अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा किसान विरोधी कानूनों के लगातार विरोध के क्रम में कांग्रेस पार्टी ने आज प्रदेश कांग्रेस समितियों के तत्वावधान में राज्यों की राजधानियों में राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया। विरोध प्रदर्शनों का उद्देश्य बधिर सरकार को किसानों की आवाज सुनाना था और न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त करने और कृषि उपज खरीद क्षेत्र में कॉर्पोरेट एकाधिकार पैदा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पारित नृशंस किसान विरोधी विधेयकों को वापस लें । मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, पार्टी नेता, विधायक, सांसद और पार्टी पदाधिकारी महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित स्थलों पर राज्य मुख्यालय में इकट्ठे हुए और इस शातिर कानून के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राजभवनों तक मार्च किया । दिल्ली में कार्यकर्ता और नेता तीन काले कानूनों को वापस लेने/निरस्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपने के लिए राज घाट पर एकत्र हुए। शांतिपूर्वक मार्च करने वाले कार्यकर्ताओं को बसों में गोल कर जबरन दूर स्थानों पर ले जाया गया।
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के साथ स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह की जयंती पर पैतृक गांव खटकड़ कलां में इकट्ठे हुए।उनके स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद सभी नेता मोदी सरकार के अधिनायकवादी तरीकों के विरोध में ‘ धरने ‘ पर बैठ गए । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपकर इन किसान विरोधी विधेयकों को तत्काल वापस लेने का आग्रह किया। इसी तरह गुजरात, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, पुडुचेरी, तेलंगाना, असम, हिमाचल में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने इसका विरोध किया और संबंधित राजभवनों तक मार्च निकाला और ज्ञापन सौंपा। महाराष्ट्र और झारखंड के नेताओं ने राज्यपालों से मुलाकात की और कांग्रेस पार्टी को ज्ञापन सौंपा।
लखनऊ और बनारस जैसे कुछ स्थानों पर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें जबरन बसों में उठा लिया गया। युवा कांग्रेस के प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न स्थानों पर किसान विरोधी बिलों का भी जोरदार विरोध जताया। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने सभी कांग्रेस शासित राज्य सरकारों से अपील की कि वे राज्य विधानसभाओं में कानून पारित कर इन अत्याचारी कानूनों को दरकिनार करने की संभावनाएं तलाशें ताकि किसानों को केंद्र सरकार द्वारा किए गए गंभीर अन्याय से बख्शा जा सके । इन किसान विरोधी कानूनों के ठोस विरोध के अनुरूप पार्टी दो अक्टूबर को देश भर में हर विधानसभा और जिला मुख्यालयों पर धरना और मार्च आयोजित कर “किसान-मजदूर बचाओ दिवस” का पालन करेगी ।