अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी थोड़ी देर पहले स्मृति ईरानी जी ने चिर परिचित अंदाज में अमर्यादित और बिल्कुल त्रुटिपूर्ण एक वक्तव्य राहुल गांधी के खिलाफ दिय़ा है। मैं उनकी व्यथा, उनकी वेदना समझ सकती हूं। वो राहुल गांधी ट्रोल मंत्रालय की प्रमुख मंत्री हैं और वही काम वो पूरी शिद्दत से, पूरी लगन से करती हैं और फिर उन्होंने देखा कि उनके मंत्रालय के ऊपर ग्रहण है, क्योंकि बहुत सारे लोगों में होड़ लगी हुई है कि राहुल गांधी को ज्यादा ट्रोल कर पाएगा, कौन ज्यादा दो रुपल्ली का ट्रोल बनेगा इस सरकार के मंत्रियों में। उनको लगा कि अनुराग ठाकुर उनसे बाजी मार रहे हैं, तो मैडम ने आज फिर से कमान संभाल ली है और मैदान में कूद पड़ी हैं। लेकिन कुछ बातें जो उन्होंने कही है, जो सदन में कही जा रही हैं, सदन के बाहर कही जा रही हैं, उसके बारे में चर्चा कर लेना और उसके बारे में बोल लेना जरूरी है।
उसमें से पहली बात ये है कि राहुल गांधी ने ऐसा क्या कहा है जिससे बीजेपी इतनी विचलित है, क्योंकि हमारा अपना मानना है कि ये जो सारा तांडव अंदर मचाया जा रहा है, आप सोच सकते हैं कि सत्ता पक्ष खड़ा होकर खुद सदन की कार्यवाही नहीं होने दे रहा है, इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा कि अडानी को बचाने के लिए ये सारे काम किए जा रहे हैं। अडानी पर चर्चा ना हो, अडानी पर आक्षेप ना लगे, अडानी की काली करतूतों पर बातें ना हो, उस पर एक शब्द ना बोलना पड़े सदन में इसलिए सदन की कार्यवाही रोकने का काम आज सत्ता पक्ष के मंत्री, सदन के नेता खुद खड़े होकर कर रहे हैं। नारेबाजी अब सत्ता पक्ष कर रहा है सदन में कि सदन ना चल पाए और ये लोकतंत्र का क्षीण करना होता है। राहुल गांधी ने जो कहा कि एक विश्व है, वो अमेरिका और चीन दो दिशाओं में खींच रहा है। भारत का लोकतंत्र विश्व के लिए सौगात है और हमारा लोकतंत्र डिसाइड करेगा वैश्विक लोकतंत्र की दिशा और दशा क्या होगी। इससे बड़ा लोकतंत्र का प्रहरी और दूसरा कौन हो सकता है और वो भी विदेशी जमीन पर जाकर ये कहना।
आपको बड़ी दिक्कत है विदेशी जमीन पर जाकर उन्होंने कहा। सुनिए वो सारे वक्तव्य जो मोदी जी ने विदेशी धरती पर, चाहे वो चीन हो, चाहे वो मास्को हो, चाहे वो यूके हो, जर्मनी हो, यूएस हो, साउथ कोरिया हो, ऐसी कौन सी भूमि है, जहाँ पर उन्होंने जाकर देश का सिर नीचा करने का काम नहीं किया। जब आप चीन में जाकर ये कहते हैं कि हमने क्य़ा पाप किया था, हम हिंदुस्तान में पैदा हो गए, ऐसा लोग सोचते हैं, आपको लगता है कि आप देश का सिर और देश का मान बढ़ाने का काम कर रहे हैं?अब वापस मैं आना चाहती हूं स्मृति ईरानी के वक्तव्य पर और उस वक्तव्य पर इसलिए आना जरूरी है कि आपको दिक्कत हो सकती है कि राहुल जी ने क्या कहा, लेकिन प्रत्यक्ष किम प्रमाणं!, आज सरकार जो सदन में कर रही है, वो इस बात का प्रमाण है कि लोकतंत्र क्षीण हो रहा है। आप चुने हुए सांसद का एक वक्तव्य है, उसमें से 18 चीजें एक्सपंज कर देते हैं, क्योंकि मोदी और अडानी का नाम सामने है। ये लोकतंत्र को कमजोर करना नहीं है? आप प्रतिपक्ष के नेता, कांग्रेस के अध्यक्ष के बयान से ‘नजर नहीं नजारों की बात करते हैं’ के शेर को और तमामों चीजों को एक्सपंज कर देते हैं, ये लोकतंत्र का क्षीण होना नहीं है? अगर एक बेबाक पत्रकार सवाल पूछता है उत्तर प्रदेश में सड़कों की हालत पर तो उनको गिरफ्तार कर लिया जाता है और ऐसे तमामों उदाहरण हैं, ये लोकतंत्र का क्षीण होना नहीं है? चुनी हुई सरकार पैसे के बल पर, एजेंसी के डर पर गिराना, ये लोकतंत्र को कमजोर नहीं करता है? आगे मैं बताती हूं, लोकतंत्र को कमजोर करने के इतने उदाहरण हैं कि ये लोग कहीं मुंह छुपाए नहीं छुपेंगे, लेकिन स्मृति ईरानी जी ट्रोल मंत्रालय को संभालती थी, उनके ट्रोल मंत्रालय पर खतरा था, उनको लगा कमान हाथ से चली जाएगी, वापस मैदान में कूद पड़ी हैं। मैं उनकी पूछना चाहती हूं, ,स्मृति जी 2019 के चुनाव के वक्त आपने कहा था 13 रुपए किलो पर शक्कर मिलेगी, लोकतंत्र की बात दो मिनट बाद करेंगे, आइए पहले चूल्हे-चौके की बात कर लेते हैं। 13 रुपए किलो की शक्कर देने का वायदा किया था, 45 रुपए किलो पर शक्कर मिल रही है। 400 रुपए के सिलेंडर पर बड़ा प्रदर्शन करती थी आप, आज वो सिलेंडर 1,200 रुपए पर है। महिला सशक्तिकरण की बात करती थी, आपके ही एमएलए का लड़का एक लड़की का यौन शोषण करता है और उसकी हत्या कर देता है उत्तराखंड में, लीपा-पोती आपकी सरकार करती है, आप चुप रहती हैं। आपका विधायक दोषी पाया जाता है रेप का, आप चुप रहती हैं। आपके नेताओं के ऊपर यौन शोषण के आरोप लगते हैं, आप चुप रहती हैं।तो ये जो सेलेक्टिव आउटरेज जो स्मृति ईरानी का है, वो सर्वथा गलत है और मैं एक बात जरुर बोलना चाहती हूं, उन्होंने एक शब्द बोला टुकड़े-टुकड़े गैंग, इस देश का पहला टुकड़ा-टुकड़ा गैंग तो सावरकर जी थे और उन्हीं के लोग आज उसको लेकर चल रहे हैं। इस देश के दो टुकड़े कराकर जिन्ना के साथ मिलकर सावरकर का काम था और पाकिस्तान और हिंदुस्तान का बंटवारा और ये सच है कि नरेन्द्र मोदी जी आज भी वही काम कर रहे हैं। इस देश को भाषा के आधार पर, वेशभूषा के आधार पर, धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर अगड़े को पिछड़ों से लड़ना, अगड़े को दलित से लड़ाना, हिंदू-मुसलमान को लड़ाना, आपने तो मिजोरम और असम में गोलियां चलवाई हुई हैं। आपने कर्नाटक और महाराष्ट्र को तुड़वाया हुआ है। अगर ये टुकड़े-टुकड़े गैंग नहीं तो असली टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य और सरगना तो खुद रुलिंग एस्टेब्लिशमेंट और प्रधानमंत्री मोदी की लीडर हैं।मेरा अपना मानना है कि भारत के लोकतंत्र को बचाना हम सबका कर्तव्य है। मीडिया का कर्तव्य है और भारत के लोकतंत्र की जिस तरह से धज्जियां सदन में और सदन के बाहर भारतीय जनता पार्टी उड़ा रही है, वो अपने आप में प्रमाण है कि किस तरह से लोकतंत्र कमजोर हो रहा है।
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