अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: आज राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक ऐतिहासिक भारत जोड़ो यात्रा के शुभारंभ की पहली वर्षगांठ है। श्रीपेरंबदूर में अपने पिता को श्रद्धांजलि देने के बाद, वह कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल, तिरुवल्लुवर स्टैचू, कामराज मेमोरियल और गांधी मंडपम गए थे। उसके बाद वह गांधी मंडपम से चले और कन्याकुमारी में हिंद महासागर के किनारे एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। अगली सुबह के शुरुआती घंटों में यात्रा शुरू हुई।
भारत जोड़ो यात्रा भारतीय राजनीति में एक बेहद परिवर्तनकारी घटना थी। यह यात्रा बढ़ती आर्थिक असमानताओं,बढ़ते सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानाशाही जैसे विषयों पर केंद्रित थी। राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान अपने मन की बात नहीं की बल्कि इस अवसर का इस्तेमाल जनता की चिंता को सुनने के लिए किया। यह यात्रा अलग-अलग रूपों में आज भी जारी है। यह देश भर में छात्रों,ट्रक ड्राइवर्स, किसानों और कृषि श्रमिकों, मैकेनिकों , सब्जी व्यापारियों, MSME के साथ राहुल गांधी की मुलाक़ातों एवं मणिपुर में उनकी उपस्थिति के साथ-साथ लद्दाख की उनकी सप्ताह भर की विस्तारित यात्रा से स्पष्ट है।
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