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प्रधानमंत्री ने मुंबई में इमारत गिरने से हुए जान-माल के नुकसान पर किया शोक ब्यक्त

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मुम्‍बई के डोंगरी इलाके में इमारत गिरने से हुए जान-माल के नुकसान पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने अपने संवेदना संदेश में कहा, ‘मुंबई के डोंगरी इलाके में इमारत के गिरने से मुझे दुख पहुंचा है। मेरी संवेदनाएं उन लोगों के परिवारों से है, जिन्‍होंने इस हादसे में अपनी जान गंवाई। मुझे उम्‍मीद है कि घायल लोग जल्‍दी स्‍वस्‍थ हो जाएंगे। महाराष्‍ट्र सरकार,एनडीआरएफ और स्‍थानीय निकाय राहत और सहायता कार्यों में लगे हुए है।’

इस बारिश ने कुछ दिनों पहले मुंबई को परेशान किया था,लेकिन इस बारिश के साइड इफेक्ट ने मुंबई को अब रुलाना शुरू कर दिया है.पहले एक दीवार गिरी जिसकी भेंट लोग चढ़ गए थे. फिर मेनहोल में एक बच्चा गिर गया और मुंबई के डोंगरी इलाके में अब एक बहुत पुरानी गिरी इमारत में करीब पचास लोग दब गए. अब तक हादसे में 14 लोगों की जान जा चुकी है और 9 घायल हो गए हैं. दो बच्चों को इमारत के मलबे से निकालकर सर जेजे अस्पताल भेजा गया,जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. 28 साल की एक महिला अलानी इडारी को सुरक्षित मलबे से निकालकर जेजे अस्पताल भेजा गया, जहां उनका इलाज चल रहा है. लेकिन इसके लिए जिम्मेदार कौन है ये तय नहीं हो पा रहा है.मुंबई में अब पानी तो उतर गया है, लेकिन जिंदगी हारती जा रही है. बारिश का पहला शिकार तो कमजोर मकान ही बनते हैं. वही हुआ. मुंबई के डोंगरी इलाके में मलबे की शक्ल में दर्द का ढेर लगा हुआ है.



संकरी गलियों के बीच मंगलवार सुबह करीब 11 बजे ये इमारत अचानक ढह गई. हादसा इतना तेज और जल्दी में हुआ कि पचास से ज्यादा लोग दब गए. किसी को कुछ समझ में ही नहीं आया कि हुआ तो हुआ क्या. एक तो सौ साल पुरानी इमारत. उस पर से बारिश की मार. लोगों के पास ठिकाना नहीं तो क्या करें. ऐसे घर में रहते थे जिसने जिंदगी पर मिट्टी डाल दी.हादसे के बाद बचाव कार्य में एजेंसियों ने मोर्चा तो संभाला. लेकिन संकरी गलियां, बरसात और हर तरफ बिजली के तारों का जाल उनके रास्ते में रोड़ा बन गए. लोगों ने हाथों हाथ उम्मीदों की जिंदगी को बचाया. जो मलबे से जिंदा निकले, उनको अस्पताल पहुंचाया. हुकूमत भी हाजिर हुई,मगर सिर्फ अफसोस के साथ.मुंबई में बारिश में किसी मेनहोल में कोई बच्चा गिर जाता है तो कहीं कोई और.यहां कोई मेनहोल ही नहीं खुलती है,हुकूमत की पोल भी खुलती है.अब सवाल है कि जिस इमारत के जमींदोज होने से मौत का दरवाजा खुला, उसका गुनहगार कौन है.सवाल सरकार पर उठ रहे हैं तो जवाब में बात जांच पर आ जाती है.जांच तो जब होगी, तब होगी लेकिन सवाल है कि इस हादसे का जिम्मेदार कौन है? हादसे के लिए म्हाडा या बीएमसी जिम्मेदार है या फिर दोनों? इमारत BSB डेवलपर्स की है तो क्या उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं? सरकार ने 100 साल पुरानी इमारत को जर्जर इमारत की लिस्ट में क्यों नहीं डाला? सवाल ऐसे हैं कि जवाब को लीपापोती की फाइल में दबा दिया जाएगा.

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