अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद में एक ऐसा स्थान हैं जहां आप कोयल, मोर मोरनियों, मुर्गे-मुर्गियों, बत्तकों, उल्लू ,खरगोश और इलू पक्षियों को देख और उनकी आवाजों को सुन सकते हैं। अगर आप इस स्थान पर इन पक्षियों के बीच पहुंचते हैं तो आपकी थकान जो भी हो वह बिल्कुल मिनटों में ही दूर हो जाएगी। लॉक डाउन में पिछले तीन महीनों में घरों में बंद होने के कारण लोग बेहद परेशान हैं, इस वक़्त हर वर्ग के लोग परेशान हैं। पक्षी प्रेमी रूप सिंह नागर की माने तो उनका कहना हैं कि जब वह छोटे बच्चे थे,तो उन्हें सुबह -सुबह कोयल और मोर मोरनियों की आवाजें सुनाई देती थी। क्यूंकि वह तिगांव के रहने वाले हैं । उनके घरों के छतों पर मोर -मोरनी के अलावा और पक्षी उड़ अक्सर आया करती थी, अब धीरे धीरे गांवों से हरियाली खत्म होती जा रही हैं। बड़ी बड़ी बिल्डिंगें बनती जा रही हैं, इस कारण से यहां से पक्षी धीरे -धीरे लुप्त होती जा रही हैं।
इस लिए उन्होनें सोचा कि इन पक्षियों को रोकने के लिए कुछ प्रयास करना चाहिए। उनका कहना हैं कि उन्होनें मंझावली गांव में इन पक्षियों के लिए लगभग दो-ढाई एकड़ जमीनों को ख़रीदा और फिर वहां पर काफी पेड़-पौधे लगाए। वहां पर हरियाली होने के कारण आप रुपी मोर -मोरनी आ गए। यहां पर लगभग 250-300 मोर हैं जो आपको पेड़ पौधों,दीवारों और जगह-जगह घूमते और नाजते हुए नजर आएगें और अगर लोगों को मोर -मोरनियों के डांस को देखना हैं, तो सुबह 7 बजे से पहले और शाम को लगभग 6 बजे के बाद देख सकते हैं।
उनका कहना हैं कि शहरों में तो गाड़ियों की अजीबों और गरीब आवाजें सुनाई देते हैं पर आप यहां आएंगें तो बिल्कुल ताज़ी हवाओं के साथ शांति, पेड़ पौधों पर से कोयल =मोर-मोरनियों, मुर्गे मुर्गियों और बत्तकों की आवाजें आपको सुनाई देंगें उन्होनें सवाल के जवाब में उनका कहना हैं कि यहां पर कोरोना का कोई खतरा नहीं हैं। इसके लिए समय समय पर डॉक्टर इन पक्षियों के चेकउप करने के लिए आते रहते हैं। इस पूरे इलाकों में दूर -दूर तक कोरोना संक्रमण नहीं हैं। इन पक्षियों के देख रेख के लिए हमेशा एक शख्स रहता हैं। जिसको वह वेतन देते हैं।