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केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौतों की जाँच के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव फिर से किया नामंज़ूर

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली सरकार द्वारा कोरोना के दूसरी लहर में दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच करने के लिए गठित मेडिकल एक्सपर्ट्स की उच्च स्तरीय कमिटी को केन्द्र सरकार ने उपराज्यपाल के माध्यम से दोबारा खारिज कर दिया। इससे जाहिर होता है कि केंद्र सरकार ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर पर्दा डालते हुए अपनी नाकामी को छुपाना चाहती है।उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एक और तो केंद्र सरकार ये कह रही है कि राज्य उन्हें ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के आंकड़े बताए और दूसरी ओर इस बाबत जाँच भी नहीं करने दे रही है। केंद्र सरकार जाँच से बचकर ये चाहती है कि राज्य उन्हें बिनी किसी जाँच के ये रिपोर्ट सौंप दें कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है और केंद्र सरकार सरकार इसपर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ ले।ये उन लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना होगा जिन्होंने अपनों को खोया है। जिन डॉक्टरों ने इस त्रासदी को झेला है ये उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा होगा।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जाँच करने के लिए मेडिकल एक्सपर्ट्स की उच्च स्तरीय जाँच कमिटी बनाई ताकि दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच की जा सके और पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख रूपये का मुआवजा दिया जा सके लेकिन एलजी साहब ने इस कमिटी को खारिज कर दिया। उपमुख्यमंत्री ने इस बाबत केंद्र सरकार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व गृह मंत्री को पत्र लिखा और जाँच कमिटी को अप्रूवल देने के लिए एलजी के पास दोबारा फाइल भेजी लेकिन एलजी ने जाँच कमिटी को दोबारा रिजेक्ट कर दिया। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार का मानना है कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है इसलिए इसकी जाँच कमिटी बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है। एक और केंद्र सरकार राज्यों से ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का ब्यौरा मांग रही है वही दूसरी ओर इसकी जाँच करने के लिए जाँच कमिटी को अप्रूवल नहीं दे रही है और चाहती है कि राज्य केंद्र को ये लिख कर दे दे की ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है। ये कहना बहुत बड़ा झूठ होगा और उन लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना होगा जिन्होंने अपनों को खोया है। जिन डॉक्टरों ने इस त्रासदी को झेला है ये उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा होगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ये बहुत शर्मनाक बात है कि 21वीं सदी में एक देश में लोगों कि ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई और केंद्र सरकार ये कह रही है कि इसकी कोई जाँच न हो। उन्होंने कहा कि अप्रैल-मई के महीने में केंद्र सरकार ने देश में ऑक्सीजन मैनेजमेंट का जो बंटाधार किया वो जानबुझकर किया या गलती से किया, ये तो जाँच का विषय है पर उस दौरान जो कुप्रबंधन हुआ और लोगों की ऑक्सीजन की कमी से जान गई उसकी जिम्मेदार केंद्र सरकार है। आज केंद्र सरकार जाँच से बचकर तथ्यों को छुपाने का प्रयास कर रही है लेकिन केंद्र सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी कि उसके कुप्रबंधन के कारण देश में हजारों लोगों ने अपनी जान गँवाई है।

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