अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:यमुना को साफ करने की दिशा में केजरीवाल सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है। इस दिशा में केजरीवाल सरकार ओखला में एशिया का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करवा रही है, जहां प्रतिदिन 564 मिलियन लीटर सीवेज को शोधित किया जा सकेगा। परियोजना अपने अंतिम चरण में चल रही है, इसका निरीक्षण करने के लिए जल मंत्री आतिशी ने गुरुवार को इस प्लांट का दौरा किया। प्रोजेक्ट में देरी को लेकर जल मंत्री आतिशी ने अधिकारियों को फटकार लगाई और निर्देश दिये कि इस साल के अंत तक प्लांट को शुरू कर दिया जाए।
इस मौके पर जल मंत्री आतिशी ने कहा कि, 564 एमएलडी क्षमता वाला ये प्लांट यमुना को साफ करने की दिशा में गेम चेंजर साबित होने वाला है। उन्होंने कहा कि इस प्लांट के शुरू होने के बाद प्रतिदिन करोड़ों लीटर सीवर को सीधे यमुना में छोड़ने के बजाय उसे शोधित करके छोड़ा जाएगा। इस प्लांट के चालू होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जा सकेगा। प्लांट से उपचारित पानी न केवल यमुना को साफ करने में मदद करेगा, बल्कि बागवानी सहित अन्य चीजों के लिए भी उपयोगी बनेगा। विजिट के दौरान जल मंत्री ने पाया कि प्रोजेक्ट तय डेडलाइन से पीछे चल रहा है, इसपर अधिकारियों को निर्देश देते हुए जल मंत्री ने कहा कि, नए टाइमलाइन के साथ साल के अंत तक बचा हुआ काम पूरा किया जाए, और हर सोमवार को उन्हें इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि, यमुना को साफ करने की दिशा में ये प्लांट बेहद महत्वपूर्ण है, ऐसे में इसके निर्माण में अब एक दिन की भी देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि, यमुना की साफ़ करना हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री जी ने कहा है यमुना साफ होगी तो यमुना साफ़ होकर रहेगी, और इस दिशा में युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। अधिकारियों ने जल मंत्री को साझा करते हुए कहा कि, इस प्लांट में सेंट्रल दिल्ली(मुख्यत एनडीएमसी एरिया), साउथ दिल्ली के अधिकांश हिस्सों का सीवेज आएगा। यहाँ यूवी सहित अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए, सीवरेज के पानी को शोधित किया जाएगा और बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जाएगा। उसके बाद ही साफ पानी को यमुना में छोड़ा जाएगा। इस प्लांट के ज़रिए 40 लाख लोगों को लाभ मिलेगा क्योंकि ये दिल्ली की एक बहुत बड़ी आबादी क्षेत्र के सीवेज को ट्रीट करने का काम करेगा। ये प्लांट एशिया का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है, जो अकेले दिल्ली के 15 से 20% सीवेज को शोधित करेगा। शोधित होने के पश्चात पानी का बीओडी इस स्तर पर पहुँचेगा जिसका इस्तेमाल बागवानी सहित विभिन्न कार्यों में किया जा सकेगा। बता दें कि ये प्लांट ग्रीन एनर्जी के ज़रिए ऊर्जा की अपनी आधी ज़रूरतों को ख़ुद से पूरा कर सकेगा। प्लांट में सीवेज़ के गाद से निकलने वाले बायो-गैस के ज़रिए 4.8 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। साथ ही गाद से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को भी चलाया जा सकेगा और इसका इस्तेमाल खाद की तरह भी हो सकेगा।
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