अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
सूरजकुंड (फरीदाबाद):हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि देश की राजधानी के नजदीक अरावली की पहाडिय़ों के बीच सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला पूरी दुनिया के लिए पर्यटन का बड़ा केंद्र बन चुका है। यह दुनिया भर के शिल्पकारों, बुनकरों व कलाकारों को अपनी कला दिखाने का मौका देता है। राज्यपाल रविवार को सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के समापन समारोह में बोल रहे थे। इसके अलावा उन्होंने मेले का भ्रमण किया। हरियाणा अपना घर में पहुंचने पर पगड़ी बांधकर उनका स्वागत किया गया। वहीं मुख्य चौपाल पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा। वहीं राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 36 वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के समापन की घोषणा राष्ट्रीय गान के साथ की।
उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मेले को व्यवस्थित तरीके से संपन्न करवाने पर हरियाणा सरकार व मेला आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि हर रोज लगभग एक लाख पर्यटकों का भ्रमण करवाना बेहतर प्रबंधन का परिचायक है। यह मेला देश विदेश के बुनकरों को अपने उत्पाद बिना मध्यस्थों के सीधा ग्राहको को बेचने का अवसर देता है। राज्यपाल ने कहा कि इस बार शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से सम्बन्धित देशों ने मेले में पार्टनर नेशन के रूप में भागीदारी की। हमारे लिए गौरव की बात है कि जी-20 की बैठक में भाग लेने वाले विदेशी मेहमानों ने भी इस मेले के माहौल की प्रशंसा की। इस बार भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र ने छत्तीसवें (36 वें) सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2023 के लिए थीम स्टेट के तौर पर भाग लिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय कला, संस्कृति, भाषा और शिल्प को बढ़ावा देने पर बल दिया गया। इतना ही नहीं देश में शिल्पकला, हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 11 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक राशि का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं केन्द्र की मुद्रा बुनकर लाभार्थी योजना के तहत एक हजार करोड़ रुपए के ऋण देकर लगभग 2 करोड़ 65 लाख बुनकरों को जोड़ा गया है।उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को शिल्पकारों के लाभ के लिए हरियाणा में हुनर हाट योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए शुभकामनाएं दी। इसके तहत शिल्पियों व कलाकारों में हुनर का विकास करके 17 लाख रोजगार पैदा करने की कार्य योजना है। प्रदेश में हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए जी.एस.टी. मुक्त किया गया है। इन्हीं योजनाओं की बदौलत हरियाणा के पानीपत से चार हजार करोड़ रुपए से भी अधिक का हैंडलूम उत्पाद निर्यात किए जाते हैं।राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा में कौशलता को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि से श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना की है। हरियाणा ने क्राफ्ट के कार्य को बढ़ावा देने के लिए मेले के रूप में एक आधार दिया जो पोर्टल की तर्ज पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता और संस्कृति को विकसित करने में हस्तशिल्प और हथकरघा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ऐसे में शिल्पियों को विश्व-सभ्यता के शिल्पी भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। मानव-जीवन में कला, संस्कृति, संगीत का बहुत महत्व होता है। यह मेला इन तीनों का एक अद्भुत संगम है। इस तरह के मेलों के आयोजन का मकसद केवल मनोरंजन ही नहीं अपितु ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने से भी है, क्योंकि हैंडलूम, हथकरघा और शिल्पकार ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र से ही आते हैं। हरियाणा सरकार ने इस पृष्ठभूमि के लोगों का रोजगार बढ़ाने के लिए काफी काम किया है। इस मौके पर मिजोरम के राज्यपाल डा. हरि बाबू कमभमपति, केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री किशन रेड्डी, हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल, केंद्रीय बिजली और भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्णपाल, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा, मुख्य सचिव संजीव कौशल, हरियाणा पर्यटन निगम के चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव, सचिव पर्यटन मंत्रालय अरविन्द सिंह, फरीदाबाद मंडल आयुक्त विकास यादव, पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा, उपायुक्त विक्रम सिंह, पर्यटन विभाग हरियाणा के एम.डी. नीरज कुमार, सिन्हा के अलावा अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
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