अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
नोएडा में विभिन्न रामलीला कमेटियों ने रावण के पुतले का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया. और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के प्रतीकात्मक पुतले को जलाया गया तो कहीं विश्व के लिए निरोगी काया का आशीर्वाद मांगा गया. लेकिन इस दौरान जो भीड़ उमड़ी उससे सारे कोविड-19 प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ती नजर आई. जिस कोरोना के पुतले को जला कर लोग उसके खत्म होने का जश्न मनाया जा रहा था. वह भी इस भीड़ को अट्ठाहासे मारता नजर आ रहा था. इस भीड ने उन विशेषज्ञों के चिंता बढ़ा दी है जो लगातार इस बात को कहते आ रहे थे की कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया तो कोरोना एक और लहर का सामना करना पड़ सकता है.
यह तस्वीरें हैं नोएडा के स्टेडियम कि जहां पर रावण दहन के अवसर पर ऐसी भीड़ उमड़ी पुलिस और आयोजकों के भी हाथ पांव फूल गए और आयोजन के लिए लागू किए गए कोरोना प्रोटोकॉल के नियम धज्जियां उड़ती नजर आई. ना तो चेहरे पर मास्क नजर आ रहा था और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा था. बस लोग एक दूसरे पर चढ़े जा रहे थे. आयोजकों ने दावा किया था कि आयोजन के दौरान केवल 2500 लोगों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्रवेश दिया जाएगा , लेकिन ऐसी भीड़ उमड़ी लोग लाखो की संख्या वहाँ पहुंच गए . जलसे, जुलूस और प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों पर कोविड-19 प्रोटोकॉल और महामारी एक्ट के नाम पर लाठियां भांजने वाली पुलिस दशहरे के अवसर पर एकदम असहाय नजर आई. ऐसे में उसकी कोशिश यही थी कोई अप्रिय घटना ना हो जाए. और वह किसी भी अप्रिय घटना रोकने में कामयाब रही. लेकिन जो नियम टूटे हैं उनका असर आने वाले दिनों में कोरोना की लहर के रूप दिखाई दे सकता है.कोरोना की दूसरी लहर की कड़वी स्मृतियाँ अभी भी लोगों के जेहन से मिटी नहीं है. ऐसे में इस आयोजन के दौरान जिस प्रकार कोविड-19 प्रोटोकॉल और महामारी एक्ट की धज्जियां उड़ी है. क्या आयोजकों की कोई जिम्मेदारी तय होगी, क्या कोई कार्रवाई होगी ऐसा तो लगता नहीं है, क्योंकि वे लोग सामाजिक और राजनीतिक रूप से रसूखदार लोग हैं और रसूखदार वालों पर शायद कोई नियम नहीं लागू होते हैं.