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देश में लोकतंत्र का गला घोंटते हुए तत्कालीन पीएम इंदिरा गाँधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया था: अमित शाह

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट /नई दिल्ली
केंद्रीय गृहमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को देश पर आपातकाल थोपे जाने की 45वीं बरसी पर कांग्रेस पार्टी जम कर हमला बोला और कहा कि देश में तो लोकतंत्र है लेकिन कांग्रेस पार्टी में लोकतंत्र नहीं है। ज्ञात हो कि देश में लोकतंत्र का गला घोंटते हुए
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया था। देश में आपातकाल 21 मार्च 1977 तक, यानी 21 महीनों तक लगा रहा। इस दौरान कांग्रेसी सरकार ने सभी नागरिक अधिकारों को ख़त्म कर दिया था और सरकार के इस अलोकतांत्रिक रवैये का विरोध करने वाले तमाम नेताओं को जबरन और अकारण जेल में बंद कर दिया गया था। आपातकाल को स्वतंत्र भारत के इतिहास पर सबसे काला धब्बा माना जाता है।
शाह ने एक-के-बाद-एक करके कई सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कांग्रेस पार्टी पर करारा प्रहार किया और कहा कि कांग्रेस अभी तक आपातकाल वाली मानसिकता को ही जी रही है। उन्होंने कहा कि 45 वर्ष पूर्व आज के ही दिन सत्ता के लालच में एक परिवार ने देश पर आपातकाल थोपा था। रातों-रात पूरे देश को जेल में तब्दील कर दिया गया। प्रेस, अदालतें, अभिव्यक्ति की आजादी….सब कुछ ख़त्म कर दिया गया। गरीबों और दलितों पर अत्यधिक अत्याचार किए गए। उन्होंने आगे कहा कि लाखों लोगों के अथक प्रयासों एवं संघर्षों के कारण देश से आपातकाल का अंत हुआ और एक बार पुनः देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई लेकिन कांग्रेस का रवैया नहीं बदला, कांग्रेस में अब तक लोकतंत्र बहाल नहीं हो पाया है। कांग्रेस पार्टी में हमेशा ही एक परिवार के हित, पार्टी और देश हित से भी ऊपर रखे गए। दुर्भाग्य से कांग्रेस में आज भी यही हो रहा है। आज भी कांग्रेस आपातकाल वाली सोच से बाहर नहीं आ पाई है, कांग्रेस में अभी तक इमरजेंसी वाली ही सोच है। कांग्रेस की हालिया कार्यसमिति की बैठक और एक प्रवक्ता को अलोकतांत्रिक तरीके से पार्टी से बाहर दिखाए जाने के मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी की हाल ही में आयोजित बैठक में कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाये लेकिन उन पर चिल्ला कर उनकी आवाज को जबरन दबा दिया गया। पार्टी के एक प्रवक्ता को सच बोलने के कारण उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया। दुखद सच्चाई यह है कि कांग्रेस में नेता घुटन महसूस कर रहे हैं।

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