Athrav – Online News Portal
फरीदाबाद

ग्रीन फिल्ड कालोनी को बसाने वाली कंपनी यूआईसी को मिले साढ़े 22 करोड़ बनी गले की हड्डी , न ही निगलते, न ही उगलते बनता हैं

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: जब आपके पास पैसा नहीं होता हैं तो आपका दिमाग काम करना बंद कर देता हैं क्या आप ने ऐसा सुना हैं कि जब जरुरत से कहीं ज्यादा पैसा आ जाए तो तब भी इंसानी दिमाग काम करना बंद कर देता हैं, जी हैं ऐसा ही एक सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया हैं। ग्रीन फिल्ड कालोनी को बसाने वाली अर्बन इम्प्रूवमेंट कंपनी लिमिटेड के पास हाईकोर्ट के एक आदेश पर तक़रीबन 15 दिन पहले 22.50 करोड़ रुपए मिले हैं.पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा दिए गए 22.50 करोड़ रुपए कैसे खर्च करे इस बारे में कंपनी को बताया नहीं हैं। इस कारण से करोड़ों रुपए वैसे ही अर्बन इम्प्रूवमेंट कंपनी लिमिटेड के खाते में पड़ा हैं। फ़िलहाल इन पैसों का लाभ ग्रीन फिल्ड कालोनी के निवासियों को विकास के गति में कोई फायदा मिलता दिखाई नहीं दे रहा हैं।

हरियाणा सरकार के द्वारा 22.50 करोड़ रुपए दे जरूर दे दिए हैं पर इस केस का अंतिम फैसला 26 जुलाई को आना हैं, उसमें हाईकोर्ट क्या फैसला आता हैं, इसके बाद ही यूआईसी किसी नतीजे पर पहुंचेगा। अगर कोई ऐसा फैसला अदालत का नहीं आता हैं तो वह लोग एक से दो हफ्ते में हाई कोर्ट जाएगें। इस संबंध में यूआईसी अपने वकील से विचार विमर्श कर तैयारी कर रहीं हैं। इस प्रकरण में यूआईसी के महा -प्रबंधक प्रवीण चौधरी का कहना हैं कि हरियाणा सरकार से मिले करोड़ों रुपए को इस वक़्त वह लोग अगर विकास में खर्च कर देते हैं और हाईकोर्ट का बाद में कोई और फैसला आ जाता हैं और यूआईसी को 22. 50 करोड़ वापिस करने पड़ जाए तो वह लोग कहा से सरकार को वापिस करेंगें। आपको बतादें कि जब से यूआईसी में एक साथ साढ़े 22 करोड़ रुपए आए हैं एक तरह का टेंशन उतपन्न हो गई हैं कि खर्च करो तो मरो, न करो तो मरो, क्यूंकि करोड़ों रुपये आने के बाद ग्रीन फिल्ड कालोनी के लोगों में उम्मीद जग गई हैं अब उनके कालोनी में विकास की गंगा जल्द ही बहने लगेंगी। फ़िलहाल ऐसा होता हुआ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा हैं।



यूआईसी के महा -प्रबंधक प्रवीण चौधरी का कहना हैं कि जब हरियाणा प्रदेश बना था उस दौरान ग्रीन फिल्ड कालोनी का रजिस्टेशन करवाया गया था उस दौरान के शर्त के अनुसार 151 रुपए प्रति गज के हिसाब से डवलमेंट चार्ज के रूप तक़रीबन 24 करोड़ रुपए जमा करवाएं गए थे। क्यूंकि कालोनी में 3713 प्लॉट हैं। इसके बाद 24 करोड़ रूपए का 1994 -2016 तक ब्याज 5.84 करोड़ बने थे जो सरकार को देने थे। उनका कहना हैं कि इस प्रकरण में अदालत का एक फैसला आया था पर उस फैसले को हरियाणा सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद उस समय के ग्रीन फिल्ड कालोनी रेजिडेंट वैल्फेयर एसोसिएशन और यूआईसी ने सन 2016 में हाईकोर्ट में कंटैम हरियाणा सरकार के खिलाफ डाले थे जिस पर अदालत ने 5.84 करोड़ रुपए पर ब्याज जोर कर साढ़े 22 करोड़ रुपए हुए जिसे सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर यूआईसी को दिए हैं। इस केस का अंतिम फैसला 26 जुलाई को आना हैं। उनका कहना हैं कि उस समय जिन प्लाट होल्डरों ने पैसे जमा कराएं थे अब उनमें से तक़रीबन प्लाट होल्डर हैं ही नहीं। अगर वह लोग ऐसे स्थिति में मिले साढ़े 22 करोड़ रुपए खर्च करते हैं तो कंपनी को मुश्किल में डालने वाली बात होंगी। इस सब पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए जल्द ही वह लोग हाईकोर्ट जाएंगे और इन सभी बातों को कोर्ट के समक्ष रखेंगें और इसके बाद कोर्ट का जो भी आदेश होंगें। वह लोग उसके हिसाब से ही कार्य करेंगें। यूआईसी कंपनी के अधिकारीयों को बिना बिठाए एक टेंशन मिल गया हैं और ग्रीन फिल्ड कालोनी के निवासियों पर विकास की उम्मीदों पर फिर से पानी फिर गया हैं, जो पिछले 40 सालों के बाद जगी थी। जब लोग यूआईसी के पास जाकर मुलभुत सुविधाओं की कमी होने का रोना रोते थे तो कंपनी फंड न होने का रोना रोती थी पर अब क्या करें, अब सभी को मालूम हैं कि उनके पास करोड़ों हैं।

Related posts

मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव एवं अधिवक्ताओं की टीम ने खोरीगांव के पुनर्वास पर रिपोर्ट बनाकर सुप्रीम कोर्ट में पेश की

Ajit Sinha

फरीदाबाद : बल्लभगढ़ के ऊंचा गांव के समीप सेंट्रल बैंक के एटीएम मशीन में लगी भयंकर आग, जलती हुई एटीएम मशीन को देखिए इस वीडियो में।

Ajit Sinha

फरीदाबाद ब्रेकिंग: 91 वर्षीय बुजुर्ग से 80.43 लाख रूपए की ठगी करने वाले पांच ठगों को थाना साइबर सेंट्रल ने अरेस्ट किया।

Ajit Sinha
error: Content is protected !!