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चंडीगढ़ हरियाणा हाइलाइट्स

स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों को घर-घर तक पहुंचाना है : बंडारू दत्तात्रेय

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़:हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि समाज के निर्माण में स्वामी दयानंद सरस्वती की बहुत बड़ी देन है। हमें आर्य समाज के मूल्यों को घर-घर तक पहुंचना है और इसके लिए जन-जन में क्रांति लानी है। सभ्य समाज और राष्ट्र के निर्माण में आर्य समाज की बहुत बड़ी सार्थक भूमिका होगी।
राज्यपाल दत्तात्रेय रविवार को स्थानीय दयानंद मठ, रोहतक में स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष में आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के तत्वावधान में आयोजित आर्य महासम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। आर्य महासम्मेलन की अध्यक्षता गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने की। हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। हरियाणा के राज्यपाल दत्तात्रेय ने आर्य सभा को 31 लाख रुपए, गुजरात के राज्यपाल देवव्रत और शिक्षा मंत्री ढांडा ने 21-21 लाख रुपए देने की घोषणा की। अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल  दत्तात्रेय ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों और सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ देशवासियों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं, जो कि बहुत ही सराहनीय है। उनके इन कार्यों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिए कार्य किया। हमें उनको मिलकर आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवाओं में संस्कार भरने हैं ताकि उनके सही व्यक्तित्व का निर्माण हो सके। इसके साथ ही उन्होंने विशेष कर महिलाओं और युवाओं में महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों के प्रति जागरूक करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इंसान के अंदर दया भाव, शांति और क्षमा का भाव होना चाहिए, जो संदेश स्वामी दयानंद ने मानव जीवन के मूल्यों के प्रति दिया था। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से युवाओं को नशे से बचाने का भी आह्वान किया। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि देश में लागू हो रही नई शिक्षा नीति देश की युवा पीढ़ी को गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा देने के साथ-साथ सही दिशा देने का काम करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस दूरगामी सोच के बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। अपने संबोधन में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि समय बदलने के साथ-साथ हमारे सामने चुनौतियां भी बदल गई हैं। पहले जहां महिलाओं में शिक्षा का अभाव था, आज महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों की बदौलत महिलाओं ने शिक्षा पाकर उन्नति के हर उच्च मुकाम हासिल किए हैं। सामाजिक कुरीतियां समाप्त हो रही हैं। लोगों के शिक्षित होने से समाज में भेदभाव मिट रहा है। उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती जहरीली खेती से निजात दिलाने, जमीन को बचाने, ग्लोबल वार्मिंग को मिटाने और नशे की दलदल में जा रही युवा पीढ़ी के जीवन को बचाने की है। उन्होंने कहा कि इन सभी समस्याओं से निजात पाने का एकमात्र उपाय प्राकृतिक खेती है। प्राकृतिक खेती को अपना कर हम न केवल अपने स्वास्थ्य को सही रख सकते हैं बल्कि धरती माता को भी बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता है।राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक खेती मिशन की स्थापना की है, जिसमें इस साल 1481 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही साल भर में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने उपस्थित जन समूह से अपील करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती साहीवाल नस्ल की देशी गाय पर आधारित है, ऐसे में गाय की रक्षा गाय को घर में पालने से होगी। उन्होंने कहा कि गाय की नस्ल सुधार के लिए विशेष तकनीक इजात की गई है, जिसमें विशेष सीमन से उत्तम नस्ल की केवल बछड़ी ही पैदा होंगी। इसके लिए देश भर में 1000 मशीनें लगाई जा रही हैं। इन मशीनों को लगने के बाद हमारे देश में ही यह टीका केवल मात्र 600 रुपए में मिलेगा, जबकि यह टीका विदेश से करीब 1400 रुपए में मिलता है। उन्होंने कहा कि उनके स्वयं के कुरुक्षेत्र स्थित गुरुकुल में बनाई गई गौशाला में इस तकनीक को अपनाया जा रहा है। उनकी गौशाला में 100 गायों को लगाए गए इस टीके से 92 बछड़ी पैदा हुई हैं। उन्होंने कहा कि उनके गुरुकुल में किसानों को हरियाणा सरकार के माध्यम से प्राकृतिक खेती का मुफ्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कोई भी किसान वहां पर यह प्रशिक्षण ले सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि युवाओं को संस्कारवान बनाएं ताकि वे अपने माता-पिता का सम्मान करें, राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दें, अपनी संस्कृति और वैदिक मूल्यों को जाने। उन्होंने आर्य प्रतिनिधि सभा से भी अपील करते हुए कहा कि वे महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों का घर-घर में प्रचार करें। इसके लिए अधिक से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन करें और इन कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा संख्या में युवाओं को शामिल करें।

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