अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:खोरी गांव फरीदाबाद से उजाड़े गए मजदूर परिवारों के पुनर्वास के संबंध में आज सुप्रीम कोर्ट में चल रहे खोरी गांव रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन बनाम हरियाणा सरकार एवं सरीना सरकार बनाम हरियाणा सरकार के मामले में न्यायाधीश खानविलकर की बेंच ने फैसला दिया की बेदखल परिवारों की ओर से जो भी क्लेम या दस्तावेज नगर निगम को प्राप्त हुए है उन्हे देखकर पात्रता सुनिश्चित करे और बिना वेरिफिकेशन किए पहले आवेदन देने वाले परिवारों को अस्थाई रूप से आश्रय प्रदान किया जाए अर्थात घर दिया जाए। यह कार्य नगर निगम को एक सप्ताह में पूर्ण करना है । अगली सुनवाई अगले सोमवार को रखी गई है।
निर्मल गोराना ने बताया कि मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्यों एवं मानवा धिकार अधिवक्ताओं की ओर से गत 13 सितंबर, 2021 को खोरी गांव, राधा स्वामी सत्संग हाल एवं डबुआ एवं बापू कॉलोनी का विजिट किया गया जहां सरकार की ओर से कोई त्वरित कार्यवाही या काम होता हुआ नहीं दिखा। जबकि बेदखल परिवार भयंकर बारिश में एक पन्नी में अपने परिवार को समेटे और मलबे के ढेर पर अपने जीवन की शव यात्रा निकालते पाए गए। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव की सदस्य फुलवा देवी ने बताया कि जिन मजदूर परिवारों के दस्तावेज दिल्ली के है उनको भी कोर्ट आवास के रूप में पुनर्वास देकर सामाजिक न्याय दे। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव ने दिल्ली की आईडी को लेकर पुनर्वास का बीड़ा उठाया।
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