अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:लोकसभा की पांच सीटें जीतने के बाद भले ही कांग्रेस हरियाणा में सरकार बनाने के सपने संजो रही है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियां बताती है कि कांग्रेस के लिए हरियाणा में जीत अभी भी दूर की कोढ़ी ही है, क्योंकि संगठनात्मक शक्ति, कार्य योजना और नेतृत्व क्षमता के चलते बीजेपी के सामने कांग्रेस अभी भी कहीं नहीं ठहरती। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा प्रदेश हित में लिए जा रहे एक के बाद एक फैसले तथा चुनाव प्रभारी व सह प्रभारी बना कर हरियाणा भेजे गए धर्मेंद्र प्रधान और बिप्लब कुमार देब की जोड़ी का ट्रेक रिकॉर्ड भी कांग्रेस में बेचैनी बढ़ाने वाला है। ओडिशा में नवीन पटनायक की 24 साल पुरानी सरकार को उखाड़ फैंकने वाली इस जोड़ी को केंद्रीय नेतृत्व ने हरियाणा में जीत का जिम्मा सौंपा है। दोनों ही नेता मुख्यमंत्री नायब सैनी, कैबिनेट मंत्री मनोहर लाल सहित तमाम नेताओं से बेहतर ट्युनिंग बनाकर आगे बढ़ रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव सह प्रभारी बिप्लब देब चार जुलाई गुरुवार से प्रदेश के जिलों में अपने दौरे की शुरुआत कर रहे हैं। सुबह बिप्लब देब सबसे पहले रेवाड़ी में पहुंचेंगे। इसके बाद पलवल और फिर फरीदाबाद जिला में रहने वाले मंडल, जिला व प्रदेश स्तर के सभी पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। उनके मन की बात जानेंगे और विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति पर चर्चा करेंगे। बिप्लब यहां बोर्ड निगमों के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर, विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व में रहे प्रत्याशियों से भी चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे और जीत का मंत्र फूंकेंगे।हाल ही में पंचकूला आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव जीतने की एक पूरी योजना पार्टी के नेताओं के सामने रखी। जिस पर भाजपा ने काम शुरू कर दिया है। अमित शाह की बताई कार्य योजना को भाजपा धरातल पर उतार पाई तो भाजपा को तीसरी बार भी सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। भारतीय जनता पार्टी द्वारा पंचकूला में की गई विस्तृत कार्यकारिणी बैठक जैसी कोई बैठक करना भी कांग्रेस के लिए वर्तमान में संभव दिखाई नहीं देता। क्योंकि बीजेपी की इस बैठक में मंडल स्तर के 5 हजार से अधिक दायित्ववान कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था, जबकि कांग्रेस के पास इस तरह का कोई संगठनात्मक ढांचा नहीं है। कांग्रेस द्वारा निकट भविष्य में भी ऐसा संगठन खड़ा करने की संभावना दिखाई नहीं देती। इधर नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक लिहाज से भी बीजेपी का ही पलड़ा फिलहाल भारी दिखाई दे रहा है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने कद्दावर नेता धर्मेंद्र प्रधान, बिप्लब कुमार देब को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी हैं और उनके साथ सतीश पूनिया और सुरेन्द्र नागर जैसे बड़े नेताओं को भी हरियाणा में चुनावी पिच पर उतारा है। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, अनिल विज, कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़, कुलदीप बिश्नोई जैसे पब्लिक में अपनी पकड़ रखने वाले नेताओं की लंबी लिस्ट भाजपा के पास है। जबकि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सहारे ही नैया पार लगने की उम्मीद में हैं। लेकिन हुड्डा को भाजपा परिवारवाद पर घेर रही है। किरण चौधरी के भाजपा में शामिल हो जाने के उपरांत भाजपा इसमें कामयाब भी हो रही है। हरियाणा प्रदेश में एक धारणा बनती जा रही है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने और अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा के अलावा कुछ सोच नहीं पा रहे हैं, जिसके कारण कांग्रेस में कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी (एसआरके) गुट बना। कांग्रेस में इस गुटबाजी और बाप-बेटे की मनमर्जी से नाराज़ किरण चौधरी ने बीजेपी का दामन थामा।राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी और उनकी बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के भाजपा में आने से भाजपा निश्चित ही मजबूत हुई है। किरण चौधरी के भाजपा में जाने के बाद खासकर भिवानी क्षेत्र में कांग्रेस के पास कुछ नहीं बचा है। संगठनात्मक लिहाज से भी कांग्रेस हरियाणा में एक लंबे समय से कोई ऐसा मैकेनिज्म नहीं बना पाई है, जिससे कांग्रेस लोगों में अपने प्रति विश्वास पैदा कर सके जो संगठनात्मक दृष्टि से भाजपा ने करके दिखाया है।कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भले ही उदयभान हैं, लेकिन अध्यक्ष के मुकाबले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को ही हरियाणा के कांग्रेसी ज्यादा तव्वजो देते हैं। इसलिए संगठनात्मक शक्ति के लिहाज से कांग्रेस भाजपा से काफी पीछे है। राहुल गांधी के संसद में हिंदुओं पर दिए गए विवादित बयान के बाद हरियाणा में कांग्रेस और भी बैकफुट पर दिखाई दे रही है। क्योंकि मेवात को छोड़कर हरियाणा में सभी जिले और विधानसभा हिंदू बाहुल्य ही है। राहुल गांधी जब संसद में हिंदू विरोधी बातें कर रहे थे, संसद में उनके पीछे दीपेंद्र हुड्डा बैठे थे और वो राहुल गांधी की बात का समर्थन कर रहे थे। यह बात भी हरियाणा में कांग्रेस की सेहत के लिए सही नहीं मानी जा रही। दो दिन पहले नारनौल में आयोजित एक कार्यक्रम में भूपेंद्र हुड्डा के सामने ही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हुटिंग की। इस कार्यक्रम में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा द्वारा किसान हित में चलाई जा रही “मेरी फसल मेरा ब्योरा“ आदि सहित अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं को कांग्रेस सरकार बनने पर बंद करने की घोषणा भी की। दूसरी तरफ खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी एक के बाद एक जनकल्याणकारी फैसले लिए जा रहे हैं, जिससे कांग्रेस में बेचैनी बढ़ रही है।
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