अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि हरियाणा में न्यूनतम 5 वर्ष का निवासी होने की शर्त को केवल ‘स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम, 2020 ’ के तहत राज्य के युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य और हरियाणा की औद्योगिक इकाइयों को रोजगार सृजन सब्सिडी के अनुदान के लिए लागू किया गया है। डिप्टी सीएम आज यहां हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन के एक सदस्य द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश में 15 वर्ष के निवास की शर्त प्रवेश, छात्रवृत्ति,बेरोजगारी भत्ता और सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के लिए अधिमान के उद्देश्य हेतु लागू होगी। उन्होंने आगे बताया कि राज्य में न्यूनतम 5 वर्ष का निवासी होने की शर्त रोजगार एवं उद्यमिता नीति,2020 या अन्य विशिष्ट औद्योगिक नीतियों के तहत लागू होगी। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि औद्योगिक एसोसिएशनों से बातचीत करके ही उक्त पांच वर्ष की अवधि की शर्त को ‘स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम, 2020’ के तहत लागू किया था, आईटी जैसी कुछ कंपनियों में विशेष कौशल के पदों के मामले में उक्त अधिनियम में रियायतें दी गई हैं।हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में अनुबंध के आधार पर नियुक्त कंप्यूटर शिक्षकों का अनुबंध 31 मार्च 2022 के बाद भी बढ़ाया जाएगा। हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से परिवार पहचान पत्र के आधार पर नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले की यह कार्य क्रियान्वित किए जाने की संभावना है। उक्त शिक्षकों के हरियाणा कौशल रोजगार निगम के पोर्टल पर पंजीकरण की प्रक्रिया जारी है। डिप्टी सीएम ने यह जानकारी आज विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन के एक सदस्य द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दी।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि हरियाणा लोक सेवा आयोग तथा हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में अनियमितता कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डिप्टी सीएम ने सदन के एक सदस्य द्वारा पूछे गए सवाल में कहा कि कुछ परीक्षाओं के पेपर लीक करने व अन्य गड़बड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के उक्त आयोगों द्वारा नौकरियों के लिए ली जाने वाली परीक्षा में अनियमितता मिलने पर पहली बार किसी राज्य सरकार ने इतनी बड़ी कार्रवाई की है और राज्य सरकार सरकारी परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखने के लिए गंभीर है।
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