अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टी वैसे आम तौर पर बॉलीवुड मुद्दों पर या निजी मामलों में नहीं पड़ना चाहती, इसलिए आपने देखा कि हम इससे एक थोड़ी दूरी रखते हैं। लेकिन आज इसलिए मैं आपसे वार्तालाप कर रहा हूं कि जब कोई संदिग्ध व्यक्ति,एक व्यक्ति जिसके विषय में एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है, उसका सीधा संबंध एक सत्तारुढ़ पार्टी के साथ अनेकों पहलुओं से है, तो देश जानना चाहता है, एक बहुत बड़ा सवाल उठता है और मैं आपको 10 सवालों के जरिए ये पूरा रेखांकित करना चाहता हूं।
ऐसे एक विशेष व्यक्ति हैं संदीप सिंह और इसलिए हम पूछने वाले हैं आपसे कि ‘किससे जुड़े हैं तार, भाजपा में किससे है संबंध, संदीप सिंह को बचाने का, कौन करता है प्रबंध’ और जो मैं 10 अलग-अलग बिंदु आपको बता रहा हूं: आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक; उनसे ये प्रश्न लाज़मी है जो उभर कर मीडिया में आया है और आप लोगों ने रखा भी है। यद्यपि अलग-अलग पहलू एक साथ नहीं रखते हैं। मैं इनको एक साथ मिश्रण करके आपको एक पूरी चैन दिखाना चाहता हूं और उससे ये प्रश्न है कि ‘देखो इस केस के कहाँ तक जुड़ रहे हैं तार, एक्सपोज हो रही है भाजपा और उनके यार, या उनके विशेष यार’। बात शुरु करना चाहूंगा मैं इस बात से कि संदीप सिंह, ये भी एसएस हैं और मृत व्यक्ति भी एसएसआर हैं। संदीप सिंह ने खुद स्वयं कई बार दावा किया है कि वो तथाकथित सबसे निकट मित्र थे राजपूत के। बार-बार ये सार्वजनिक दावा हुआ है, आपके मीडिया में आया है और उसी के आधार पर मैं ये 10 प्रश्न पूछ रहा हूं। प्रश्नों में पहलू भी अंतर्निहित है, उत्तर भी अंतर्निहित है, आरोप भी अंतर्निहित है।
पहला पहलू या बिंदु ये है कि क्या ये वही संदीप सिंह हैं, जो निश्चित रुप से वही हैं, जिन्होंने 53 बार बीजेपी महाराष्ट्र ऑफिस में बार-बार टेलीफोन कॉल किए पिछले कुछ महीनों में, विशेष रुप से मैं बात कर रहा हूं ढाई महीनों के समय की। 53 बार, तो हम ये पहला प्रश्न पूछ रहे हैं कि कौन थे उनके आका, कौन थे उनके मेहरबान, जिससे वो सुरक्षा चक्र मांग रहे थे या फोन से क्या संबंध दर्शाया जाता है? कौन लेगा इस संबंध की जिम्मेदारी और कौन खुलासा करेगा इस रहस्य का?
दूसरा पहलू और आप इन सबका मिश्रण करें, किसी एक से फर्क नहीं पड़ता। लेकिन आप सबको देखें साथ में, एक होलिस्टिक तरीके से तो बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं।
नंबर दो, ये वही संदीप सिंह हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री की बॉयोपिक बनाई थी यानि फिल्म बनाई थी। 2019 के चुनाव से पहले ये प्रस्तावना होने वाली थी, कोइन्सिडेंस की बात है कि मैंने ही इसके विरुद्ध स्टे लिया था उस वक्त और ये फिर चुनाव के बाद ही प्रदर्शित हुई थी। तो जाहिर है कि ये एक निकटतम, आंतरिक, विशेष प्रिय पर्सनेलिटी हैं।
तीसरा, जब ये फिल्म आई थी तो उसके जो पोस्टर थे, उनको लोकार्पण करने के लिए, पोस्टर का वैसे लोकार्पण इतना महत्वपूर्ण नहीं होता फिल्म के लिए और ये सरकारी फिल्म नहीं थी, उसके लिए गए थे उस वक्त के मुख्यमंत्री माननीय श्री फडणवीस जी, उस वक्त वो गृहमंत्री भी थे, तो ये आम आदमी नहीं है कोई, ये कोई फिल्म प्रोड्यूसर ही नहीं है सिर्फ।
चौथा, इस वक्त मीडिया में अलग-अलग जगहों पर ये खबरें छप रही हैं, आप लोगों द्वारा कि ये अब कब तक भारत में मिलेंगे, रहेंगे या कब विदेश मिलेंगे, हम कह नहीं सकते। तो इस संदर्भ में ये पूछना भी चौथा प्रश्न मेरा आवश्यक है और दस्तावेज सब सार्वजनिक रुप से मीडिया में है, हमारे पास भी है कि 29 मार्च, 2018 को इस व्यक्ति के विरुद्ध एक असोल्ट का चार्ज है मॉरिशस में। एक नाबालिग स्विस सिटीजन के विरुद्ध और उसमें सब लिखा है। ये भी लिखा है कि ये नाम है संदीप सिंह, जन्म तिथि है 2 सितंबर, 1981, मिर्जापुर, बिहार के हैं और वो उससे नाबालिग के विषय में लिखा है और फिर कहा है कि ये जो यात्रा में गए थे, ये जो दूतावास है भारत का मॉरिशस में, उसके द्वारा समर्थित हैं। ये दस्तावेज जो औपचारिक है वहाँ का, लिखा है। तो ये हुआ हमारा चौथा बिंदु।
पांचवा, जब ये सार्वजनिक रुप से आया थोड़ा मीडिया में, तो ये बात फैलाई गई कि ये केस अब शायद सैटल हो गया है या विदड्रो हो गया है। हमारे पास कोई सार्वजनिक रुप से दस्तावेज मीडिया में भी प्रोड्यूस नहीं किया गया। कहा गया, अगर हुआ भी है तो हमारा मूल उद्देश्य ये है आपके सामने रखना, ऐसे व्यक्ति की चाल, चरित्र और चेहरे की, जिससे भाजपा की निकट यारी है। अगर ये हुआ है या नहीं हुआ, हम जानते नहीं, दस्तावेज निकालने चाहिए, ये नहीं सिर्फ कि कोई कह दे।
छठा, ये जैसा मैंने कहा कि बहुत ही विशेष आदमी हैं, क्योंकि 2019, पिछले वर्ष की बात है और ये सब जितने आप देख रहे हैं राजपूत केस में कई चीजें तहकीकात, ये सब उसी समय की हैं। इनको वाईब्रेंट गुजरात में ये सिर्फ एकमात्र फिल्म निर्माता थे, जिनके साथ करारनामा हुआ 177 करोड़ का। इनकी कंपनी का नाम है लीजेंड ग्लोबल स्टूडियो, सार्वजनिक रुप से मीडिया ने सब तस्वीरें दिखाई हैं, मुख्यमंत्री गुजरात, इनके साथ स्टेज पर हैं। ये 2019 में एकमात्र फिल्म वाले के साथ ये जो करारनामा हुआ, ये एक ऐसी कंपनी थी, जिसका 2017 में 66 लाख की हानि, लोस, प्रोफिट नहीं लोस था। 2018 में ये परिवर्तित हुआ 61 लाख के प्रोफिट का। लेकिन 2019 में वापस 4 लाख की लोस थी, तो 177 करोड़ 4 लाख की लोस मेकिंग कंपनी में कहाँ से इनवेस्ट होगा, कैसे होगा, कौन देगा, क्या जिम्मेदारी है, क्या आधार है? ये भी एक छठा प्रश्न सीधा उठता है। इन सब को जोडें तो सातंवा प्रश्न है कि क्या इसलिए ये इतनी हलचल हो रही है कि मॉरिशस का हल कैसे निकला, बॉयोपिक कैसे दी गई, ये 53 कॉल्स क्यों हुए, ये मीडिया में क्यों चल रही है कि ये शायद अब भारत