अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:हरियाणा के राज्य चुनाव आयुक्त धनपत सिंह ने बताया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका का चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार को अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है।उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार ने हरियाणा नगर निगम चुनाव नियम, 1994 और हरियाणा नगर चुनाव नियम, 1978 के फॉर्म 1-सी में संशोधन किया है। उन्होंने बताया कि नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका का चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों को नामांकन भरते समय फॉर्म 1-सी में अपने आपराधिक विवरण की जानकारी देनी होगी। इसके अलावा, यदि उक्त उम्मीदवार किसी विशेष पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है तो उसे अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में पार्टी को सूचित करना आवश्यक है। संबंधित राजनीतिक दल को भी उक्त जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालने और उम्मीदवार के आपराधिक विवरण के बारे में क्षेत्र में व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों में एक बयान जारी करना है और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में व्यापक प्रचार करने की आवश्यकता है। राज्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि हरियाणा के राज्य चुनाव आयोग ने 17 अगस्त, 2021 को राजनीतिक दलों तथा ऐसे नगर निगम महापौर और नगर परिषद/पालिका में अध्यक्ष और सदस्य का चुनाव लडऩे के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए निर्देश जारी किए हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं या लंबित हैं या ऐसे मामले जिनमें उन्हें अतीत में दोषी ठहराया गया है। उन्होंने बताया कि इन निर्देशों के अनुसार जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं या जिनमें उम्मीदवार को दोषी ठहराया गया है, वे ऐसे मामलों के बारे में उनके नगरपालिका क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रसारित दो समाचार पत्रों (कम से कम एक हिंदी और एक अंग्रेजी) में घोषणा प्रकाशित करेंगे। उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि के अगले दिन से और मतदान की तारीख से दो दिन पहले तक कम से कम तीन अलग-अलग तारीखों पर घोषणा को प्रकाशित किया जाना आवश्यक है।
साथ ही,आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को भी उपरोक्त घोषणा को स्थानीय टीवी चैनलों या केबल नेटवर्क(यदि स्थानीय रूप से उपलब्ध हो) पर तीन अलग-अलग तिथियों पर उपरोक्त उल्लिखित अवधि के दौरान और मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटे तक प्रकाशित करना आवश्यक है। धनपत सिंह ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के इन निर्देशों के अनुसार उम्मीदवार चुनाव खर्च के खाते के साथ उन समाचार पत्रों की प्रतियां उपायुक्त या राज्य चुनाव आयोग द्वारा अधिकृत अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे जिनमें इस संबंध में उनकी घोषणा प्रकाशित की गई थी। उन्होंने राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के मामले में जानकारी देते हुए बताया कि चाहे मान्यता प्राप्त दल हों या पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दल, ऐसे उम्मीदवारों को संबंधित रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष घोषित करना आवश्यक है कि उन्होंने अपने राजनीतिक दल को उनके खिलाफ आपराधिक मामलों के बारे में सूचित कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों के बारे में स्पष्टï किया कि जो दल आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को खड़ा करते हैं,वे अपनी वेबसाइट के साथ-साथ स्थानीय टीवी चैनलों या केबल नेटवर्क (यदि स्थानीय रूप से उपलब्ध हो) और कम से कम दो समाचार पत्र (एक हिंदी और एक अंग्रेजी) जिसका संबंधित नगरपालिका क्षेत्र में व्यापक प्रसार हो, में इस संबंध में विवरण देते हुए घोषणा प्रकाशित करेंगे। उन्होंने आगे बताया कि निर्देशों के अनुसार जो मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल और पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दल आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को खड़ा करते हैं, तो उनको संबंधित उपायुक्त को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें बताया जाएगा कि उन्होंने निर्देशों का पालन किया है। इस संबंध में पार्टी द्वारा प्रकाशित घोषणायुक्त पेपर-कटिंग चुनाव संपन्न होने के 30 दिनों के भीतर जमा करवाई जाएगी।
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