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अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर है चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में दो अंकों की वृद्धि हुई है-बीजेपी

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल की मेरे पिछले पत्रकार सम्मेलन के बाद से आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम। 23 सितंबर को अपने पिछले प्रेसवार्ता में मैंने निम्न बातों को प्रमुखता से कही थी -: अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर है चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में दो अंकों की वृद्धि हुई है। सतत आधार पर उच्च एक अंकों की जीडीपी वृद्धि। हमारे इस कथन को बाद में कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय निष्पक्ष एजेंसियों ने भी स्वीकार किया है। आज की तारीख में पूरी दुनिया और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा जोखिम मुद्रास्फीति के दबाव के कारण ब्याज दरों का समय से पहले सख्त होना। दुनिया भर में तेल और कमोडिटी की कीमतें बढ़ रही हैं, अमेरिकी मुद्रास्फीति 30 साल के उच्च स्तर 6.2% पर है। यह कोविड के आर्थिक नतीजों से लड़ने के लिए दुनिया के प्रमुख देशों द्वारा अपनाई गई गलत आर्थिक नीति का परिणाम है। अधिकांश राष्ट्रों ने बड़े पैमाने पर आसान quantitative मौद्रिक नीतियों का पालन किया जैसे कि मुद्रा की printing करना और बिना काम के लोगों को भुगतान करना (Helicopter Money)। इन नीतियों को अब गलत बताया जा रहा है। अक्टूबर 2021 के लिए वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार इनपुट लागत में वृद्धि और दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के व्यापक प्रभाव चिंता का विषय बने हुए हैं । हमने कोविड-19 की वजह से हुए आर्थिक त्रासदी से उबरने के लिए अनियंत्रित राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण का सहारा नहीं लिया। हमारी सरकार ने तीव्र दबाव के बावजूद विवेकपूर्ण आर्थिक नीति का पालन किया। मोदी सरकार ने अपनी आर्थिक प्रतिक्रिया में कैलिब्रेटेड दृष्टिकोण का पालन किया :

अनुक्रमिक राजकोषीय प्रोत्साहन

Direct Benefit Transfer (DBT) – केंद्रित और लक्षित

इसके साथ–साथ विवेकपूर्ण आर्थिक प्रबंधन के रूप में, सरकार ने counter cyclical policy का पालन किया और वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उठाकर उन पर कर बढ़ा दिया। अब जबकि महामारी के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है, हमने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में काफी कमी की है। यह कदम निम्नलिखित दो उद्देश्यों के साथ उठाया गया है : मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना उपभोक्ता मांग में वृद्धि सरकार मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना चाहती है ताकि आरबीआई के पास मांग बढ़ाने केलिए ढीली मौद्रिक नीति(Monetary Policy) को जारी रख सके। सरकार का यह कदम सुनिश्चित करेगा कि आरबीआई बड़े पैमाने पर तरलता कम करके या बेंचमार्क ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए बाध्य ना हो। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हमारी सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी करने से घरेलू उपभोक्ताओं के हाथों में लगभग 44,000 करोड़ रुपये होगा। राज्य सरकारों द्वारा लागू वैट में 9,000 करोड़ की कमी आएगी और राज्य सरकारों द्वारा वैट में कटौती के कारण 35,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी। अत: देश की उपभोक्ताओं को जेब में लगभग 88,000 करोड़ रुपये पहुंचेगी, जिससे मांग बढ़ेगी। सभी एनडीए(NDA) शासित राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट (VAT) कम किया, लेकिन विपक्षी शासित राज्यों ने एक/दो को छोड़कर वैट(VAT) में कटौती करने से इनकार कर दिया। नौ विपक्षी राज्य: आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, नई दिल्ली, झारखंड,केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, बंगाल ने वैट में कटौती से साफ़ इनकार कर दिया है। केंद्र ने राज्यों को जीएसटी मुआवजे के रूप में 1,00,000 करोड़ रुपये और एंड-टू-एंड ऋण वित्तपोषण के रूप में 1,59,000 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया है। केंद्र ने कल घोषणा की, 22 नवंबर को राज्यों को अग्रिम हस्तांतरण दो किस्त में जारी करेगा। सामने दिख रही एक महत्वपूर्ण चुनौती कम हो रही है। यह परिवर्तन अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों द्वारा अपनाई जा रही मात्रात्मक सहजता (QE) नीतियों का ठहराव है। जैसा कि आपको याद होगा, 2008 ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (जीएफसी) के बाद अमेरिका द्वारा अपनाई गई QE नीतियों को 2013 में वापस लिया गया था। तथाकथित अर्थशास्त्री पीएम मनमोहन सिंह के तहत उस समय भारत की मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिति बुरी हो गई थी और भारत में विदेशी मुद्रा का संकट हो गया था। यह उनकी सरकार द्वारा अपनाई गई दोषपूर्ण आर्थिक नीतियों के कारण हुआ था और भारत डिफॉल्ट के कगार पर पहुँच गया था। 2013 में भारत दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं शामिल हो गया था।
विश्प्रव के प्रमुख केंद्रीय बैंक एक बार फिर कोविड संकट के मद्देनजर अपनाई गई QE नीतियों को पलटने (रिवर्स) जा रहे हैं,लेकिन मोदी सरकार की सुदृढ़ आर्थिक नीतियों के कारण हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और हम इस विपरित प्रभाव को आसानी से संभाल लेंगे। हमारा बढ़ती हुई निर्यात और हमारा विदेशी मुद्रा भंडार सर्वकालिक उच्च स्तर पर है अक्टूबर 2021 साल दर साल(YOY) की स्थिति के अनुसार व्यापारिक निर्यात में 62.5% की वृद्धि हुई है अप्रैल से अगस्त '21 के दौरान कृषि उत्पाद निर्यात वृद्धि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 21.8% है शुद्ध राजस्व कर का साल दर साल (YOY) दोगुना होना गैर-कर राजस्व में 70% की वृद्धि, YOY सितंबर के लिए जीएसटी संग्रह अब तक का उच्चतम 1.3 लाख करोड़ रुपये अक्टूबर 2021 में 42.3% की मजबूत निर्यात वृद्धि,YOY विनिर्माण पर पीएमआई 55.9 तक और सेवाओं में पीएमआई अक्टूबर में 58.4 तक विस्तारित हुआ हे। वर्ष 2021-22 के लिए हमारे पास 640 बिलियन डॉलर के बिदेशी मुद्रा हे, जो की 14 महीने की अनुमानित आयात को पूरा कर सकता है। मनरेगा के अन्तरगत काम की मांग 17 महीने के निचले स्तर पर आ गई है कृषि पर स्थिति आकलन सर्वेक्षण (एसएएस) से पता चलता है कि 2012/13 और 2018/19 के बीच किसानों की आय में 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है कई दूरगामी सुधार किए जा रहे हैं। अक्टूबर के महीने में सरकार एयर इंडिया के निजीकरण पर किसी निर्णय पर पहुंची और इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक औपचारिकताएं पूरी होने की उम्मीद है। एयर इंडिया का निजीकरण एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है। 18 साल बाद किसी भी सार्वजनिक उपक्रम का निजीकरण किया गया है। पिछली बार जब किसी PSU का निजीकरण हुआ था तो अगले साल चुनाव में वोट देने के योग्य लोग जन्म भी नहीं हुए थे । सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के अंत तक और 5-6 सरकारी कंपनियों का निजीकरण करने का लक्ष्य रखा है। विनिवेश मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे दूसरी पीढ़ी के सुधारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे केबल संसाधन उत्पन्न करने के साधन के रूप में देखना गलत होगा। मैं यहां यह जोड़ना चाहता हूं कि जहां तक ​​भारतीय अर्थव्यवस्था का संबंध है, मनमोहन सिंह सरकार के दस वर्ष बेकार गए। नरेन्द्र मोदी सरकार की सही आर्थिक नीतियों के कारण भारत आज ‘ट्विन बैलेंस शीट’ संकट से बाहर आ गया है। प्रधानमंत्री ने आज कहा है कि हमने आर्थिक सुधारों से जमीन तैयार कर दी है और निजी क्षेत्र को छलांग लगाने की जरूरत है। मैं इस प्रेसवार्ता के माध्यम से यह दोहराते हुए समाप्त करना चाहूंगा कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को सही दिशा प्रदान किया है। कोविड संकट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी अनुकरणीय है और सभी को आश्वस्त करता हूं कि हमारी सरकार सभी आवश्यक कदम सही समय पर
उठा रही है, ताकि भारत आर्थिक विकास की उच्च दर को हासिल कर सके।

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