अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अद्वितीय व्यक्तित्व, दूरदृष्टि, राष्ट्र चिंतन और सकारात्मक प्रयोगों से पिछले 6 वर्षों में देश निरंतर उन्नति की उन्नति की ओर अग्रसर है। आज हर क्षेत्र में एक नए भारत का उदय हो रहा है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री द्वारा देश के अन्नदाताओं के लिए जो इस देश के लगभग सवा सौ करोड़ लोगों को अन्न प्रदान करते हैं, के हितों के लिए आजादी के बाद पहली बार अध्यादेश लाने का संकल्प लिया गया, परंतु विपक्ष के द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि इस अध्यादेश के आने से मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी, जबकि ऐसा नहीं होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के किसान भाइयों को सरकार द्वारा यह विश्वास दिलाया जाता है कि इस अध्यादेष से किसी तरह की जमाखोरी नहीं बढ़ेगी। सरकार का पूरा नियंत्रण रहेगा। किसी भी ऐसी वस्तुओं की जमाखोरी नहीं करने दी जाएगी, जिसकी उपलब्धता बाजार में कम हो गई होगी। अगर ऐसा होता है तो इसके पूरे भंडारण को सरकार अपने अधिकार में ले सकती है। उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश किसान भाइयों को अपना उत्पाद देश भर में कहीं भी बेचने का अवसर प्रदान करता है। यह किसानों की आर्थिक आजादी के लिए उठाया गया सही कदम है। किसान भाई अपने उत्पाद को स्थानीय स्तर पर बेचें, चाहे प्रदेश स्तर पर बेचें या फिर पूरे देश में कहीं भी बेचें, उनके लिए सारे विकल्प खोल दिए गए हैं। यह सुविधा पहले केवल उद्योग पतियों को ही प्राप्त थी। इन अध्यादेषों में कहीं भी ऐसा कोई जिक्र नहीं है कि किसान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल नहीं बिकेगी। यह सब विपक्ष के द्वारा झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं। किसान अगर चाहे तो मंडी में जाकर एमएसपी पर अपनी फसल को बेच सकता है। अगर उसको मंडी से बाहर एमएसपी से अधिक मूल्य मिल रहा है तो वह वहां बेचने के लिए भी स्वतंत्र है। यह किसान की मर्जी पर निर्भर करता है। किसान भाई कहीं भी अपनी फसल को बेच सकते हैं।
हरियाणा सरकार ने तो अब खरीफ फसल की खरीद के लिए सारी तैयारी भी कर ली है। हरियाणा में धान की खरीद के लिए 400 खरीद केंद्र, बाजरा के लिए 120 और मूंग के लिए 30 खरीद केंद्रों का निर्धारण भी कर दिया है। इन केंद्रों पर जाकर किसान भाई अपनी फसल को एमएसपी पर दे सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार आश्वस्त करती है कि किसान की जमीन को किसी भी स्थिति में कोई कंपनी नहीं कब्जा सकती है। जब तक का अनुबंध किसान चाहेगा, अपनी मर्जी से करेगा और जिस मूल्य पर चाहेगा, उस मूल्य पर करेगा। अध्यादेश की धारा 8ए में उल्लेख है कि अगर कोई भी व्यवसायी अनुबंध खेती की आड़ में किसान की जमीन नहीं ले सकेगा। कोई भी व्यवसायी एक बार अधिक धन देकर उसे चुकाने की एवज में हमसे बंधुआ खेती नहीं करा सकेगा। कोई भी व्यवसाय हमारे खेत यदि ट्यूबवेल व पाली हाउस जैसे ढांचा खड़ा करता है तो वह अनुबंध के 3 महीने के भीतर उसे नहीं हटाता है तो किसान उसका मालिक होगा। यह अध्यादेश पूरी तरह से किसान भाइयों के हित के लिए लाया गया है और आने वाले दिनों में यह उनकी आर्थिक दशा और दिशा बदलने में क्रांतिकारी साबित होगा।