अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम: गुरुग्राम के उपायुक्त डॉ. यश गर्ग ने कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके व्यक्तियों से अपील की है कि वे ठीक होने के बाद भी अपने स्वास्थ्य के मॉनिटरिंग करते रहे। इस दौरान व्यक्ति पोषक तत्वों से भरपूर अच्छी डाइट ले। गंभीर संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति को यदि ब्लैक फंगस के लक्षण स्वयं में दिखे तो तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें।
उपायुक्त डॉ. यश गर्ग के निर्देशानुसार कोरोना संक्रमित मरीजों की उचित देखभाल के साथ ही उनका स्वास्थ्य संबंधित उचित मार्गदर्शन स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया जा रहा है। हेल्पलाइन नंबर 1950 तथा स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा उनके स्वास्थ्य्य की मॉनिटरिंग करते हुए उनका निरंतर मार्गदर्शन किया जा रहा है। जिला में कोरोना संक्रमित मरीजों को स्वास्थ्य सुधार में पूरी सावधानी बरतने के लिए सचेत किया जा रहा है। उपायुक्त ने कहा कि कोरोना से बचाव के व्यापक प्रबंध जिला प्रशासन द्वारा सुनिश्चित किए गए हैं, ऐसे में संक्रमित मरीजों को चिकित्सा अधिकारियों के दिशा-निर्देशों की पालना करनी होगी, तभी बीमारी से बचाव हो सकता है। महामारी के दौर में उपजी नई बीमारी ब्लैक फंगस को लेकर जिलावासियों को स्वास्थ्य सुरक्षा के सुझाव दिए गए है। स्वास्थ्य जांच में नेत्र रोग से जुड़ी टीम पूरी सक्रियता से लगी हुई है। उन्होंने बताया कि म्यूकर माइकोसिस इंफेक्शन अर्थात ब्लैक फंगस एक गंभीर बीमारी है, जो संक्रमित शरीर के अंदर तेजी से फैलती है। उन्होंने बताया कि यदि व्यक्ति को कैंसर, डायबिटीज , हार्ट, अस्थमा और टीबी जैसी घातक बीमारियों के साथ-साथ कोरोना की बीमारी भी है तो उन्हें ब्लैक फंगस की बीमारी से ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है। कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को इस ब्लैक फंगस जैसी बीमारी से अधिक सचेत रहने की जरूरत है। ब्लैक फंगस मरीज के दिमाग, फैंफड़े, स्किन पर सीधे अटैक करता है और आंखों की रोशनी तक इस रोग के कारण जा सकती है। ऐसे में मरीज को यदि किसी भी रूप से पलकों पर सूजन दिखाई देती है तो आवश्यक चिकित्सक से जांच करवाते हुए सजगता बरतकर बचाव का सशक्त माध्यम अपनाएं। नेत्र रोग चिकित्सको के अनुसार कोरोना महामारी के कारण विकसित हो रही ब्लैक फंगस बीमारी से बचाव के लिए मरीज ब्लड ग्लूकोज पर नजर अवश्य रखें। साथ ही स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय व डोस का पूरा ध्यान रखा जाए। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान स्टेराइल वाटर का प्रयोग करें। एंटी बॉयोटिक्स व एंटी फंगल दवाइयों का सावधानी से इस्तेमाल करें और ब्लड शुगर की मात्रा नियंत्रित रखें। यदि किसी भी व्यक्ति को इस प्रकार की बीमारी के लक्षण महसूस होते हैं तो वह तुरंत स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों से भी संपर्क करें ताकि समय रहते इसका इलाज संभव हो सके।
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