अजीत सिन्हा/ नई दिल्ली
रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान: भाजपा एक तरफ़ तो धार्मिक ध्रुवीकरण कर और नफरत फैला कर भारत की सदियों पुरानी ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की परंपरा का अपमान करती है, तो दूसरी ओर सब धर्मों के सम्मान का ढोंग व पाखंड करती है। यह दोगली भाषा अविश्वसनीय है। इसे ही तो कहते हैं – “नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज़ को चली”।
भाजपाई नेतृत्व ने वोट बटोरने के लिए एक नया शब्दकोश बना लिया है। ये हैं- ‘श्मशान-कब्रिस्तान’, ‘80 बनाम 20’, ‘बुलडोज़र’, ‘गर्मी निकालना’। भाजपाई राजनीति में ‘विकास’, ‘रोजगार’, ‘प्रगति’, ‘शिक्षा’, ‘कृषि’, ‘सिंचाई’, ‘बिजली’, ‘बुनियादी ढांचा’ जैसे शब्दों के मायने नहीं रह गए। भाजपा नेतृत्व की सत्ता की हवस देश की “सर्वधर्म समभाव” की संस्कृति को अपूरणीय क्षति पहुंचा रही है। इसके चलते देश के सिख, मुस्लिम, ईसाई, दलित, आदिवासी और ओबीसी मोदी सरकार द्वारा समर्थित असामाजिक तत्वों की हिंसा व शोषण का शिकार हो रहे हैं।
सवाल यह है-
– क्या भाजपा अपने तौर-तरीकों में सुधार लाने के प्रति गंभीर है?
– क्या भाजपा अपने अपराधों का पश्चाताप करने की बजाय गिरगिटी रंग बदल रही है?
– क्या अब भारत की आत्मा, विचारधारा और मानवता की समावेशी परंपरा पर “नफरत का बुलडोज़र” चलना बंद हो जाएगा?
भाजपा द्वारा दिया एक छोटा सा बयान भारतीयता के सिद्धांत को पहुंचाए गए लाखों ज़ख्मों को नहीं भर पाएगा। यह उनके लिए सीख है, जो राजनीति की इस शतरंज में एक प्यादे से ज्यादा कुछ नहीं, जिनका इस्तेमाल कर काम हो जाने के बाद उन्हें “दूध में से मक्खी” की तरह निकालकर फेंक दिया जाएगा।
देश यह भी जानना चाहता है कि –
1. अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए सत्ताधारी भाजपा को देश की छवि पर आघात करने का अधिकार किसने दिया?
2. क्या यह सही नहीं कि भाजपा प्रवक्ता कहती रही कि उसे प्रधानमंत्री व गृह मंत्री का समर्थन है? तो फिर उसे पदमुक्त क्यों किया गया?
3. क्या भाजपा नेतृत्व संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए देश को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अंधेरे युग में धकेल रहा है?
4. क्या कारण है की भाजपा नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर धार्मिक भावना भड़काने की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई?
5. क्या भाजपा जानती है की लगभग 320 लाख भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते हैं व काम करते हैं, जिनमें से 150 लाख खाड़ी के देशों में हैं?
6. क्या यह सही है कि साल 2021 में इन भारतीयों ने देश में ₹6 लाख करोड़ वापस भेजा, जो कुल इनकम टैक्स से ज़्यादा है?
7. क्या यह सही है कि भारत का केवल 4 खाड़ी के देशों को निर्यात ही 3 लाख करोड़ से ज़्यादा है? क्या भाजपा हमारे किसानों व व्यापारियों की रोज़ी रोटी पर आघात नहीं कर रही?
8. क्या कारण है कि हमारे सम्मानित उपराष्ट्रपति के सम्मान में दिया भोज एक विदेशी मुल्क ने कैंसिल कर दिया?
9. क्या कारण है कि कई देशों द्वारा हमारे राजदूतों को बुला एडवाइजरी जारी की जा रही है और राजदूत भाजपा प्रवक्ताओं को “फ्रिंज तत्व” बता रहे हैं?
सच्चाई सामने है – भाजपा अपने कृत्यों से देश के सम्मान को ठेस पहुँचा रही है और झेंप मिटाने के लिए विदेशी मुल्कों के दबाव में प्रवक्ता हटा रही है। पर….संविधान की अनुपालना कब होगी? सब नागरिकों को एक नज़र से कब देखा जाएगा? राजधर्म कब निभाएंगे?
देश जानना चाहता है।