अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली के स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों में 2047 में भारत जब अपनी आज़ादी की 100वीं वर्षगांठ के बारे में अपने विचारों और जुनून को व्यक्त करने के लिए,केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के सभी स्कूलों के लिए “2047 में मेरे सपनों का भारत” प्रतियोगिता का आयोजन किया। शिक्षा मंत्री आतिशी गुरुवार को त्यागराज स्टेडियम में इसके समापन समारोह में शामिल हुई, प्रतियोगिता में शामिल बच्चों से बातचीत कर 2047 के भारत को लेकर उनके आइडियाज, देश को लेकर उनके सपनों पर चर्चा की और प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया। गौरतलब है कि प्रतियोगिता में पूरी दिल्ली से लगभग 3.17 लाख छात्र और शिक्षक शामिल हुए थे और इसे जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों को अपने संबोधन में बधाई देते हुए शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, “यहाँ मौजूद छात्र जिस आत्मविश्वास के साथ 2047 के भारत के लिए अपना विज़न प्रस्तुत कर रहे है मुझे यह देखकर बेहद ख़ुशी हो रही है। मुझे विश्वास है कि हम अपने छात्रों के इसी आत्मविश्वास और विज़न की बदौलत, 2047 तक भारत को ज़रूर एक वैश्विक शक्ति और ग्लोबल लीडर में बदल देंगे। उन्होंने कहा कि, छात्रों ने 2047 में भारत के लिए अपने भविष्य के दृष्टिकोण को साझा किया है, चाहे वह महिलाओं सुरक्षा सुनिश्चित करने के विषय में हो, इलेक्ट्रिक वाहनों से आगे बढ़ने के बारे में हो, या सभी के लिए खाद्य सुरक्षा हासिल करने के विषय में हो। ये विचार इस बात पर ज़ोर डालते हैं कि प्रतियोगिता में भाग लेने वाला प्रत्येक बच्चा भविष्य के लिए एक बेहतर भारत की कल्पना कर रहा है।शिक्षा मंत्री ने कहा कि,1947 से लेकर आज तक, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई लक्ष्य हासिल किए जाने बाकी हैं और सुधार लागू किए जाने बाकी हैं। आज भी देश में बहुत से बच्चे ऐसे है जिन्हें अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती, बहुत से लोगों को हेल्थ-केयर सुविधाएँ नहीं मिल पाती,बेरोजगारी है, महिलाओं-लड़कियों को अपने घर से बाहर जाने में असुरक्षा का भाव होता है। यहां मौजूद छात्रों ने भी हर बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल तक समान पहुंच की गारंटी देने, लिंग और जाति के आधार पर भेदभाव को खत्म करने और बाहर निकलने पर महिलाओं की असुरक्षा के मुद्दे को संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया है। यदि आज यहां एकत्र हुए सभी छात्र भारत में परिवर्तन लाने का संकल्प लें, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि 2047 तक वो ज़रूर इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। शिक्षा मंत्री आतिशी ने आगे कहा कि, “आज, बहुत से प्रमुख मल्टी-नेशनल कंपनियों के, सीईओ और कर्मचारी भारतीय हैं। यहां तक कि दुनिया भर के अस्पतालों में सबसे वरिष्ठ डॉक्टर भी अक्सर भारतीय होते हैं। दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले प्रख्यात अनुसंधान वैज्ञानिक भी भारतीय मूल से हैं। जो साफ़ ज़ाहिर करता है कि हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है। और इस प्रतिभा,मेहनत और जुनून के साथ भारत 2047 तक निःसंदेह ग्लोबल लीडर बन सकता है। इस विज़न को सच करने के लिए यहाँ मौजूद बच्चे आज से ही संकल्प कर ले की उन्होंने 2047 के भारत के लिए जो सपना देखा है उसे पूरा करने के लिए ईमानदारी के साथ मेहनत करेंगे।
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