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दिल्ली मॉडल को अमेरिका ने अपनाया, अब अमेरिका में भी गंभीर रूप से बीमार कोविड मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल होगा

नई दिल्ली/ अजीत सिन्हा की रिपोर्ट  
कोरोना वायरस से जूझ रहे अमेरिका ने दिल्ली मॉडल को अपना लिया है। अमेरिका ने कोविड-19 के रोगियों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के मॉडल को भी अपनाया है। यह घोषणा आज अमेरिकी राष्ट्रपत डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा की गई। इसके बाद दिल्लीवासियों को बधाई देते हुए, सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, वो कहते थें, अमेरिका जो आज करता है, भारत कल करेगा। दिल्ली ने इसे बदल दिया है। अब – कल दिल्ली ने क्या किया, अमेरिका आज कर रहा है। इसके लिए दिल्ली को बधाई देता हूं।” यह हमारे देश के लिए बेहद सम्मान की बात है। इससे पहले दिन में, डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की, “आज मैं चीन के वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई में वास्तव में एक ऐतिहासिक घोषणा करने जा रहा हूं, जिससे अनगिनत लोगों की जान बच जाएगी। हम प्लाज्मा थेरेपी अपनाने जा रहे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पहल पर देश में सबसे पहले अप्रैल में दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत हुई। इसके लिए दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति ली थी। जिसके नतीजे काफी बेहतर आए। फिर दिल्ली में दुनिया का पहला  प्लाज्मा बैंक 2 जुलाई को आईएलबीएस अस्पताल में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य कोविड के गंभीर मरीजों को निःशुल्क उच्च गुणवत्ता का प्लाज्मा प्रदान करना था। इसके बाद, दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में एक और प्लाज्मा बैंक शुरू किया गया। जिससे सैकड़ों लोगों को प्लाज्मा मिला और कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज संभव हो पाया।  दिल्ली माॅडल का यह सिस्टम कोविड प्रतिक्रिया में एक महत्वपूर्ण तत्व रहा है और अब देश के अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा रहा है। अब अमेरिका ने भी इसे अपनाया है। दिल्ली सरकार के आईएलबीएस और एलएनजेपी अस्पताल में स्थापित प्लाज्मा बैंक से दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार व एमसीडी के अस्पतालों के अलावा सभी निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे कोरोना के गंभीर मरीजों को निशुल्क प्लाज्मा उपलब्ध कराया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक आईएलबीएस और एलएनजेपी के प्लाज्मा बैंक से 710 यूनिट प्लाज्मा दिल्ली के विभिन्न सरकारी व निजी अस्प्तालों में इलाज करा रहे कोरोना के गंभीर मरीजों को निशुल्क दिया जा चुका है। 
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार द्वारा प्लाज्मा बैंक स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 मरीजों को शीघ्र स्वस्थ्य करना और मौतों की संख्या शून्य करना था। प्लाज्मा बैंक के लॉन्च के दौरान, सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों से अधिक से अधिक संख्या में आगे आकर प्लाज्मा दान करने और कोरोना के खिलाफ दिल्ली की लड़ाई में प्रभावी योगदान देने का अनुरोध किया था, जो कि कोविड प्रतिक्रिया के दिल्ली मॉडल का सार है। उन्होंने कहा कि कोविड -19 मरीजों की मृत्यु दर कम करने में प्लाज्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और जब तक कोई टीका नहीं आता है, तब तक कॉन्वेसेंट प्लाज्मा थेरेपी को कोविड -19 के प्रभावी उपचार के रूप में देखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों ने बड़े-बड़े काम करके दिखाए हैं। पूरी दुनिया में लोग कोरोना की महामारी से जूझ रहे हैं। दिल्ली ने सबसे पहले प्लाज्मा थेरेपी और प्लाज्मा बैंक शुरू कर दुनिया को इस महामारी से लड़ने की दिशा दी। दिल्ली के 2 करोड़ लोगों ने अपनी सूझबूझ, अनुशासन और मेहनत से कोरोना महामारी को भी नियंत्रित कर लिया है। साथ ही अब दुनिया हमारी तकनीक अपना रही है। पूरी दुनिया के अंदर दिल्ली माॅडल केस स्टडी बना हुआ है कि आखिर यह दिल्ली माॅडल है क्या? दिल्ली माॅडल ने सब लोगों को साथ लिया, सभी संस्थाओं को साथ लिया, सारी सरकारों को साथ लिया और यह सभी लोगों के एक साथ प्रयास का नतीजा है कि आज दिल्ली के अंदर स्थिति नियंत्रण में है। 
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोना को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली के कई नए तरीके इजाद किए। हम लोगों ने इस स्थिति को वैज्ञानिक तरीके से सोचा। दिल्ली ने पूरे देश और दुनिया को होम आइसोलेशन की पद्धति दी है। हम लोगों ने इटली, न्यूयार्क, लंदन की कहानियां पढ़ी। पता चला कि वहां पर लोग बीमार होकर अस्पताल जाते थे और वहां बेड नहीं मिलते थे। इटली के अंदर ऐसी-ऐसी कहानियां सुनने को मिली कि सड़कों पर मरीज पड़े हुए हैं। उनको बेड नहीं मिल रहे है। न्यूयार्क में भी बेड नहीं मिल रहे थे। इतने विकसित देश में बेड की कमी कैसे हो गई? तो पता चला कि जो बीमार होता था, उन सभी को अस्पताल ले जाते थे और बीमार बहुत ज्यादा लोग हो रहे थे। इसका कोई अंत नहीं था। इसलिए अस्पताल में बेड कम पड़ रहे थे। तब हम लोगों ने सोचा कि जो गंभीर मरीज हैं, बेड सिर्फ उनके लिए होने चाहिए और जो बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले लोग हैं, उनका घर में इलाज करेंगे। घर में इलाज का मतलब यह नहीं था कि हम अपना पल्ला झाड़ रहे थे और अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे थे। घर में इलाज करने का मतलब यह है कि हमने डाॅक्टरों की एक टीम बनाई। वह डाॅक्टरों की टीम रोज सुबह-शाम होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज को फोन करती थी और उससे पता करती थी कि कोई दिक्कत तो नहीं है। इसके कुछ दिनों के बाद उनके घर पर आँक्सीमीटर पहुंचा दिया गया। यदि आपका आँक्सीजन स्तर का हो तो हमें फोन कर देना और हम आकर आपको अस्पताल ले जाएंगे। साथ ही प्लाज्मा थेरेपी और प्लाज्मा बैंक शुरू किए। 

दिल्ली ने पूरी  दुनिया को को प्लाज्मा की संकल्पना दी। दिल्ली पहला राज्य था, जहां पर प्लाज्मा के ट्राॅयल किए गए और दिल्ली देश का पहला राज्य बना,जहां पर पहला प्लाज्मा बैंक बनाया गया। आज मेरे हिसाब से 750 से अधिक मरीज प्लाज्मा ले चुके हैं और उनकी जान बचाई जा चुकी है। दिल्ली सरकार ने बहुत से ऐसे काम किए, जिसकी बदौलत आज दिल्ली में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है। सीएम ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी ने गंभीर रूप से बीमार मरीजों को स्वस्थ्य करने में उत्साह जनक परिणाम दिखाया है। प्लाज्मा बैंक से अब तक 60 साल से कम उम्र के 388 मरीजों को उच्च गुण वत्ता का प्लाज्मा उपलब्ध कराया जा चुका है और 60 साल से उपर के उम्र के 322 मरीजों को प्लाज्मा दिया जा चुका है, जो कोरोना से गंभीर रूप से बीमार होने के कारण खतरे में थे। इसमें सबसे कम उम्र के 18 वर्षीय युवक को उच्च गुणवत्ता का प्लाज्मा दिया गया है, जबकि सबसे अधिक उम्र के 94 वर्षीय एक बुजुर्ग को प्लाज्मा दिया गया है। इसी तरह, अब तक दोनों प्लाज्मा बैंकों के स्टाॅक से कोरोना से पीड़ित 522 पुरुष और 188 महिलाएं लाभांवित हुए हैं। दिल्ली में प्लाज्मा की उत्साह जनक सफलता के बाद देश के विभिन्न राज्यों में भी प्लाज्मा बैंक स्थापित किए जा रहे हैं। साथ ही अब दुनिया भर के देशों में भी कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा बैंक स्थापित किए जा रहे हैं। कोविड-19 से ठीक हो चुके विभिन्न वर्गों के लोगों ने आगे बढ़ कर गंभीर मरीजों को स्वस्थ्य करने में मददगार साबित हो रहे प्लाज्मा को दान किया है। इसमें विभिन्न व्यवसायों, जैसे- पुलिस अधिकारियों, डॉक्टरों, नर्सों, सेना के अधिकारियों और होम आइसोलेशन में ठीक हो चुके मरीजों ने आईएलबीएस अस्पताल आकर अपना प्लाज्मा दान किया है। कोविड-19 से ठीक हो चुके अब तक 921 लोगों ने आईएलबीएस प्लाज्मा बैंक में आकर प्लाज्मा दान किया है, जिसमें 86 स्वास्थ्यकर्मी, 209 उद्यमी, 8 मीडियाकर्मी, 28 पुलिस अधिकारी, 50 छात्र, 32 सरकारी अधिकारी और नौकरी पेशा, सेल्फ इम्प्लाइड प्रोफेशनल्स, गैर निवासियों समेत 508 अन्य लोग शामिल हैं। वहीं, कोविड-19 से ठीक हो चुके करीब 14 लोगों ने एक से अधिक बार प्लाज्मा दान किया है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पूरी दुनिया के अंदर दिल्ली सरकार एक अकेली सरकार है, जिसने कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए यदि किसी कोरोना योद्धा को कोरोना हो जाता है और उसकी जान चली जाती है, तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। यह सिर्फ ऐलान ही नहीं किया गया है, बल्कि अब तक कई सारे कोरोना योद्धाओं को सम्मान दिया गया है। ऐसा नहीं है कि कोई एक करोड़ रुपये के लिए काम कर रहा है। किसी की जिंदगी एक करोड़ रुपये में नहीं आती है। किसी मां से पूछो, उसके लिए उसका बेटा पता नहीं कितने सौ करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत का होता है। लेकिन एक करोड़ रुपये देने का कोरोना वारियर्स के अंदर अच्छा संदेश गया। उनको लगा कि एक सरकार ऐसी है, जो हमारा ख्याल रखती है। अगर हम अपनी जान दांव पर लगाकर सेवा कर रहे है, तो सरकार भी हमारा ख्याल रख रही है। जब हम लोगों ने इसका ऐलान किया, तब कई डाॅक्टर एसोसिएशन और सिविल डिफेंस वालेंटियर के संदेश आए। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा लग रहा है कि अब दिल्ली एक टीम के रूप में काम कर रही है। ऐसा नहीं है कि बस आदेश दे दिया जा रहा है, बल्कि हमारा ख्याल रखा जा रहा है।

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