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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में आपत्तिजनक, अपमान जनक और घनघोर भर्त्सना योग्य यह पोस्टर दिखाई पड़ा है-बीजेपी


अजीत सिन्हा/ नई दिल्ली 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में आपत्तिजनक, अपमान जनक और घनघोर भर्त्सना योग्य यह पोस्टर दिखाई पड़ा है। भारतवासियों के मन यह शक पैदा होता है कि भारत विरोधी स्थापित और प्रायोजित शक्तियों के मोहरों के साथ गलबहियां और मुलाकात करके राहुल गांधी अभी कुछ दिन पूर्व ही लौटे हैं, कहीं यह उसी के बाद का प्रभाव तो नहीं है। या, यह वही जमात है जो अभी कुछ दिन पहले भारत विरोधी शक्तियों के मोहरों को राहुल से मिला रहीं थी। आज उसी जमात का असली नफरती चेहरा, नफरत की उस दुकान के विज्ञापन के रूप में दिखाई पड़ रहा है। यह भारत विरोधी नफरत की दुकान का इश्तेहार है। अधिक दुख इस बात का होता है की जिस प्रधानमंत्री ने दस वर्षों में भारत को फ्रेजाइल फाइव से टॉप फाइव में पहुंचाया, जिसने 26 करोड़ लोगों को इन दस वर्षों में एक्सट्रीम पॉवर्टी से बाहर निकाला, जिसने भारत को पूरे विश्व में डिजिटल क्रांति का सिरमौर बनाया, जिसने आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को मजबूत किया। दस वर्ष पूर्व भारत का कोई ऐसा क्षेत्र, राज्य और बड़ा शहर नहीं था, जहां आतंकी हमले न होते हों पर उन्होंने भारत की आंतरिक सुरक्षा को प्रबल और सुदृढ़ किया, जन-जन तक भारत के विकास के सोपान को पहुंचाया। भारत के सामाजिक परिवर्तन के सबसे बड़े प्रतीक और पिछड़े समाज से आने वाले मोदी  पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो सर्वसम्मति के साथ कुर्सी पर आए और संपूर्ण विश्व में उन्होंने भारत का मान ऊंचा किया। एकमात्र भारत के प्रधानमंत्री जो मॉर्निंग कंसल्टेंट की रेटिंग में लगातार विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हुए। एक मात्र विश्व के राष्ट्र अध्यक्ष जिन्होंने हाल ही में रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की, दोनों के साथ गले मिलते हुए फोटो दिखी, मगर अफसोस की बात यह है की हमारे ऐसे प्रधानमंत्री जो हर भारतवासी के लिए भारत के गौरव, राष्ट्रीय अस्मिता और राष्ट्रवाद के एक महा मेरु पर्वत  के रूप में दिखाई पड़ते हैं। दूसरी तरफ यह नफरती दुकान का इश्तेहार उसके ऊपर निम्न स्तरीय प्रहार करने का प्रयास दिखता है। ऐसे विज्ञापन देने वाले लोग जो भले ही मुखौटा कोई और लगाएं हों, मगर सारा देश समझ रहा है की पीछे से वह किसके द्वारा संचालित हैं, उनके लिए एक पंक्ति कहना चाहूंगा- “राष्ट्रवाद के महा मेरु पर वार बहुत ही हल्का है और भारत विरोधी ताकतों में ये घबराहट का तहलका है।“ यह विज्ञापन भारत विरोधी शक्तियों की खिसियाहट, बौखलाहट और घबराहट का प्रतीक है।

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