान के पक्ष में? अकाली दल, बादल