अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ अब दिल्ली सरकार को सीपीआई का भी साथ मिल गया है। बुधवार को दिल्ली में ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुलाकात के बाद सीपीआई के महासचिव डी. राजा ने अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता का साथ देने की घोषणा की। सीपीआई से पहले भी कई गैर भाजपा दल केंद्र के इस तानाशाही अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता का साथ देने का ऐलान कर चुके हैं। जिसमें टीएमसी, शिवसेना, एनसीपी, बीआरएस, सीपीआई(एम), सपा, जदयू, आरडेजी शामिल हैं। इस दौरान ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र ने अध्यादेश लाकर दिल्ली की जनता का जनतांत्रिक अधिकार छीन लिया है। दिल्ली में तो यह शुरुआत है। अगर इस अध्यादेश को संसद में नहीं रोका गया तो ऐसा ही अध्यादेश राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल समेत दूसरे राज्य में भी आ सकता है। वहीं, भाकपा महासचिव डी. राजा ने घोषणा करते हुए कहा कि हम केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ हैं और हमारी पार्टी संसद में इसका पुरजोर विरोध करेगी।
अध्यादेश पर दिल्ली का समर्थन करने के लिए भाकपा महासचिव डी. राजा का धन्यवाद करते हुए “आप” के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के दो करोड़ लोगों का यह जनतांत्रिक हक है कि वो जिस सरकार को वोट देकर चुन रहे हैं, उसे काम करने की सारी शक्तियां होनी चाहिए। यह जनता का मूल जनतांत्रिक अधिकार है। इसे केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाकर छीना गया है। आज यह दिल्ली के लोगों के साथ हो रहा है, कल को ऐसा ही दूसरे राज्य में भी हो सकता है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज अगर कोई यह सोच रहा कि दिल्ली आधा राज्य है। इसलिए दिल्ली में यह अध्यादेश लाया गया है, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कल को समवर्ती सूची के सभी विषयों को शामिल करते हुए इस तरह का आध्यादेश राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल के लिए भी लाया जा सकता है। इसलिए अगर कोई यह समझ रहा है कि यह सिर्फ दिल्ली का मामला है, तो ऐसा नहीं है। दिल्ली में तो इन्होंने शुरुआत की है, यहां तो प्रयोग हुआ है। अगर इस अध्यादेश को दिल्ली में नहीं रोका गया तो कल को जहां भी गैर-भाजपा सरकार बनेगी, उन राज्यों में भी ऐसा ही अध्यादेश आएगा। अब देश के 140 करोड़ लोगों और सभी पार्टियों को मिलकर इस अध्यादेश को रोकना है और इसका विरोध करना है।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली की जनता के कई बार बुरी तरह से हराया है। दिल्ली के लोगों ने भाजपा को एक बार 70 में से तीन और दूसरी बार आठ सीटें दी। इसके बाद दिल्ली वालों ने नगर निगम चुनाव में भी भाजपा को हराया है। चूंकि भाजपा दिल्ली में चुनाव नहीं जीत सकती, इसलिए वो पिछले दरवाजे से दिल्ली को चलाना चाहती है। यह सरासर गलत है। दिल्ली की जनता को देश की जितनी भी पार्टियों ने समर्थन दिया है, हम उसके लिए उनका दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा और राज्यसभा के अंदर जब यह अध्यादेश बिल के रूप में आएगा तो इसको हराया जाएगा। इस दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा ने दिल्लीवालों को अपना समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर दिल्ली सरकार के सभी अधिकार हड़प लिए हैं। यह बहुत ही निंदनीय है। हमारी पार्टी ने हमेशा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है। दिल्ली में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार है। इसके बावजूद सरकार के पास कोई शक्ति नहीं है। पुडुचेरी में भी यही स्थिति है और हमारी पार्टी ने हमेशा दिल्ली और पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के साथ जो किया है, वो बेहद क्रूर है। यह हमारे देश में संघीय ढांचे के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। एक तरह से भारत के संविधान और संघीय ढांचे को कमजोर किया जा रहा है। यह देश के लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली के लिए खतरा है। इसलिए हम अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के साथ हैं। जब भी इसे संसद में लाया जाएगा, हमारी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी। हम अध्यादेश को वापस लेने और राज्य सरकार की शक्तियों को बहाल करने के लिए दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हैं।भाकपा के महासचिव डी. राजा ने कहा कि जो दिल्ली सरकार के साथ हुआ है, वो देश के दूसरे राज्य में भी हो सकता है। ऐसे में अब समय आ गया है कि सभी गैर-भाजपा दल इस मुद्दे पर एकजुट हों। इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार का समर्थन करने के लिए कई अन्य राजनीतिक दल खुलकर सामने आए हैं। कुछ पार्टियां अभी इस मुद्दे पर अपने रुख को लेकर विचार कर रही है। सबसे जरूरी बात ये है कि ये मुद्दा केवल दिल्ली सरकार से संबंधित नहीं है, बल्कि देश की किसी अन्य राज्य सरकार के साथ भी ऐसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां एक निर्वाचित मुख्यमंत्री है। मगर फिर भी राज्य सरकार को अधिकार क्यों नहीं दिए जा रहे हैं? जिस तरह से केंद्र दिल्ली के लोगों के साथ व्यवहार कर रहा है, वो बहुत ही अपमानजनक है। सभी वामपंथी दल इस मुद्दे पर दिल्ली के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं। केंद्र की ओर से अध्यादेश लागू किए जाने के बाद वामपंथी दलों ने पहले भी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया था। हम इस अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में दिल्ली सरकार का समर्थन करते हैं। हम संसद के अंदर और बाहर इसका विरोध करेंगे। वहीं, ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तमिलनाडु में मंत्री की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मंत्री को गिरफ्तार किया गया है, वो बहुत ही आपत्तिजनक है। हम तमिलनाडु के सीएम श्री एमके स्टालिन और उनकी पार्टी का समर्थन करते हैं और उनके साथ खड़े हैं। भाजपा को अगर यह लगता है कि तमिलनाडु में सरकार को डराने-धमकाने, उनके मंत्रियों को गिरफ्तार करने और ईडी-सीबीआई छोड़ने से भाजपा को तमिलनाडु में सीटें मिल जाएंगी तो वो भूल जाए। तमिलनाडु में भाजपा की एक भी सीट नहीं आने वाली है। पूरा देश यह देख रहा है कि कभी एक जमाना था, जब सीबीआई-ईडी अगर रेड मारती थी तो लोगों को लगता था कि जरूर उसने कुछ गलत काम किया होगा। मगर आज जब सीबीआई-ईडी छापेमारी करती हैं तो लोगों को लगता है कि उस व्यक्ति ने कुछ ठीक काम किया होगा। इसलिए उसको तंग किया जा रहा है। सीबीआई-ईडी का नाम बदलकर बीजेपी सेना रख देना चाहिए, क्योंकि अब यह कोई जांच एजेंसी नहीं रह गई हैं।बीते 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पक्ष में फैसला दिया था। इसके अनुसार दिल्ली की सर्विसेज विभाग पर दिल्ली की चुनी हुई दिल्ली सरकार का अधिकार होगा। लेकिन इसके एक सप्ताह बाद ही 19 मई को भाजपा की केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल गत 23 मई से केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने के लिए उनसे मुलाकात कर रहे हैं। 23 मई को उन्होंने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात कर उनका समर्थन लिया। इसके बाद 24 मई को मुम्बई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। उद्धव ठाकरे ने भी दिल्ली का समर्थन करने का एलान किया है। इसी कड़ी में आज वे मुम्बई में ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी। इसके अलावा, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव, सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता का साथ देने की घोषणा की है। इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दिल्ली में ‘‘आप’’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर राज्यसभा में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता का साथ देने की घोषणा की थी।
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