अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: एनआईटी फरीदाबाद के डबुआ कालोनी में एक शख्स ऐसा मिला जिसने न तो कभी समाज सेवा की हैं और ना ही उन्हें सामाजिक ज्ञान हैं, नाही उन्हें कंप्यूटर का ज्ञान था वावजूद इसके उस शख्स ने अपने एक बेटी जोकि पुणे की एक सॉफ्ट वेयर कंपनी में नौकरी करती हैं,की सहायता से लगभग 800 से अधिक दिहाड़ीदार मजदूरों को अपनी और जिला प्रशासन तरफ से राशन के किट और पके हुए खाने के पैकेटों को वितरित करवाया। इस लॉकडाउन के दौरान आई मुश्किलों से सैकड़ों दिहाड़ीदार मजदूरों को भूखे रहने से बचा लिया। इस वक़्त भी वह जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं। इस सराहनीय कार्य से जरुरत हैं और लोगों को प्रेणना लेने की जिसके जरिए भूखे मजदूरों को पेट भरने की और मजदूरों की जिंदगी बचाने की। क्यूंकि यह मजदूर भी किसी मां का बेटा हैं, किसी का भाई हैं,किसी का चाचा हैं,किसी का मामा हैं,किस का पति हैं,किसी का पिता हैं,किसी का दामाद हैं, किसी का जीजा हैं,किसी फूफा हैं। हर शख्स जिंदगी कई लोगों के लिए मायने रखती हैं,ऐसे लोगों के चेहरे पर मुस्कान बनी रहे, ऐसे लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले योद्धाओं को सलूट करना तो बनता हैं। क्यूंकि इसी को तो हिन्दुस्तान कहते हैं।
सतबीर शर्मा ने बातचीत करते हुए कहा कि उनकी उम्र लगभग 50 साल हैं,उनके परिवार में पांच लोग हैं,इनमें से एक तो उनकी पत्नी हैं, दो बेटियां हैं और एक बेटा हैं जो सबसे छोटा हैं। वे लोग डबुआ कालोनी में नजदीक लेजर वैली पार्क के पास अपने मकान में रहते हैं। उनका कहना हैं कि उनकी बड़ी बेटी निशा शर्मा पुणे में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी करती हैं और वह जोकि बीसीए का कोर्स की हुई हैं, उनकी दूसरी बेटी शीतल शर्मा फरीदाबाद के वाईएमसीए कॉलेज में पढ़ती हैं और उनका बेटा कुणाल शर्मा जोकि बारहवीं क्लास में पढता हैं। उनका कहना हैं कि उनका किराए का काम हैं, उनके मकानों में दिहाड़ीदार मजदूर लोग किराए पर रहते हैं। उसकी संख्या 3 से 4 लोग हैं। उनके मकान के आसपास में काफी दिहाड़ीदार मजदूर लोग रहते हैं, जिनसे उनका प्रति दिन दुआ सलाम होते रहते थे। जब पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर लॉकडाउन लगाए जाने का एलान किया तो उसके कुछ ही दिनों के बाद दिहाड़ीदार मजदूरों के चेहरों पर उदासीनता दिखाई देने लगा जबकि इससे पहले उनके चेहरे पर इस तरह से उदासीनता कभी नहीं देखे थे और उन्हें पता भी नहीं चला की इन दिहाड़ीदार मजदूरों को खाने-पीने में दिक्कतें होंगी।
जब उन्होनें लगभग 10 -15 लोगों से बातचीत कर उदासीनता का कारण पूछने पर पता चला कि उनके घरों में खाना बनाने के लिए राशन बिल्कुल नहीं हैं, उनके दर्द को सुन कर उनके आंखों में आंसू भर आया। फिर उनके अंदर से एक दम से एक आवाज आई कि क्यों न इन लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा की जाए। इसके बाद उन्होनें शुरूआती दौर में 5 -6 लोगों को अपनी तरफ से एक हफ्ते के राशन दिए। वाकायदा इन सभी लोगों के नाम-पता व मोबाइल नंबर एक रजिस्टर पर नोट करवाए और उन लोगों को इस आश्वासन के साथ राशन दिए की,
फिर जरुरत हो तो राशन यहां से ले जाना।उनका कहना हैं कि उनके पास और जरूरतमंद मजदूर लोग आने लगे और उसकी संख्या बढ़ कर लगभग 30 से 40 हो गई। इन सभी लोगों को भी अपनी तरफ से राशन दे दिए। इसके बाद और ज्यादा संख्या बढ़ने लगी तो मेरी बेटी निशा शर्मा जोकि पुणे के एक कंपनी नौकरी करती हैं,वह 12 मार्च को अपने घर फरीदाबाद में पुणे से आई हुई हैं। इन सब की मदद के लिए अपने ट्विटर हेंडल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को लिखा। इसके बाद उसके पास मुख्यमंत्री कार्यालय से उसके पास रिप्लाई आया जिसमें एक मोबाइल फोन का नंबर दिया गया।
वह फोन नंबर था रेडक्रॉस का। मुख्यमंत्री कार्यालय से दिए गए फोन नंबर पर बात की तो और दिहाड़ीदार मजदूर की खाने -पीने की समस्याओं के बारे में उन्हें को बताया तो उन लोगों ने दो दिनों तक पका हुआ खाना तो दे गए फिर उन्होनें मजदूरों को खाना देना बंद कर दिया। निशा का कहना हैं कि इसके बाद उसने कंट्रोल रूम से मजदूरों को खाना मुहैया कराने के लिए संपर्क किया। वहां से उन्हें वार्ड इंचार्ज नरेश कुमार का फोन नंबर मिला। इसके बाद उसने वार्ड इंचार्ज नरेश कुमार से संपर्क किया और उनके द्वारा दिए गए खाने पैकेटों को प्रति दिन 50 से 60 मजदूरों को खाना दे रहे हैं और वह अब तक उन्होनें लगभग 800 से अधिक लोगों को खाना के पैकेट दे चुके हैं। वहीँ वार्ड इंचार्ज नरेश कुमार का कहना हैं कि जब भी खाना डबुआ कालोनी में उनकी टीम के लोग खाना देने के लिए जाते हैं तो सतबीर शर्मा वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जरुरत मंद लोगों खाने का पैकेट दिलाने में उनकी टीम को मदद करता हैं। जोकि एक सराहनीय कदम हैं। सतबीर शर्मा का कहना हैं कि इस राशन वितरण में भतीजा गजेंद्र शर्मा ने भी उनका पूरा सहयोग किया हैं।