अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
नॉएडा: जब देश बदल रहा है, तो प्रदर्शन का अंदाज़ भी बदल रहा है पहले महात्मा गांधी अहिंसा को अपना हथियार बनाकर अंग्रेजों से लड़े थे और देश को आजादी दिलाई थी। लेकिन समय बदल गया और धरना प्रदर्शन और संघर्ष का तरीका ही बदल गया है। अब प्रदर्शन करने पर प्रदर्शनकारियो को देशद्रोही और आतंकवादी बताया जाता है और उनपर वाटर कैनन से पानी की की बौछार और आंसू गैस के गोले और लाठीयों से स्वागत किया जाता है तो वहीं प्रदर्शनकारियों ने इसके लिए अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है और अपने साथ ब्लैक कैट कमांडो लेकर चलते हैं।
भारतीय किसान यूनियन भानु ने किसानो की रक्षा के लिए ब्लैक कैट कमांडो का दस्ता तैयार किया है, 700 जवानो को ट्रेंनिग दी जा चुकी है लक्ष्य 7 लाख जवानो को ट्रेनिंग देने का है। सिर से पैर तक काले कपड़ो ढके ये दोनों जवान लक्ष्मी और राजा, भारतीय किसान यूनियन भानु के ब्लैक कैट कमांडो जो प्रदर्शन और धरना पर अपने नेता और भारतीय किसान यूनियन भानु के प्रवक्ता सतीश चौधरी के रक्षक बन कर आए है। सतीश चौहान बताते है कि अभी इनकी तादाद भले ही कम है अभी देशभर में 700 ब्लैक कैट कमांडो हैं। यह बाउंसर भी हैं। भारतीय किसान यूनियन भानु का आने वाले समय में प्रयास रहेगा 700 के बजाय इनकी तादाद 7 लाख हो जाए। पूरे देश भर में ऐसी ब्लैक कैट कमांडो की सेना तैयार करने का प्रयास कर रहे है।
सतीश चौहान किसान का कहना हैं कि अब पहले जैसा किसान नहीं रहा है, जैसे हमारी देश की सरकारें इसे डिजिटल इंडिया बनाने में जुटी हैं, किसानो ने अपने खून पसीने की मेहनत करके एक लक्ष्य रखा है कि चाहे मैं कितना भी कर्जदार हो जाए , चाहे दिन रात भूखा सोना पड़े हम ईट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं। हम मजबूर नहीं हैं हमारे हृदय की भावना है, हमारे संस्कार हैं जो हमें जो बुजुर्गों ने हमें दिए हैं। हम गांधीवादी हैं, हम आतंकवादी नहीं है। आज इन सरकारों की नियत क्या है। यह जनमानस को हमें किसान नहीं बताती यह हमें आतंकवादी घोषित करने पर तुली हुई है। जैसी इनकी पॉलिसी थी हम इनकी नियत देख रहे थे हमारे विचार मन में आया कि हम अपने प्रयोगशाला में अपने जवानों को तैयार करना क्यों न करे। आज 700 ऐसे ब्लैक कैट कमांडो हमारे साथ हैं। जिन्हें हमने तैयार है हम चाहते हैं कि कम से कम 7 लाख ब्लैक कैट कमांडो किसान के बेटो की हिफाजत के लिए तैयार रहे है। कमांडो लक्ष्मीकांत और राजा कहते मैं इनका रक्षक हूं हमने आर्मी में काम नहीं किया है आर्मी के रिटायर अधिकारी हैं जिन्होनें हमें ट्रेनिंग दी है हमारा ट्रेनिंग सेंटर फिरोजाबाद में है।