अजीत सिन्हा /नई दिल्ली
कांग्रेस पार्टी के मीडिया एंव पब्लिक सिटी विभाग के चेयरमेनपवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा- ये एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हम लोग कई बार आपसे मुखातिब हुए हैं। मुद्दा राष्ट्र की सीमाओं की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और जो क्लीन चिट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून,2020 को चीन को दी थी, उस क्लीन चिट की धज्जियां उड़ा दी गईं, इसी हफ्ते उड़ा दी गईं और वो धज्जियां किसने उड़ाईं, जो डीजीपी और आईजी की मीटिंग हुई थी अभी, उस मीटिंग में एक रिसर्च पेपर पुलिस अधिकारियों ने ही पेश किया था और उस मीटिंग में कौन-कौन मौजूद थे- उस मीटिंग में मौजूद थे – अजीत डोभाल साहब, गृह मंत्री साहब और आला अधिकारी, सुरक्षा और गृह मंत्रालय से जुड़े हुए आला अधिकारी उस मीटिंग में मौजूद थे।
उस मीटिंग में जो रिसर्च पेपर पेश की गई और चौंकाने वाली उसमें एक बात थी कि पूर्वी लद्दाख में जहाँ एलएसी है, 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट हैं, ऐसे प्वाइंट हैं, जहाँ हम गश्त करते थे, गश्त लगाती थीं हमारी सेनाएं, हमारे सुरक्षा बल, उन 65 में से अब 26 प्वाइंट्स पर गश्त नहीं लगा पा रहे हैं।
मैं दोहराता हूं- पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा के ऊपर, के समीप जो 65 ऐसे क्षेत्र थे, जहाँ हमारे सुरक्षा बल गश्त लगा सकते थे, 20 मई, 2020 से पहले तक, उनमें से हम 26 अब गंवा बैठे हैं, वे चीन के कब्जे में जा चुके हैं। अब वहाँ हम गश्त नहीं लगा सकते, इससे ज्यादा स्पष्ट कुछ हो नहीं सकता।
पीएलए ने उन बिंदुओं पर हमारे सुरक्षाबलों की गश्ती रुकवा दी, हमने रोक दी, हमने उन्हें क्लीन चिट दी और पीएलए ने उन प्वाइंट्स पर आला दर्जे के कैमरा लगा दिए। उन कैमरों से वो हमारी दिशा में देखते हैं, स्पष्ट तौर पर देखते हैं कि हमारे यहाँ क्या मूवमेंट्स हो रही हैं और तो और ‘रेबो’ नाम की एक कम्युनिटी है, जो अपने भेड़-बकरी चराने वालों की कम्यूनिटी है, जो सदियों से वहाँ अपने जानवरों को चराते हैं, अब वो वहाँ नहीं चरा पाते हैं अपने जानवरों को। हम ही उन्हें रोकते हैं कि अरे साहब आप जानवरों को वहाँ ले जाओगे तो चीन कैमरे से देख लेगा और आपत्ति करेगा। हमारे चरवाहे, हमारे लोग हमारे पशुओं को चराने ले जा रहे हैं, अपने इलाके में चराने ले जा रहे हैं और हम ही उन्हें रोक रहे हैं, मत ले जाओ, चीन को बुरा लग जाएगा।
ये है नरेंद्र मोदी जी के चीन से रिश्ते। बार-बार दोहराने पड़ते हैं, रोज नए उदाहरण हम लाते हैं आपके सामने। हम क्यों बार-बार संसद में इस पर चर्चा करना चाहते हैं और इन रिश्तों को उजागर करना चाहते हैं, जो खतरे हमारी सीमाओं के अंदर आ गए हैं, उन खतरों को उजागर करना चाहते हैं। लेकिन मोदी जी नहीं चाहते कि हम इन्हें उजागर करें।
देश सेना के जवानों के बलिदान को “सलामी” देता है,
मोदी सरकार की चीन को क्लीन चिट देश के हिस्से की “सलामी स्लाइसिंग” करवाती है!
चीन को पीएम मोदी की “बेदाग़ क्लीन चिट” के झूठ का पर्दाफ़ाश “पुलिस मीट सिक्योरिटी रिसर्च पेपर” की कड़वी सच्चाई ने कर दिया है।
मोदी सरकार द्वारा चीन के अवैध कब्जे और सैन्य निर्माण से लगातार इनकार ने चीन का हौसला बढ़ाया है और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा व भूभागीय अखंडता से समझौता किया है!
हाल ही में दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन में पीएम मोदी, गृह मंत्री, अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल ने भाग लिया और चीन के साथ एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में जो कुछ हो रहा था, उसके प्रति मोदी सरकार की पूर्ण उदासीनता के सच को उजागर किया।चर्चा के लिए प्रस्तुत एक विस्तृत सिक्योरिटी रिसर्च पेपर में भारत के क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे के प्रति मोदी सरकार की स्तब्ध कर देने वाली उदासीनता के बारे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पेपर द्वारा किए गए निम्नलिखित खुलासे, एक बार फिर उन सवालों की सत्यता को स्थापित करते हैं जो कांग्रेस पार्टी चीन के खिलाफ लगातार उठा रही है।
1. भारत ने अब 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स (पीपी) में 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर अपना अधिकार खो दिया है।
मई 2020 से पहले भारत सभी 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग करता था।
मई 2020 में गलवान में हमारे 20 बहादुरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, जिसपर मोदी जी ने चीन को क्लीन चिट दे दी थी।
पेपर में कहा गया है – “वर्तमान में, काराकोरम दर्रे से लेकर चुमुर तक 65 पीपी हैं, जिन्हें आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बल) द्वारा नियमित रूप से गश्त किया जाना है। 65 पीपी में से, 26 पीपी (यानी पीपी नंबर 5-17, 24-32, 37, 51,52,62) में हमारी उपस्थिति प्रतिबंधात्मक या आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बलों) द्वारा गश्त नहीं करने के कारण खो गई है। बाद में, चीन हमें इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए मजबूर करता है। इन क्षेत्रों में लंबे समय से आईएसएफ या नागरिकों की उपस्थिति नहीं देखी गई है, पर चीनी इन क्षेत्रों में मौजूद थे। इससे भारतीय सीमा की ओर आईएसएफ के नियंत्रण में सीमा में बदलाव होता है और ऐसे सभी पॉकेट में एक बफर जोन बनाया जाता है, जिससे भारत इन क्षेत्रों पर नियंत्रण खो देता है। इंच दर इंच जमीन हड़पने की पीएलए की इस चाल को “सलामी स्लाइसिंग” के नाम से जाना जाता है।”
2. पीएलए ने सबसे ऊंची चोटियों पर अपने बेहतरीन कैमरे लगाकर बफर क्षेत्रों का लाभ उठाया है और भारतीय बलों की गतिविधियों पर नजर रख रही है। ये डीस्केलेशन वार्ता का उल्लंघन है। यही अजीबोगरीब स्थिति चुशुल में ब्लैक टॉप, हेलमेट टॉप पहाड़ों, डेमचोक, काकजंग, हॉट स्प्रिंग्स में गोगरा हिल्स और चिप चिप नदी के पास देपसांग मैदानों में देखी जा सकती है।रिसर्च पेपर ने कहा है – “सितंबर 2021 तक, जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी डीबीओ सेक्टर में काराकोरम दर्रे (दौलत बेग ओल्डी से 35 किमी) तक आसानी से गश्त कर रहे थे।, हालांकि, दिसंबर 2021 में भारतीय सेना द्वारा DBO पर चेक पोस्ट के रूप में स्वतः प्रतिबंध लगाए गये थे जिससे काराकोरम पास तक जाने की रोक लगे। पीएलए ने स्पेशल कैमरे लगाए है जिससे भारतीय सैनिकों की गतिविधियों पर नज़र रखी जाए।
3. बिना फ़ेंस वाली सीमाएं चांगथांग क्षेत्र (रेबोस) के खानाबदोश समुदाय के लिए चरागाह के रूप में काम कर रही हैं और समृद्ध चरागाहों की कमी को देखते हुए, वे परंपरागत रूप से पीपी के करीब के क्षेत्रों में उद्यम करते हैं।पेपर ने स्पष्ट रूप से कहा है – “2014 के बाद से, आईएसएफ द्वारा रेबोस पर चराई प्रतिबंध लगाया गया है और इससे कुछ नाराजगी हुई है। भारतीय सैनिकों को विशेष रूप से पीएलए द्वारा आपत्ति की जा सकने वाली उच्च पहुंच पर रेबोस की आवाजाही को रोकने के लिए भेस बदलकर तैनात किया जाता है और इसी तरह डेमचोक, कोयल जैसे सीमावर्ती गांवों में विकास, कार्य जो पीएलए की प्रत्यक्ष इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में हैं, जिसपर पीएलए द्वारा तुरंत आपत्ति जताई जा सकती है।
इन नए खुलासों के संदर्भ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूछती है –
1.मिलिट्री टॉक्स के 17 राउंड के बाद, मोदी सरकार ने 3 साल बाद फिर से यथास्थिति सुनिश्चित क्यों नहीं की?
2.इस तथ्य को देखते हुए कि एक ‘डीजीपी स्तर’ के पेपर ने इस अति संवेदनशील मुद्दे को उजागर किया है, क्या मोदी सरकार देश को बताएगी कि उसने भारत के अधिकारिक भूभागों को चीन के हवाले क्यों कर दिया है?
3. मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया, क्या मोदी सरकार देश को अंधेरे में रखेगी या देश को चीन के अवैध कब्जे की सच्चाई बताएगी?हम संसद के आगामी बजट सत्र में इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग करते हैं।भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता दांव पर है और इसे बनाए रखने के लिए हमें मिलकर हर संभव प्रयास करना चाहिए।चीन को “क्लीन चिट” बहुत हो गई, अब मोदी सरकार को चीन पर “क्लीन” होने का समय आ गया है!