अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम:आध्यात्मिकता के आने से कॉर्पोरेट लाइफ में भी सकून आ जाता है। प्रतिस्पर्धा से भरी कॉर्पोरेट लाइफ में प्रभु भक्ति से जुड़ाव सहजता प्रदान करता है और एक दूसरे के लिए सहयोग की भावना उत्पन्न करता है। उक्त उद्गार संत निरंकारी मंडल दिल्ली से आए संत तरनजीत कुकल ने गुरुग्राम के सेक्टर- 31 स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित इंग्लिश मीडियम संत समागम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि हर एक मन में दूसरे से प्रतियोगिता करने की भावना होती है। परिस्थिति के अनुकूल ही हम जीवन जीते हैं मगर इसमें अपनी मनो स्थिति भी खराब कर लेते हैं। अपनी अवस्था को ठीक करने के लिए हम दवाइयों का भी सहारा लेते हैं।
दवाइयां कुछ समय मदद करती हैं। मगर वास्तविकता यही रहती है कि हमारी परिस्थिति वही रहती है। यदि हम परमात्मा से जुड़ जाते हैं तो हमारी मनो स्थिति में वह परिवर्तन आता है कि उस स्थिति को स्वीकार कर सकते हैं। उस परिस्थिति में भी फिर हमें सकून मिलता है। परमात्मा से जुड़ने के बाद पता लग जाता है की करने, कराने वाला केवल एक परमात्मा ही है। हम तो अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। समाज में रहते हैं तो जिम्मेदारियों का निर्वहन करना है और अपने दायित्व निभाते हुए जीवन जीना है। उन्होंने फरमाया कि आज सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के आशीर्वाद से ब्रह्म ज्ञान मिल रहा है। परमात्मा की अनुभूति हो रही है।
इसके साथ जीवन का हर पल प्रेम और आनंद में गुजर जाता है। इंग्लिश मीडियम संत समागम में गुरुग्राम जिले के युवा संतों ने भाग लिया। अनिल सिंह ने अपने मुंबई के, राकेश बसोर ने अपने न्यूयॉर्क, अमेरिका के व्यक्तिगत अनुभवों को सांझा किया। कवि आशीष भूटानी,नरेता आहूजा ने कॉरपोरेट कल्चर को कविता में पिरोया। संत समागम में सतगुरु के दिव्य और सुनहरे वचनों को भी प्रोजेक्टर पर प्रदर्शित किया गया। सभी ने व्याख्यान, भजन, कविता आदि के माध्यम से श्रद्धा पूर्वक आपसी समानता, सहयोग, मिलवर्तन के प्रेरणादायी संदेश दिए। इस संत समागम में गुरुग्राम की संयोजक बहन निर्मल मनचंदा ने सभी का आभार व्यक्त किया और युवा संतों के उत्साह को बढ़ाया।
Related posts
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
0 Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments