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कांग्रेस पार्टी ने दल के हित को कभी देश के हित से ऊपर नहीं रखा, देश का हित सर्वोपरी है-देखें वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं एक बडे संवेदनशील मुद्दे पर बात रखूंगा, जो देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, देश के संविधान के प्रावधान से जुड़ा हुआ है। दूसरा एक काफी दिनों से पूरे देश में चर्चा का विषय है,सुप्रीम कोर्ट का जिसमें आज जजमेंट आया है, सुशांत सिंह राजपूत जी के केस के बारे में है। दोनों विषयों पर मैं आपसे बात करुंगा,उसके बाद आपके जो भी सवाल होंगे, उनका स्वागत रहेगा। कांग्रेस पार्टी ने दल के हित को कभी देश के हित से ऊपर नहीं रखा। देश का हित सर्वोपरी है,दल का हित कभी भी देश के हित से ऊपर नहीं हो सकता है। हमने जब भी देश के लिए सवाल खड़े हुए, देश के साथ हम खड़े रहे। 

इस हमारे संविधान की सबसे अहम बात जो है, वो है हम जिसे अखंडता, संप्रभुता कहते हैं, जिसे सोवैर्निटी (Sovereignty) या इंटीग्रिटी(अखंडता) जिसे कहते हैं, उसे अक्षुण्ण रखने के लिए हर वक्त कांग्रेस पार्टी ने चाहे जो भी करना पड़ा था, वो करने की कोशिश की। मैं कांग्रेस के शासन  की बात करुं तो हम जब-जब भी शासन में रहे,जिस भी जगह पर कहीं ना कहीं टैरिरिज्म था,जहाँ कहीं हमारे ही लोगों के बीच में यदि कोई असंतोष की ज्वाला भड़की, कहीं पर नक्सलिज्म हुआ, इन सभी को देश के हित में सिर्फ कुचल देने की बात नहीं की, पर हमारे लोग जहाँ पर थे, हमारे भारतीय लोगों के बीच में असंतोष था, उनसे संवाद किया और उन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश की। देश में अमन, चैन, एकता और सुख-शांति बने रहे, उसकी कोशिश भी की। राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री थे, 15 अगस्त 1985 को असम पीस अकोर्ड (Assam Peace Accord) उन्होंने किया। पूरे देश को बताया कि उसमें क्या प्रावधान हैं और क्या पीस अकोर्ड हम करने जा रहे हैं। वहीं राजीव गांधी जी ने 30 जून, 1986 को मिज़ो पीस  अकोर्ड साइन किया, हमारे नोर्थ ईस्ट स्टेट्स में शांति बने, उसकी कोशिश की। जहाँ-जहाँ भी ऐसी बातें हुई, पंजाब से लेकर नोर्थ ईस्ट तक, हमने देश में अमन-चैन और शांति बनाने के लिए कोशिश की। नागालैंड अलग से स्टेट बना और नागा समस्याओं को भी एड्रैस करने की कोशिश की। 

हम आज भी चाहते हैं कि देश में कोई भी हो, कोई देशवासी है और उनके दिल में कहीं असंतोष है, तो वो निकले, पर हमारा जो संविधान का फ्रेमवर्कहै, उससे बाहर जाकर या तो वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए या कुछ मैंने कर दिया देखो, वो दिखाने के लिए आप इस देश के संप्रभुता, इस देश की अखंडता को नहीं तोड़ सकते।मोदी जी आए, उन्होंने 15 अगस्त, 2015 को डिक्लेयर कर दिया किमैंने पीस अकॉर्ड साइन कर लिया है, नागा समस्या खत्म  हो जाएगी, आप एनएससीएन (आईएम) के जनरल सेक्रेटरी के साथ बात हो चुकी है और हमारा ये काम ठीक हो गया है, सब सलामत है। तो पूछा  गया कि इसकी डिटेल, तो कहा इसकी डिटेल नहीं बताएंगे। बाद में पता चला कि ये पीस अकॉर्ड नहीं था,ये सिर्फ एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट हुआ  और  फ्रेमवर्क  एग्रीमेंट जब बनता है तो जो भी चुनी हुई सरकार है, जो स्टेक होल्डर हैं, जो आस-पास हैं, उन सबको विश्वास में लेना चाहिए। ना तो उस  वक्त पर मणिपुर, असम या अरुणाचल प्रदेश इनकी चुनी हुई सरकार को विश्वास में लिया गया। यहाँ तक कि नागालैंड की चुनी  हुई सरकार को भी  विश्वास में नहीं लिया गया और गवर्नर साहब कुछ करें और मोदी जी डिक्लेयर करें,ऐसी बातें हुई। बाद में जाकर जब पता चला कि नहीं ये तो  सिर्फ  फ्रेमवर्क एग्रीमेंट है, कोई पीस अकॉर्ड तो हुआ नहीं है। हमने डिटेल मांगी, राहुल गांधी जी ने सवाल किया,डिटेल नहीं दी गई। ना कैबिनेट को  बताया  गया,  ना पार्लियामेंट को बताया गया, ना आवाम को बताया गया। 

देश में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ है और बात ऐसे ही चलती रही।आज कुछ जो तथ्य आए हैं,हम सबके लिए बड़े चिंता पैदा करने वाले हैं। मैं  वो भी बात आपके सामने रखूंगा कि मोदी जी ने जिसके साथ सब कुछ ठीक हो गया है, ऐसी बात की, वो एनएससीएन (आईएम) के जनरल सेक्रेटरी टी मुइवा ने जो इंटरव्यू दिया और मीडिया को जो कहा, वो मैं आपके सामने रखना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि ‘हमारा सेपरेट फ्लेग होगा,  मतलब देश का तिरंगा वो नहीं मानेंगे, अलग झंडा होगा। हमारा अलग पासपोर्ट होगा और हम कभी भी नागाज, हम भारत प्रशासन के नीचे नहीं थे। अरे मोदी जी,आरएसएस के हेडक्वार्टर में तो तिरंगा बरसों तक नहीं लहराया, क्या इस देश में आप नई परंपरा शुरु कर रहे हैं? आप जवाब  दीजिए इस देश को कि तिरंगा के अलावा कोई दूसरा फ्लेग अगर हर जगह पर शुरु हो जाएगा तो देश को एक और अखंड रखने की बात कहाँ चली जाएगी। ये एक बहुत ही चिंता का विषय है.कुछ चीजें, तथ्य बाहर आए हैं और उन्हीं तथ्यों के आधार पर मैं जो आपसे बात कर रहा हूं और वो जो तथ्य मोदी जी ने तो अभी तक बताए नहीं थे और आज जो खुलकर बाहर आए हैं, जिनके आधार पर मैं ये बातें कर रहा हूं, वो हमारी जो प्रेस रिलीज होगी, उसके साथएनेक्चर में भेज रहे हैं। इसलिए मैं उस पर पूरा डिटेल आपके सामने नहीं पढ रहा हूं।मैं देश के प्रधानमंत्री जी से, देश के गृहमंत्री जी से  चंद सवाल करना चाहता हूं।मेरा पहला सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री जी फ्रेमवर्क एग्रीमेंट के तहत शेयर्ड सोवैर्निटी (Sovereignty) की बात की थी,जैसे कि एग्रीमेंट की कॉपी में हम देख सकते हैं? क्या भारत की संप्रुभता से समझौता करना देशद्रोह नहीं है?दूसरा, क्या प्रधानमंत्री जी नागालैंड  के लिए अलग झंडा  और अलग संविधान की बात समझौते के तहत मानी है आपने, जैसा कि तथ्यों से प्रतीत होता है, क्या ये देशद्रोह नहीं है?तीसरा, प्रधानमंत्री जी नागालैंड, ग्रेटर नागालैंड के लिए असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और कुछ हिस्से

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