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अपराध दिल्ली नई दिल्ली

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने एक इंजीनियर को करोड़ों की धोखाधड़ी करने के मामले में किया अरेस्ट। 

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने आज एक बैंक को फर्जी कागजात के जरिए करोड़ों रूपए के लोन लेने और लोन चुकता ना करने के मामले में एक शख्स को गिरफ्तार किया हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपित का नाम का नाम राकेश सिंह निवासी सेक्टर -60 , गुरुग्राम, उम्र 45 साल हैं। इस आरोपित के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी , साजिश रचने व दो बलात्कार के मामले सहित 11 मुकदमें दर्ज हैं। इस आरोपित को मुकदमा नंबर -142 , दिनांक 31 जुलाई 2019 व भारतीय दंड सहिंता की धारा 420 , 406 , 467 , 468 , 471 , 120 बी थाना आर्थिक अपराध शाखा, दिल्ली पुलिस  में  दर्ज हैं।  

पुलिस के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक, कालकाजी शाखा, नई दिल्ली की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि 22 सितंबर -15 को आरोपी कंपनी यानी मैसर्स जिया एग्रो प्रा लिमिटेड ने अपने निदेशकों के माध्यम से ज्योति चौधरी और हरबिंद सिंह को 2.50 करोड़ रूपए की नकद ऋण सुविधा दी थी नीता रानी गुप्ता के नाम की एक महिला गारंटर थी, जिसने अपनी संपत्ति डी -193 ग्राम साहिबाबाद दौलत पुर दिल्ली में गिरवी रखी थी। 19 अगस्त-16 को क्रेडिट सुविधा को बढ़ाकर 3.25 करोड़ रूपए कर दिया गया। वर्ष 2018 में कानूनी ऑडिट के दौरान यह पता चला कि बैंक के कब्जे में विलेख की बिक्री जाली है। गारंटर नीता रानी गुप्ता अचूक हैं और विकास पुरी के दिए गए पते पर उपलब्ध नहीं हैं। नीता रानी गुप्ता के केवाईसी दस्तावेज भी जाली पाए गए। पूछताछ के दौरान, शिकायतकर्ता बैंक के अधिकारियों और अन्य लोगों ने बताया कि यह राकेश सिंह था जो जिया एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के मामलों को संभाल रहा था और वह मुख्य साजिशकर्ता है। केस दर्ज होने के बाद से ही तीनों आरोपी व्यक्ति यानि ज्योति, हरबिंद सिंह और राकेश सिंह फरार हो गए थे। आरोपी राकेश सिंह ने 1999 में रांची से बीटेक किया।

इंजीनियरिंग में कैरियर का पीछा करने के बजाय उन्होंने अपराध की दुनिया में शामिल होना पसंद किया। वह एक अनुभवी धोखा बाज है जिसने वर्ष 2003 में अपराध के अपने कैरियर की शुरुआत की थी। उसने बूम बायिंग प्राइवेट के नाम से कई कंपनियां खोलीं, बूम एग्रो प्रा लि, बूम केमिकल प्रा लिमिटेड, बूम हैंडीक्राफ्ट प्रा लिमिटेड, बूम मेटल अनाज व्यापारियों और निर्यातकों को धोखा देना। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी में फैली एफआईआर के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उन्होंने खुद को अनुभवी और प्रसिद्ध निर्यातक होने का प्रतिनिधित्व किया। जिससे उन्होंने अनाज व्यापारियों और निर्यातकों को उससे निपटने के लिए प्रेरित किया। उसने माल प्राप्त किया और उन्हें भुगतान नहीं किया। आरोपी राकेश कुमार बहुत ही चतुराई से जांच एजेंसी को चकमा देता रहा और अपनी गिरफ्तारी से बचता रहा। टीम ने आरोपियों का डेटा एकत्र किया और दिल्ली और यूपी के कई स्थानों पर निगरानी बनाए रखी। 20 सितंबर 2020 को सटीक टिप पर, उसे गुरुग्राम में अपने ठिकाने से गिरफ्तार किया गया। आरोपी को संबंधित न्यायालय के समक्ष पेश किया जा रहा है। फरार ज्योति चौधरी का पता लगाने के लिए आगे की जांच की जा रही है

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