अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
प्रदेश के हाईटेक शहर में अपने सपनों का आशियाना बनाने के लिए लोग पाई-पाई जोड़कर बिल्डर सौंप रहे है, लेकिन 10 साल पहले बुक कराया फ्लैट अभी तक नहीं मिला है सपनों का आशियाना एक सपना बन कर रह गया है. क्योंकि वेव बिल्डर ने लोगों की जीवन भर की कमाई को डकारने के बाद खुद को दिवालिया घोषित करने की अर्जी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दी है। जिस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब फैसला आना है। समूह में निवेश कर चुके सैकड़ों खरीदारों ने आज नोएडा सेक्टर- 32 स्थित वेव बिल्डर के प्रोजेक्ट आमोर के बायर्स ने जोरदार तरीके प्रदर्शन किया और प्रदर्शन में लोगों ने कंपनी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार और प्राधिकरण से गुहार लगाई, की हमारे फ्लैट को जल्दी से जल्दी हमें सौंपा जाए और हमारी समस्या का निस्तारण किया जाए।
‘योगी-मोदी घर दिलाओ’, ‘बहुत हुई मन की बात, अब करो घर की बात’, कुछ ऐसे नारे लगाते हुए वेब ग्रुप के वेब अमोर होम बायर्स ने सेक्टर- 32 ए स्थित वेब सिटी के बाहर प्रदर्शन किया। बायर्स का आरोप है, वेब ने नोएडा प्राधिकरण से ओसी मिलने के बाद 2 मार्च 2021 को बायर्स से 100 प्रतिशत पैसा ले लिया और 15 मार्च को एनसीएलटी में चले गए। ये पूरी तरह से इन लीगल और क्रिमिनल एक्टिविटी है। इस मामले में अभी तक आईआरपी भी नियुक्त नहीं हो सकी है। इस प्रोजेक्ट में करीब 780 फ्लैट हैं और 300 से ज्यादा दुकानें हैं, जिनका 99 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। फ्लैट खरीदारों का मानना है कि यह पजेशन हमें 2017 में मिल जाना था लेकिन करोड़ों रुपए जमा करके हमें हमारे घर का अभी कोई अता पता नहीं है कई बार हम विधायक पंकज सिंह, प्राधिकरण के सीईओ और अन्य अधिकारियों से मिल चुके हैं लेकिन कोई निस्तारण नहीं हुआ है।
बायर्स का कहना है कि बिल्डर दिवालिया होने की कगार पर है हमने हाईकोर्ट सहित दिल्ली में बिल्डर के खिलाफ केस भी दर्ज करवाया है लेकिन अभी तक स्थिति टस से मस नहीं हुआ है किसी ने दो करोड़ तो किसी ने 3 करोड़ रुपए जमा करके इस प्रोजेक्ट में अपना घर का सपना देखा था लेकिन वह पूरा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है हमारी सरकार से मांग है कि बिल्डर के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करके हमारे हमें घर दिलाये जाए और हमारी समस्या का निस्तारण किया जाए। वेब ग्रुप का मामला एनसीएलटी में विचाराधीन है। दरअसल, नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-32 स्थित सिटी सेंटर परियोजना पर बकाया होने के कारण एक लाख वर्ग मीटर जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया था। प्राधिकरण, बिल्डर का करीब 2,519 करोड़ रुपए बकाया है। इस मामले में वेब समूह ने एनसीएलटी में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब फैसला आना है। इसमें करीब दो हजार फ्लैट बायर्स फंसे हुए हैं।
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